औरों को नसीहत खुद मियां फज़ीहत?

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nd{ निर्मल रानी }  मानव जाति जहां अपने तमाम कारनामों व उपलब्धियों के लिए पहचानी जाती है वहीं मानव से तरह-तरह की  नकारात्मक बातें भी ही जुड़ी हुई हैं। इंसान से जुड़े ऐसे ही एक नकारात्मक पहलू का नाम है अपराध। समाज में कोई न कोई व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी किसी न किसी छोटे अथवा बड़े,घरेलू अथवा सामाजिक या सामुदायिक अपराध से जुड़ा दिखाई देता है। बेहद सांस्कारित अथवा उच्च कोटि की पारिवारिक परवरिश पाने वाले कुछ ही लोग समाज में ऐसे होते हैं जिनसे उनके पूरे जीवन में कोई अपराध न हुआ हो। समाज में एक बड़ा तबका ऐसा है जो किसी मजबूरीवश अथवा ज्ञानबोध न होने के चलते किसी अपराध को अंजाम दे डालता है। कुछ अपराध ऐसे होते हैं जो परिस्थितियों वश जन्म लेते हैं। कुछ लोग पेशेवर या आदतन अपराधी भी होते हैं। परंतु समाज का एक ऐसा वर्ग जो स्वयं प्रतिष्ठित,सम्मानित,परमपूज्य,कानून का निर्माता या रखवाला भी कहलाना चाहे और जानबूझ कर अपनी क्षणिक संतुष्टि के लिए किसी बड़े अपराध में शामिल हो जाए ऐसी परिस्थिति को आिखर क्या नाम दिया जाना चाहिए?

हिंदू धर्म में न तो संस्कार इस बात की इजाज़त देते हैं कि कोई व्यक्ति एक पत्नी के अतिरिक्त दूसरी पत्नी भी रखे और न ही हिंदू कानून इस बात की इजाज़त देता है। परंतु मात्र अपनी वासना की पूर्ति के चलते देश में पिछले कुछ समय से ऐसे हादसों की झड़ी सी लग गई है जिसमें यह देखा जा रहा है कि समाज का तथााकथित जि़म्मेदार व प्रतिष्ठित कहा जाने वाला वर्ग भी अपनी पत्नी होने के बावजूद दूसरी Garimaमहिलाओं से अनैतिक व अवैध संबंध बनाने हेतु आतुर रहने लगा है। और यह अय्याश वर्ग इसके दूरगामी परिणाम की परवाह नहीं करता। निश्चित रूप से इसके बाद कानून जब अपना काम करता है तो कहीं इन्हीं स्वयंभू,पाखंडी इज़्ज़तदारों को जेल की सलाखें नसीब होती हैं तो कहीं यह मामला हत्या जैसे जघन्य अपराध से भी जुड़ जाता है। इतना ही नहीं बल्कि समय का पहिया जब करवट बदलता है और जवानी के दिनों में पर नारी से अपनी वासना की पूर्ति करने वाले तथाकथित संभ्रांत लोग जब बुढ़ापे की दहलीज़ पर कदम रखते हैं और उनकी अपनी संतानें बचपन से जवानी की ओर बढ़ती हैं उस समय वे अपने ‘पिता’ के काले कारनामों का जवाब उन्हें ऐसी ‘माकूल’ भाषा में देती हैं कि उन ‘संभ्रांत’ व्यक्तियों की नींदें तक हराम हो जाती हैं।

