उत्तर प्रदेश में स्तनपान की दर में आई है 10% की गिरावट

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आई एन वी सी न्यूज़

नई दिल्ली ,

उत्तर प्रदेश में 6 माह से कम उम्र के शिशुओँ के स्तनपान की दर में 10% की गिरावट दर्ज की गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 (एनएफएचएस) के अनुसार सिर्फ 41.6% बच्चोँ को ही अपने जीवन के पहले 6 महीने तक स्तनपान करने का अवसर मिलता है, जबकि 2005-2006 के सर्वे में यह संख्या 51.3% पाई गई थी। यानि कि इस बार के सर्वे में 10% की गिरावट दर्ज की गई है।

अगर देश भर के आंकडोँ पर नजर डाली जाए, तो राज्य में दर्ज की गई दर चौंकाने वाली है, क्योंकि देशभर में 6 माह से कम उम्र के 55% बच्चोँ को स्तनपान का अवसर मिल रहा है। इस हिसाब से देश भर में स्तनपान की स्थिति में 9% का सुधार आया है।

कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद के डॉ. रंजना बसों कंसलटेंट आब्सटेट्रिक्स एंड गयनेकोलॉजिस्ट, का कहना है,“माँ का दूध नवजात शिशु की जीवनरेखा है, क्योंकि इसके अनिवार्य पोषक तत्व यह न सिर्फ शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाते हैं बल्कि उनके सेंसरी और संज्ञानात्मक विकास को भी बढावा देते हैं। नवजात के स्वस्थ्य विकास के लिए यह आदर्श भोजन है जिसकी तुलना किसी भी फॉर्मुला या सब्सिच्यूट से नहीं हो सकती है। स्तनपान बच्चे के साथ-साथ माँ की सेहत के लिए भी फायदेमंद रहता है।”

जन्म के एक घंटे के भीतर शुरुआत करके, 2 साल की उम्र तक बच्चे को स्तनपान कराया जा सकता है। एनएफएचएस के आंकडोँ के अनुसार, गाज़ियाबाद में, जन्म के घंटे के भीतर से लेकर 6 माह की उम्र तक के सिर्फ 23% बच्चोँ को एक्सक्लूसिव तौर अर स्तनपान कराया जाता है, जबकि 19.3% बच्चोँ को 3 साल तक स्तनपान का अवसर मिलता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अगर हर बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का दूध मिले और जीवन के पहले 6 महीने तक उन्हेँ सिर्फ स्तनपान कराया जाए, और अगले दो वर्षोँ तक अन्य चीजोँ के साथ-साथ स्तनपान भी कराया जाए तो हर साल 220,000 बच्चोँ की जान बचाई जा सकती है।

डब्ल्युएचओ यह सुझाव देता है कि 6 माह की उम्र के बाद शिशुओँ को माँ के दूध के अलावा अन्य खाद्य सामग्री भी देना चाहिए, 6-8 महीने के बच्चोँ को शुरुआती दिनोँ में दिन भर में 2-3 बार दिया जाना चाहिए, जिसे उम्र के साथ बढाते हुए 9-11 माह के बीच 3-4 बार और फिर 12 से 24 माह के बीच बच्चोँ को अतिरिक्त पोषक आहार के साथ दिन भर में दो बार माँ का दूध मिलना चाहिए।

डॉ. रंजना के अनुसार, “जिन बच्चोँ को जन्म के बाद एक घंटे के भीतर माँ का दूध मिलता है, उन्हेँ कोलोस्ट्रम मिलता है जिसमेँ भरपूर मात्रा में एंटीबॉडीज होते हैं। पर्याप्त स्तनपान से बच्चोँ में बीमारियोँ के खिलाफ बेहतर प्रतिरोध क्षमता विकसित होती है और उनका डायरिया, न्युमोनिया और एनीमिया जैसी बीमारियोँ से बचाव होता है।“

यहाँ तक कि, एक यूएन रिपोर्ट यह भी कहती है कि भारत में हर साल एक लाख ऐसे बच्चोँ की मौत बीमारियोँ के चलते हो जाती है जिन्हेँ पहले 6 माह तक एक्सक्लूसिव स्तनपान और आगे इसे जारी रखकर बचाया जा सकता है।

