ऐसे में कैसे बन पाऊँगा बेहूदा…?

0
15

{ डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी } सुर्खियों में रहने के लिए कुछ अनाप-शनाप करना पड़ता है। कभी जुबान फिसलाना पड़ता है तो कभी दुष्कर्म करने पड़ते हैं। जुबान माननीयों/नेताओं की फिसलती है तो मीडिया में वे छा जाते हैं। एक बार मीडिया में नाम रौशन हुआ नहीं कि उनका भविष्य उज्जवल हो जाता है। दुष्कर्म करने वालों के साथ भी ऐसा ही होता है। मीडिया मेहरबान तो गधा भी पहलवान जी हाँ आज कल जो कुछ भी हो रहा है कुकुरमुत्ते सी बाढ़ की मानिन्द उपजे मीडिया की देन है। विवादित लोग (स्त्री-पुरूष) ही चर्चा में होते हैं। चर्चा में बने रहने के लिए कुकुरमुत्ता ब्राण्डेड मीडिया को पटाना पड़ता है। जिसने भी मीडिया को पटाया वह ‘ग्लोबल’ हो जाता है।
चुनाव लड़ने वालों से लेकर आम जीवन जीने वाले भी मीडिया की मेहरबानी से खास बन जाते हैं। अब तो ऐसा प्रचलन है कि मीडिया पहले स्वयं को चर्चित/विवादित रखने का प्रयास करता है। मीडिया के लोगों में यह संस्कृति पनपने लगी है पहले वे लोग स्वयं को ग्लोबल डिस्प्यूटेड बनाने पर उतारू हो गए हैं। कईयों के बारे में सुना है कि वे लोग अपने प्रतिद्वन्दी के ऊपर कीचड़ उछालने में जरा भी हिचकिचाहट महसूस ही नहीं करते हैं। वेब मीडिया से सम्बद्ध अनेको अपनी हरकतों/कृत्यों से हाईलाइट हो रहे हैं। जब किसी की डिमाण्ड घटने लगती है तब वह लोग एक न एक शिगूफा छोड़ते हैं, जिनको पढ़कर हजारों लोग उनके प्रशंसक बन जाते हैं।
मीडिया यानि पत्रकारिता जो किस जमान में एक मिशन हुआ करती थी, अब व्यवसाय बन गई है। इस पर कुछ भी लम्बा-चौड़ा लिखने की जरूरत नहीं है। सर्वज्ञात है कि जो पत्रकार जितना ही भौड़ा प्रदर्शन करेगा वह उतना ही चर्चित होगा। किसी ने मुझे मुफ्त में सलाह दिया कि अपने पोर्टल पर न्यूड वीडिया/स्टिल छायाचित्र अपलोड करूँ। बेहतर यह भी होगा कि सम्मानित व्यक्ति/व्यक्तियों के बारे में कुछ अनापेक्षित लिख व छाप दें ताकि जेल भी जाना पड़े, जेल जाने से खूब चर्चा होगी और बेहया बन जाएँगे। फिर मैं बन जाऊँगा एक बेहूदा पत्रकार तब सभी लोग मेरे पोर्टल को क्लिक करके अपनी-अपनी सहानुभूति एवं प्रोत्साहन भरी टिप्पणियाँ देंगे, और मैं शोहरत की बुलन्दियों पर पहुँच जाऊँगा।
भइया-बहनों मैं पढ़ा-लिख हूँ और परिवारदार हूँ। समाज में मेरी एक अच्छी इमेज है। मेरे पोर्टल को हित-मित्र, माँ, भाई-बहन, बहू-बेटियाँ, पोते-पोतियाँ सभी लोग देखते हैं। यदि सलाहकारों की बातें मान लूँ तो मरी हैसियत उनकी नजरों में क्या होगी जो मुझे अपना आइडियल मानते हैं? मेरी साफ-सुथरी इमेज का क्या होगा? जिसे मैंने 4 दशक से सहेज कर मीडिया से जोड़ रखा है। मैं जाति से क्षत्रिय हूँ और कुलीन वंश परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। मुफ्त परामर्शदाता ने कहा कि सोशल साइट्स पर लिख दूँ कि मैं किसी अन्य जाति का हूँ, मतलब कि मैं दोगला हूँ। भला बताइए कि ऐसा करने से किस तरह का लाभ मिलेगा? और यदि न लिखूँ तो कौन सी हानि ही होगी। पहले नंगी तस्वीरें लगाने की बात अब जाति परिवर्तन की सलाह?
मुफ्त सलाहदाता ने कहा कि ठीक है यदि ऐसा नहीं करना चाहते हैं तो अन्ट-शन्ट लिखें, मतलब कि जो अब तक नहीं किया अब करूँ इससे रातोरात स्टार बन जाऊँगा। मुफ्त परामर्शदाता ने कहा कि 21वीं सदी है दकियानूसी विचारों को छोड़ें, विद्रूप होती संस्कृति का रोना न रोयें, बेहतर यह होगा कि निर्लज्ज बेहूदा बन जाएँ, भले मानुषों पर लांछन लगाएँ, दुष्कर्म के संवादों को प्रमुखता से स्थान दें। यह सब तो मुझसे हो हीं पाएगा। सलाहकार कहता है कि तब कैसे ग्लोबल बन पावोगे। ग्लोबल बनना है तो लोगों पर कीचड़ उछालो। वेब पोर्टल विजिटर्स सबसे पहले आपके पोर्टल को ही क्लिक करेंगे। अनेको उदाहरण देकर मुझे समझाया गया, लेकिन हिम्मत नहीं हो रही है कि मैं ऐसा करूँ। मैं भले ही फेमस नहीं बन पाया परन्तु अब चर्चित नहीं होना चाहता।
ग्लोबल डिस्प्यूटेड मीडिया परसन बनने के लिए यदि नीची/ओछी हरकतें करनी पड़ेंगी तो मैं इससे तौबा कर लूँगा। पत्रकारिता को छोड़कर फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर जीविकोपार्जन करने का प्रयास करूँगा। हाँ यदि मेरे सभी हितमित्र, परिजन, रिश्तेदार, शुभचिन्तक (हमारा वर्तमान समाज) जिस दिन मुझे छोड़कर परलोक गमन कर जाएँगे तब मैं अकेला रहकर बेहूदा बनकर जीने की आदत डालूँगा।

—————————————————————
Bhupendra Singh Gargvanshi ,डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी लेखक, डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी टिप्पणीकार ,डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी वरिष्ठ पत्रकारडॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी (वरिष्ठ पत्रकार/टिप्पणीकार) अकबरपुर, अम्बेडकरनगर (उ.प्र.) मो.नं. 9454908400

*लेखक स्वतंत्र पत्रकार है *लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी  का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here