विवाहित होने के बावजूद आसाराम नामक स्वयंभू संत व उसकी संतान नारायण साईं दोनों ही  अपने शिष्यों के परिवार की बहन-बेटियों की इज़्ज़त लूटते रहे। समाज को विशेषकर अपने भक्तों को उपदेश देने वाले तथा दुनिया को स्वर्ग का रास्ता दिखाने वाले इन पिता-पुत्र को क्या इस बात का ज्ञान नहीं था ND ujjwalaकि उनकी अय्याशी के चलते न सिर्फ किन्हीं कन्याओं की जि़ंदगी बरबाद हो रही है बल्कि वे स्वयं पाप के कितने बड़े भागीदार बन रहे हैं? इतने बड़े संतों पर क्या यह शोभा देता है कि वे अपनी पत्नियों के अतिरिक्त अन्य दूसरी लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करें? परंतु इनके द्वारा ऐसा किया गया और आज यह पिता-पुत्र जेल की हवा खा रहे हैं। निश्चित रूप से इनके दुराचार का शिकार हुई लड़कियों को भी भविष्य में काफी परेशानी उठानी पड़ सकती है। कुछ ऐसा ही कारनामा देश के वरिष्ठ नेता तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे,केंद्र में विभिन्न विभागों के मंत्री तथा राज्यपाल जैसे अनेक पदों पर ‘सुशोभित’ होने वाले स्वतंत्रता सेनानी रहे नारायण दत तिवारी द्वारा किया गया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के दौरान ही इनके संबंध उज्ज्वला शर्मा नामक महिला से हो गए थे। दोनों एक-दूसरे के घर आते-जाते व शारीरिक संबंध भी स्थापित करते थे। जबकि तिवारी उस समय भी शादीशुदा थे। परिणामस्वरूप उज्जवला शर्मा तीन दशक पूर्व एक बच्च्ेा की मां बन गई। समय बीता तो नारायण दत्त तिवारी के उज्जवला शर्मा से संबंध खराब हो गए। परंतु तिवारी के लिए तो तब तक काफी देर हो चुकी थी। क्योंकि वे उज्जवला शर्मा द्वारा पैदा किए गए एक बच्चे के पिता बन चुके थे। जिस समय तिवारी व उज्जवला शर्मा के प्रेम-प्रसंग शुरू हुए थे उस समय भी लखनऊ के राजनैतिक हलक़ों में व मीडिया में तिवारी के इस अवैध संबंध के बारे में मालूम हो गया था। परंतु तीन दशक पूर्व का मीडिया बड़े बुज़ुर्गों को सम्मान देने वाला तथा काफी हद तक एक-दूसरे का लिहाज़ करने वाला मीडिया हुआ करता था। नतीजतन तिवारी प्रकरण  जैसे कई मामलों पर पर्दा पड़ जाया करता था। इस मामले में भी उस समय यही हुआ था। परंतु जब तिवारी-उज्जवला के पुत्र रोहित शेखर ने अपनी जवानी की दहलीज़ पर कदम रखा और तिवारी जी ने बुढ़ापे की ओर यात्रा करनी शुरु की उस समय मां-बेटे ने मिलकर कानून के शिकंजे में तिवारी जी को ऐसा कसा कि उनके होश फाख्ता हो गए। बचने की लाख कोशिशें करने तथा अपने बेटे को अपना बेटा अस्वीकार करने के तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद कानून के सामने तिवारी की एक न चली।  आिखरकार कानून की लड़ाई वे हार गए और बुढ़ापे के दिनों में उन्हें रोहित शेखर को न केवल अपनी औलाद स्वीकार करनी पड़ी बल्कि 88 वर्ष की आयु में उन्हें उज्जवला शर्मा के साथ विवाह करने जैसी सामाजिक रस्म भी पूरी करनी पड़ी। यहां भी यही सवाल है कि राजनीति के दिग्गज तथा कानून व नैतिकता का सबक सिखाने वाले नारायण दत्त तिवारी पर क्या यह हरकतें शोभा देती हैं?

