उर्मिल कुमार की किताब भौरी कला का पुस्तक मेले में हुआ भव्य विमोचन

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लखनउ,
रिमझिम बरसात के बीच आज पुस्तक मेले का सांस्कृतिक पंडाल भरा हुआ था। मौका था नौटंकी कला के पुरोधा उर्मिल कुमार थपलियाल की लोकनाटक भौरीकथा पुस्तक के विमोचन की। पुस्तक का विमोचन केएल मल्टीमीडिया के चेयरमैन डा0 एसके गर्ग, साहित्यकार राज बिसारिया, कवि नरेश सक्सेना और वरिष्ठ रंगकर्मी सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ ने किया। इस मौके पर भावुक होते हुए उर्मिल कुमार ने कहा कि उनका यह लोकनाटक भौरीकथा लोकांचल की असहाय नारी के सनातन संघर्ष और चिरंतन पराजय को रेखांकित करता है। यह नाटक इस पराजित नारी की विरासत को नवचेतना सम्पन्न नई पीढ़ी को सौंपने का प्रयास करता है। उन्होंने पंडाल में उपस्थित लोगों से लुप्त होती नौटंकी कला को बचाने की भी अपील की और लोगो से अपनी इस लड़ाई में सहयोग मांगा। उन्होंने कहा कि नौटंकी को नया कंटेट देना होगा। उन्होंने पुस्तक के प्रकाशक के एल मल्टीमीडिया की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं प्रकाशक का दिल से अभारी हूं । केएल मल्टीमीडिया के चेयरमैन एसके गर्ग ने कहा कि लुप्त होती इस नौटंकी कला को बचाने के लिए उनसे जो भी हो सकेगा वह करेंगे । उन्हें जैसे ही इस प्रोजेक्ट के बारे में पता चला उन्होंने फौरन हामी भर दी। उन्होंने कहा कि नौटंकी को पुनःजीवित करने के लिये कारपोरेट जगत को आगे आना होगा। इस अवसर पर राज बिसारिया ने उर्मिल कुमार थपलियाल के व्यक्त्तिव कृतित्तव पर प्रकाश डालते हुए उन्हें अपनी शुभ कामनाए दी । सर्यू मोहन कुलश्रेष्ठ ने  कहा कि उर्मिल जी परम्परागत नाट्य शैलियो के साथ आधुनिक रंग मंच को साथ लेकर चले हैं। नई पीढ़ी के लिए वह एक आदर्श है । डा0 अनिल रस्तोगी ने उनके साथ बिताये अपने पचास वर्षों के समय को याद करते हुए उन्हें गीत संगीत साहित्य और रंगमंच का एक दुर्लभ सामंजस्य बताया । इस अवसर पर सुपर आइडिया के सम्पादक बृज गोपाल चंचल ने इस नाटक के प्रकाशन का उददेश्य बताया। इस मौके पर नगर के अनेक साहित्यकार और साहित्य प्रेमी मौजूद थे।

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