एनएसजी यानी राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को प्रभावकारी बनाने के लिए चार नए केन्द्रों की स्थापना

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रविन्दर सिंह

किसी भी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परम आवश्यक है। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) एक विशिष्ट संगठन है, जिसका गठन विशेष और निर्णायक परिस्थितियों में सुरक्षा मुहैया कराने के लिए किया गया था। इसकी स्थापना 1984 में आपातकाल में तैनात किए जाने वाले ऐसे संघीय बल के रूप में की गई थी, जो देश के किसी भी भाग में और किसी भी रूप में सामने आने वाली आतंकवादी गतिविधियां और अपहरण जैसी घटनाओं से निपटने के लिए कार्रवाई करने में सक्षम हो और बचाव के उपाय कर सके।

यह एक कार्योन्मुखी बल है और विशेष कार्य ग्रुप (एसएजी) और विशेष रेंजर्स ग्रुप (एसआरजी) के रूप में इसके दो पूरक तत्व हैं। इनमें से एसएजी में सैन्य कर्मी शामिल किए जाते हैं जबकि एसआरजी में केन्द्रीय#राज्य पुलिस बलों से कार्मिकों को लिया जाता है। एनएसजी के सदस्यों को विशेषज्ञतापूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसके अंतर्गत बेहद जोखिमपूर्ण, अपहरण तथा आतंकवादी कार्रवाइयों की रोकथाम का प्रशिक्षण शामिल होता है। एनएसजी के कमांडो अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी तैनात किए जाते हैं।
 
गौरवशाली 25 वर्ष
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड ने अपनी स्थापना के बाद से अल्पावधि में ही राष्ट्र को आपात स्थिति में संकट मोचक के रूप में सेवाएं प्रदान की है। संकटपूर्ण स्थितियों से निपटने और आतंकवादी हमलों को विफल करने में एनएसजी ने त्वरित और असरदार प्रदर्शन किया है। इस बल ने अनेक अभियान चलाए हैं जैसे ‘ऑपरेशन ब्लैक थंडर (मई 1988), अक्षरधाम मंदिर, अहमदाबाद में ऑपरेशन ‘वज्र शक्ति’ (अक्तूबर 2002) और मुंबई में ऑपरेशन ‘ब्लैक टारनाडो’ (नवम्बर 2008)। एनएसजी के कार्मिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगाने में कभी संकोच नहीं किया चाहे अक्षर धाम मंदिर हो या ताज होटल या फिर मुंबई में नरीमन हाउस, सभी स्थानों पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में इस बल के कमांडो शहीद हुए हैं। उनकी सेवाओं के लिए एनएसजी को 293 पदकों से नवाजा जा चुका है। इनमें 65 वीरता पदक और 228 विशिष्ट सेवा पदक शामिल हैं।
 
कम समय में कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए एनएसजी केन्द्र
पिछले वर्ष मुंबई में हुई विनाशकारी आतंकवादी घटनाओं के बाद इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है कि आतंकवाद किसी खास क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या बन चुका है और सभी राष्ट्रों की सुरक्षा एवं खुशहाली के प्रति गंभीर खतरा है। भविष्य में आतंकवादी वारदातों के बारे में समय और स्थान का पूर्वानुमान व्यक्त करना असंभव है। 26 नवम्बर की घटना के बाद यह जरूरी समझा गया कि देश में अधिक संख्या में एनएसजी स्टेशन बनाये जायें ताकि आतंकवाद की जघन्य घटनाओं के साथ प्रभावकारी ढंग से निपटने के लिए कम से कम समय में कार्रवाई की जा सके। इसे ध्यान में रखकर सरकार ने मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और चेन्नई में एनएसजी  के चार क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित करने का फैसला किया है।
 
नए केन्द्रों में कार्य प्रारंभ
तीव्र गति से काम करते हुए एनएसजी के चारों नए केन्द्र प्रचालित हो गए हैं। चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में स्थापित किए गए इन केन्द्रों में 1086 कमांडो कार्यरत हैं। 30 जून और 1, जुलाई 2009 को गृह मंत्री पी चिदम्बरम द्वारा औपचारिक रूप से इन केन्द्रों का उद्धाटन किया गया। एनएसजी और राज्य पुलिस घनिष्ठ तालमेल के साथ काम करेंगे। किसी भी संकट के समय सम्बध्द राज्य सरकार के अनुरोध पर भी एनएसजी को तत्काल काम पर लगाया जा सकेगा। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी एनएसजी की एक त्वरित कार्रवाई टीम स्थापित की गयी है ताकि आपात स्थिति में तत्काल उसकी सेवाएं ली जा सके।
 
 ये केन्द्र मुंबई में मरोल, चेन्नई में नेडुन्कुन्द्रम, हैदराबाद में त्रिमूलघेरी और कोलकाता में बादू में स्थापित किए गए हैं। इन केन्द्रों पर एनएसजी कमांडो को रखने के लिए पूर्व-निर्मित और स्थायी भवनों का निर्माण किया जा रहा है। राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) को निर्माण कार्य सौंपा गया है। नागरिक और पुलिस प्रशासन सहित राज्य सरकारों, भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण और सेना द्वारा इन केन्द्रों की स्थापना और उन्हें चालू करने के काम में पूरी सहायता की जा रही है ताकि इसे निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जा सके।
 
