उपचुनाव में मोदी इफेक्ट व प्रदेश सरकार की लोकप्रियता की होगी परीक्षा

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‘सपा व भाजपा के लिए भविष्य की राजनीति व प्रतिष्ठा से जुड़ा है उप चुनाव

download{गोविन्द शुक्ला**}
भजपा के 11 व अपना दल के 1 विधायक के सांसद बन जाने के कारण व मैनपुरी लोक सभा क्षेत्र से सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह यादव के इस्तीफे के बाद रिक्त 12 विधान सभा व मैनपुरी लोक सभा के लिए सितम्बर-अक्टूबर में उप चुनाव सम्भावित है। इस चुनाव में बसपा के भाग न लेने से यह देखाना होगा कि इसका लाभ कौन दल उठा पाता है। भाजपा के लिए   12 विधान सभा सीटें जितना जहां चुनौती है व उसकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है, वहीं पर सपा के सामने अपनी सरकार की लोकप्रियता को साबित करने की परीक्षा है। वैसे सपा को कुछ सीटों पर जीत मिलती है तो उसे सुकून पहुॅचायेगा और भाजपा कुछ सीटों पर हारती है तो उसके लिए चिन्ता का विषय है। इन क्षेत्रों में भाजपा को जहां मोदी इफेक्ट को बनाये रखने के लिए कवायद करना है तो दूसरी  तरफ उनके वे सांसद जिन्होंने विधायक के तौर पर इन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहें थे, उनके लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है। भाजपा को लोक सभा चुनाव में अतिपिछड़ों का जहां भारी प्रतिशत में वोट मिला वहीं वह सपा व बसपा के परम्परागत मतों में भी सेधमारी करने में सफल रहें। अब देखना होगा कि क्या भाजपा अपना लोक सभा चुनाव की तरह ही अतिपिछड़ों, पिछड़ों व दलित वर्गों पर अपने प्रभाव का सिक्का जमा पाती है? तीन साध्वियों-उमाभारती (चरखारी), सावित्री बाई फूले (बलहा), निरंजन ज्योति (हमीरपुर) सहित निघासन, कैराना, रोहनिया, सिराथू आदि अतिपिछड़ा बहुल्य क्षेत्र है जिसमें हमीरपुर, बलहा, निघासन, निषाद बहुल, चरखारी लोधी व कैराना कश्यप बहुल क्षेत्र है। चरखारी में रायकवार निषाद की संख्य भी काफी अधिक है।  रोहनिया, सिराथू में भी निषाद, कवेटों की निर्णायक स्थिति है। लोक सभा चुनाव में भाजपा मछुआरा प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रदेश संयोजक लौटन राम निषाद की सक्रियता से प्रदेश का निषाद, मछुआरा वर्ग भाजपा के साथ जुटा रहा लेकिन अब निषाद आरक्षण मुद्दे पर भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो गये हैं। सपा ने विशम्भर प्रसाद निषाद को राज्य सभा में भेज कर अतिपिछड़ा कार्य खेला है लेकिन मछुआरों व अतिपिछड़ों ने इनकी स्वीकार्यता नहीं के बराबर है। सपा, भाजपा विधान सभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की तलाश में जुटे हुये हैं। भाजपा में टिकट के दावेदारों की लम्बी सूची है। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व समाजवादी पार्टी के नेता लौटन राम निषाद ने कहा कि विधान सभा चुनाव-2012 में निघासन, कैराना, हमीरपुर, चरखारी , सिराथू, बलहा आदि में भाजपा को जिताने गया था, अबकी बार उप चुनाव में सपा को जीताने में जी जान से जुटेंगे। हमीरपुर में साध्वी निरंजन ज्योति अपने भतीजे रमेश निषाद, या कुलदीप निषाद  (नगर पालिका चेयरमैन बिट्टो निषाद के पुत्र) को लड़ाने का मन बनाई है तो भाजपा बुन्देलखण्ड के क्षेत्रीय अध्यक्ष बाबू राम निषाद अपने प्रभाव व उमाभारती की नजदीकी के कारण टिकट के लिए हाथ पैर मार रहें है। क्षेत्रीय निषाद चाहते है कि निषाद, विकास महासभा की प्रबन्धक पुष्पा निषाद (इनके पति शिक्षा विभाग में अधिकारी व अच्छे सामाजिक सोच के व्यक्ति हैं) या प्रहलाद मांझी के उम्मीदवार बनाये जाने के पक्ष में है। वहीं विशम्भर प्रसाद निषाद पुराने भाजपाई शिव चरण प्रजापति के पुत्र मनोज प्रजापति व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति व विधान सभा प्रभारी रमेश कानपुर के माफिया विनोद प्रजापति को चुनाव लड़ाने के पक्ष में है। चरखारी से उमा की पसन्द डाॅ0 पवन राजपूत हैं वहीं सपा से विधान सभा चुनाव में उमा के खिलाफ चुनाव लड़ चुके कप्तान सिंह राजपूत कल्याण सिंह के सहारे भाजपा उम्मीदवार बनना चाह रहें है। सपा से पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत उम्मीदवार बनने की चर्चा में हैं। गंगा चरण लोधी, समाज के बड़े नेता तो हैं ही रायकवार व निषाद एक जुट इनके साथ जा सकते है और इनका अतिपिछड़ों में भी अच्छा प्रभाव है। अब देखना है कहां से कौन उम्मीदवार बनता है और उप चुनाव में किस दल का पलड़ा भारी रहता है।

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(गोविन्द शुक्ला)
सामाजिक व राजनीतिक समीक्षक
मो0-9616849003
*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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