आई।एन वी सी ,
हरियाणा,
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यिक गतिविधिवों को बढ़ावा देने के लिए चलाए जा रहे अपने कार्यक्रमों के तहत आज अकादमी भवन, पंचकूला में मासिक गोष्ठी की 7वीं कड़ी का आयोजन किया गया। अकादमी के निदेशक श्री श्याम सखा श्याम ने आज इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि समारोह में सुप्रसिद्ध कवि एवं पूर्व सांसद एवं कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ श्री उदय प्रताप सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. मैथिली प्रसाद भारद्वाज ने की। कार्यक्रम में प्रसिद्घ रचनाकार श्री उदय प्रताप ‘रू-ब-रू’ कार्यक्रम के तहत चर्चा की । श्री उदय प्रताप सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि आंसू से आनंद की यात्रा का नाम कविता है। राजनीति के पास पैर होते हैं आंखे नहीं। साहित्य और राजनीति एक-दूसरे के पूरक हैं। यह देश व समाज का सौभाग्य होगा कि साहित्य, राजनीति और नौकरशाही का मार्ग दर्शन करें। फारसी व ब्रज भाषा का प्रयोग पहली बार अमीर खुसरों द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि देश की अखंडता एवं एकता के लिए सभी भाशाओं में सद्भाव एवं निकटता होना अत्यन्त आवष्यक है। उनके काव्य पाठ के कुछ अंष देखिए-
भूल करना तो है मनुष्य का स्वभाव/किन्तु मूल में तो भावना पुनीत होनी चाहिए।
वंदनीय पुष्प है वही जो छोड़ जाए/बीज वसुधा में और सुगंध वितान में।
कल रात कमरे में खिड़की के रास्ते/ उतर आई किरणों की डोरी-डोरी चांदनी।
मुझको तो भेज दिया सपनों की दुनिया में/ बाद में खिसक गई चोरी-चोरी चांदनी।
प्रतिभा नामक एक लड़की की शादी वैभव से
यानि दुल्हन की डोली में पंख कटाकर चिडि़या बैठ गई
मेबाइलो के दौर के आशिक को क्या पता/रखते थे कैसे खत में कलेजा निकाल के।
यह कहके नयी रोशनी रोएगी इक दिन/अच्छे थे वही लोग पुराने ख्याल के।
न मेरा है न तेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है
नहीं समझी गई यह बात तो नुकसान सबका है।
हजारों रास्ते खोजे गए उस तक पहुंचन के/मगर पहुंचे हुए कह गए रब सबका है
सारी दुनिया को झुका सकता है वो/मां के कदमों से लिपट कर दुआ जो ले जाएगा।
जरा से प्यार को खुशियों की हर झोली तरसती है
मुकद्दर अपना-अपना है मगर अरमान सबका है।
अकादमी निदेषक डॉ. श्याम सखा ‘श्याम’ ने श्री उदय प्रताप सिंह को एक अनूठा शब्द शिल्पी, चिंतक, राजनीतिज्ञ एवं एक संजिदा शख्सियत बताया। डॉ. श्याम ने श्री उदय प्रताप का स्वागत अपने इस शेर से किया- तुझ से मिल कर सुर्खरू होता हूं तेरा जैसा हू-ब-हू होता हूं मैं। अपने कविता पाठ के दौरान उन्होंने कहा- जिश्त जब भी सवाल करती है मेरा जीना मुहाल करती है। मौत भी तो कमाल करती है सांसों की देखभाल करती है।
गोष्ठी में इंद्रजीत सिंह, बी.डी. कालिया, विनोद चौहान, जय गोपाल अष्क, के.के. नन्दा आदि कवियों ने भी कविता पाठ किया।
समारोह में दूरदर्शन केन्द्र चंडीगढ़ के निदेशक के के रत्तू तथा वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एवं साहित्यकार श्री राजवीर सिंह देशवाल विशिष्ट के रूप में उपस्थित थे। श्री देशवाल द्वारा प्रस्तुत बाल कविता को श्रोताओं द्वारा बहुत सराहा गया।
इस अवसर पर राधेश्षम शर्मा, विनोद कश्यप, डॉ. मीरा गौतम, डॉ. श्यामा भारद्वाज, सुशील हसरत नरेलवी एवं उर्मिल कौशिक, एस.एल. धवन, अमरजीत अमर, चमन लाल शर्मा, पवन बत्रा, केदारनाथ केदार, जे.के. सोनी, सतनाम सिंह, शशि प्रभा सहित अनेक साहित्यकार एवं साहित्य प्रेमी व श्रोताओं ने उपस्थित थे।