 सरकार ने हैदराबाद और कोलकाता में एनएसजी के दो क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित करने का भी फैसला किया है। इनकी स्थापना हरियाणा में मानेसर स्थित एनएसजी बल की तर्ज पर की जायेगी। इन केन्द्रों की स्थापना के लिए भूमि अधिग्रहण करने के वास्ते कार्यवाही की जा रही है। वित्त वर्ष 2009-10 के बजट में इसके लिए 409.40 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गयी है। इसमें क्षेत्रीय केन्द्रों की स्थापना के लिए 150.09 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
 
 मुंबई केन्द्र के लिए महाराष्ट्र सरकार ने शहर में 23 एकड़ भूमि प्रदान की है। वर्तमान में एनएसजी केन्द्र पुलिस ट्रेनिंग सेंटर, कालिना, सांताक्रूज से संचालित किया जा रहा है। एनएसजी ने मरोल, थंगवे, मुंबई में भूमि का कब्जा ले लिया है और निर्माण कार्य शुरू हो गया है। उम्मीद है कि नवम्बर 2009 के अंत तक ढांचा तैयार हो जायेगा और एनएसजी केन्द्र स्वयं के परिसर में काम करने लगेगा।
 
 हैदराबाद में त्रिमूलघेरी में 22 एकड़ जमीन में एनएसजी केन्द्र की स्थापना की जायेगी। क्षेत्रीय केन्द्र के अलावा हैदराबाद में जल्दी ही एक पूर्ण एनएसजी क्षेत्रीय केन्द्र भी स्थापित किया जायेगा। क्षेत्रीय केन्द्र चालू हो जाने के बाद एनएसजी इस स्थिति में होगा कि दक्षिण भारतीय राज्यों में वीआईपी सुरक्षा (जिसके लिए एनएसजी को उत्कृष्टता केन्द्र घोषित किया जा चुका है), और बम निष्क्रिय करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पुलिस बलों को प्रशिक्षण दे सके। इसके साथ ही वह पुलिस कमांडो प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षण दे सकेगा।

तमिलनाडू में राज्य सरकार ने चेन्नई के निकट कांचीपुरम जिले में नेडुन्गुन्द्रम में एनएसजी केन्द्र की स्थापना के लिए 85 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। अशोक नगर, पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज परिसर, चेन्नई में एनएसजी सैनिकों के लिए अस्थायी अवासों की व्यवस्था की गयी है जबकि स्थायी भवनों का निर्माण अगले कुछ महीनों में शुरू कर दिया गया है। इस केन्द्र पर ढांचे के निर्माण की जिम्मेदारी एनबीसीसी को सौंपी गयी है और उम्मीद है कि इस वर्ष नवम्बर में यह केन्द्र काम करना शुरू कर देगा। तमिलनाडू सरकार से कहा गया है कि इस केन्द्र को केलम्बक्कम राज्य राजमार्ग से जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण पूरा करने के उपाय करे। निकट भविष्य में कोलकाता में एक क्षेत्रीय केन्द्र भी स्थापित किया जायेगा, जो अनिवार्य रूप से देश के पूर्वी भाग की देखरेख करेगा।
 
एनएसजी को विमान सुविधाएं प्रदान करना
विमान अधिनियम 1984 के अंतर्गत एक अधिसूचना जारी की गयी है जिसके अनुसार केन्द्र सरकार और एनएसजी के विभिन्न अधिकारियों को अधिकृत किया गया है कि वे किसी आपात स्थिति में एनएसजी के लिए विमान की मांग कर सकते हैं ताकि एनएसजी की टीमों को तत्काल घटनास्थल पर पहुंचाया जा सके। इस दिशा में एनएसजी और डीजीसीए के अंतर्गत पंजीकृत अनुसूचित एयरलाइंस ऑपरेटरों के बीच स्वैच्छिक समझौते भी हुए हैं।

एनएसजी की कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए केन्द्रों की स्थापना
एनएसजी क्षेत्रीय केन्द्रों की स्थापना आतंकवाद का सामना करने में एनएसजी की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ये केन्द्र भविष्य में किए जाने वाले किसी आतंकवादी हमले की स्थिति में कम से कम समय में त्वरित और प्रभावकारी कार्रवाई को प्रोत्साहित करेंगे। किन्तु, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को सफल बनाने के लिए सभी राज्य सरकारों और एजेंसियों द्वारा समन्वित कार्रवाई अनिवार्य है। यह तभी संभव है जब उपलब्ध  संसाधनों और कौशल को एकजुट किया जाये तथा परस्पर सहयोग किया जाये। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और बम निष्क्रिय करने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में राज्य पुलिस कार्मिकों को प्रशिक्षण प्रदान करके राज्य सरकारों की सहायता कर रहा है। अधिक संख्या में क्षेत्रीय केन्द्रों के अस्तित्व में आने के बाद वह इस कार्य को अधिक बड़े पैमाने पर अंजाम दे सकेगा।

 इन नए उपायों के बाद उम्मीद की जा सकती है कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड भावी चुनौतियों का सामना अधिक सुदृढ़ होकर कर सकेगा और उस अनुकरणीय समर्पण और व्यावसायिक उत्कृष्टता का प्रदर्शन अधिक सशक्त रूप में करेगा जिसके लिए वह जाना जाता है।

(लेखक मीडिया एवं संचार, पत्र सूचना कार्यालय, नई दिल्ली में निदेशक हैं)

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