माँ के दूध में प्रीबायोटिक ह्युमन मिल्क ओलिगोसैचराइड्स (एचएमओ) मिलता है जो संरचनात्मक रूप से एक जटिल शुगर मॉलिक्यूल हैऔर यह सिर्फ इंसान के स्तन से आने वाले दूध में ही मिलता है, यह नवजात शिशुओँ की आंत में माइक्रोबायोटा के विकास में सहायक है, जो बच्चोँ में एलर्जिक बीमारियोँ के खिलाफ प्रतिरोध सुनिश्चित करता है। एचएमओ मानवीय दूध में सबसे अधिक पाया जाने वाला तीसरा तत्व है। इसमेँ सबसे अधिक लैक्टोस और फैट मिलता है। वैज्ञानिक साक्ष्य भी इस बात का समर्थन करते हैं कि स्तनपान से बाल मृत्यु दर, कुपोषण और गैर संचारी बीमारियोँ का असर कम हो सकता है। स्तनपान से बच्चोँ को कान में संक्रमण, न्युमोनिया, पेट के वायरस और डायरिया,लिम्फोमा, ल्युकीमिया, क्रॉन्स डिजीज, अस्थमा, एक्जिमा, डायबीटीज और सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम (एसआईडीएस) होने का खतरा कम रहता है।

स्तनपान कराना माँ के लिए भी फायदेमंद रहता है, क्योंकि इससे जल्दी वजन कम होता है। यहाँ तक कि, स्तनपान कराने वाली महिला दिन भर में 1000 कैलोरी तक कम कर लेती है। जिन महिलाओँ ने स्तनपान कराया होता है उनमेँ स्तन अथवा गर्भाशय का कैंसर, दिल की बीमारियाँ और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम रहता है।

माँओँ के बीच स्तनपान को बढावा देने के लिएभारत ने मिल्क स्ब्सिच्यूट, फीडिंग बॉटल, एवम इनफैंट फूड्स एक्ट (आईएमएस एक्ट) 2003 को अधिनियमित किया है, जो नवजात बच्चोँ के मिल्क सब्सिच्यूट के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही, मुम्बई व नई दिल्ली में मानवीय डोनर मिल्क के लिए मिल्क बैंक खुले जो अब अन्य महानगरोँ मे विकसित किए जा रहे हैं।

हालांकि, अब भी स्तनपान के रास्ते में कई रुकावटेँ हैं, जैसे कि इसके फायदोँ को लेकर अनदेखी का भाव, परिवार और मित्रोँ से मिलने वाले अनुपयुक्त सुझाव फॉर्मुला मिल्क को बढवा देते हैं, रोजगार प्रदाताओँ द्वारा काम की जगहोँ पर स्तनपान के लिए अनुकूल वातावरण मुहैया न कराया जाना और ऐसे प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियोँ की कमी जो नई माँओँ को स्तनपान कराने की सही तकनीक के बारे में बता सकेँ।

बच्चे और माँ दोनो के लिए एक्सक्लूसिव स्तनपान के फायदोँ से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है। यहाँ बताए जा रहे हैं कुछ टिप्स जिन्हेँ अपनाकर सही तरीके से एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग करा सकते हैं।

·         बच्चे के जन्म के बाद एक घंटे के भीतर उसे स्तनपान कराना सुनिश्चित करेँ

·         पहले 6 महीने तक बच्चे को कोई भी सप्लिमेंट अथवा यहाँ तक कि पानी भी न देँ

·         जब भी बच्चे को जरूरत महसूस हो, तब उसे स्तनपान कराएँ

·         यहाँ तक कि रात में भी बच्चे को स्तनपान कराया जाना चाहिए। ऐसे में बच्चे को अपने साथ सुलाना फायदेमंद हो सकता है

·         बच्चे को आर्टिफिशियल निप्पल और पैसिफायर से दूर रखेँ ताकि उसे निप्पल के कंफ्युजन से बचाया जा सके

·         हॉस्पिटल में डॉक्टर और नर्सोँ को पहले से यह स्पष्ट कर देँ कि आप बच्चे को एक्सक्लूसिवली नर्सिंग देना चाहती हैं

·         अगर आप एक वर्किंग माँ हैं और आपको काम पर वापस लौटना है तो भी आप एक्सक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग जारी रख सकती हैं, इसके लिए आप बच्चे को पम्प किया हुआ ब्रेस्ट मिल्क दे सकती हैं। इसे एक साफ कंटेनर में स्टोर करेँ और बच्चे की देखभाल करने वाले व्यक्ति कि हिदायत देँ कि बच्चे को सिर्फ यही दूध दिया जाए। घर वापस लौटने के बाद दोबारा स्तनपान शुरू करेँ।

·         यहाँ तक कि अगर आपके जुडवा बच्चे हुए हैं तो भी आपके दोनो बच्चोँ के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन हो सकता है।



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