उत्तर प्रदेश के एक मंत्री अमरमणि त्रिपाठी द्वारा भी मधुमिता शुक्ला नामक एक कवियत्री को अपने मंत्रीपद का ग्लैमर दिखाकर तथा अपनी दबंगई का सहारा लेकर उसका खूब शारीरिक शोषण किया गया। यहां तक कि वह गर्भवती भी हो गई। उस समय अमरमणि त्रिपाठी का अपना पुत्र भी जवान था जिस समय पिता अमरमणि अपनी पत्नी के होने के बावजूद वे उस कवियित्री के साथ रंगरंलियां मनाने में मशगूल रहा करता था। आिखरकार इस ‘मंत्री’ के पाप का घड़ा भर गया। मधुमिता गर्भवती थी। उसने त्रिपाठी से विवाह करने के लिए कहा। ज़ाहिर है हिंदू पर्सनल लॉ इस बात की इजाज़त नहीं देता। स्वयं को फंसता देख इस बाहुबली नेता ने अपनी हवस का शिकार बनाई जाने वाली 24 वर्षीय मधुमिता शुक्ला को आिखरकार जान से मरवा दिया। आज कानून का यह तथाकथित रक्षक भी भक्षक बनने के जुर्म में जेल की सज़ा काट रहा है। ऐसी ही घटना हरियाणा में पुलिस के एक डीआई जी से भी जुड़ी है। Garimaइस पुलिस अधिकारी ने एक महिला पत्रकार के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए और बाद में परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि उस पत्रकार की भी इन्हीं अवैध संबंधों के चलते उसी के फलैट में हत्या कर दी गई। अदालत ने मामले से संबद्ध डीआईजी को भी सज़ा सुनाई। यह पुलिस अधिकारी भी न केवल शादीशुदा था बल्कि जिन दिनों वह अपनी महिला पत्रकार मित्र के साथ रंगरलियां मना रहा था उस समय उसकी अपनी भी दो जवान बेटियां थी। आज कानून का पालन कराने वाला यह पुलिस अधिकारी हत्या जैसे अपराध में सज़ा भुगत रहा है।

इन दिनों ऐसी ही एक दास्तां अमेठी राजघराने से जुड़ी हुई सुनाई दे रही है। अमेठी के पूर्व राजा संजय सिंह की ब्याहता पत्नी गरिमा सिंह व उनके बेटे अनंत विक्रम सिंह ने संजय सिंह की नींदें हराम  कर दी हैं। यहां भी कारण कुछ ऐसा ही है कि जवानी के दिनों में संजय सिंह ने अपनी अय्याशी के शौक़ में न केवल अपनी पत्नी गरिमा सिंह व अपने बच्चों से मुंह मोड़ लिया बल्कि अपनी दूसरी पत्नी अमिता मोदी पर अधिकार जमाने के लिए 28 जुलाई 1988 को उन्होंने उसके पति राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन सैय्यद मोदी की हत्या तक करवा दी थी। कानूनी दांवपेंच के चलते, अपने ऊंचे रसूख की वजह से अथवा सैयद मोदी के परिजनों की ओर से अदम पैरवी के कारण भले ही संजय सिंह को सैय्यद मोदी की हत्या मामले में सज़ा न सुनाई गई हो परंतु इस घटना के समय ही लोगों को इस बात का संदेह हो गया था कि हो न हो संजय सिंह ने ही सैयद मोदी की हत्या कराई है। और यह संदेह उस समय विश्वास में बदल गया जब सैयद मोदी की हत्या के कुछ समय बाद ही उसकी पत्नी अमिता को अपने महल में एक पत्नी के रूप में बिठा लिया। ज़ाहिर है इन हालात से दु:खी होकर संजय सिंह की वास्तविक पत्नी जो कि स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की भतीजी भी है ने संजय सिंह से तलाक लिए बिना अपने मायके चले जाने में ही अपनी भलाई समझी। परंतु समय का पहिया यहां भी घूम चुका है। संजय सिंह का पुत्र अनंत विक्रम सिंह जोकि भारतीय नौसेना का अधिकारी भी रह चुका है,अब अपने बाप की आंखों में आंखें डालकर बातें कर रहा है। आज अनंत विक्रम सिंह न केवल अमेठी के भूपति भवन पर अपना अधिकार जता रहा है बल्कि इन पूरे पारिवारिक हालात के लिए संजय सिंह को ही जि़म्मेदार ठहरा रहा है। वह सैयद मोदी की हत्या के लिए भी अपने पिता को ही जि़म्मेदार बता रहा है। यहां भी कानून का एक रखवाला दूसरों को न्याय,नैतिकता तथा सदाचार का पाठ पढ़ाने वाला व्यक्ति खुद अपने ही रचे चक्रव्यूह में फंसता जा रहा है। गोया यहां भी वही प्रचलित कहावत चरितार्थ हो रही है कि औरों को नसीहत खुद मियां फज़ीहत?

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nirmal raniनिर्मल रानी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City134002 Haryana

phone : 09729229728*

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