उच्च शिक्षा का हो रहा तेजी से विकास

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आई एन वी सी न्यूज़
पटना,
‘‘विश्व-पटल पर नये भारत का पुनरूत्थान हो रहा है। आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ शैक्षिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि भी बेहद जरूरी होती है। भारत की प्राचीन ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यन्त समृद्ध रही है। जरूरत है कि आज अपनी प्राचीन सांस्कृतिक और शैक्षिक समृद्धि से प्रेरणा ग्रहण करते हुए मौजूदा दौर की चुनौतियों का सामना करने के लिए हम दृढ़संकल्पित हो जाएँ।’’ -उक्त विचार, महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति श्री लाल जी टंडन ने स्थानीय एस॰के॰ मेमोरियल हॉल में आयोजित पटना विश्वविद्यालय के वार्षिक ‘दीक्षांत समारोह’ को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए व्यक्त किये।

राज्यपाल ने कहा कि यह अत्यन्त सुखद संकेत है कि हम आज पुनः अपनी प्राचीन सांस्कृतिक विरासत और ज्ञान-सम्पदा में से ही सार्थक तत्वों की पहचान कर आधुनिक युग की चुनौतियों और समस्याओं का समाधान तलाशने में जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि लार्ड मैकाले की पाश्चात्य शिक्षा-व्यवस्था की जगह हमें अपनी जड़ों में ही जीवंत तत्वों की खोज कर समाधान के मार्ग-तलाशने होंगे। राज्यपाल ने कहा कि हम आज लॉर्ड मैकाले की सोच से उबरकर, चंदा-राशि से बी॰एच॰यू॰ जैसा भव्य शैक्षणिक संस्थान स्थापित कर देनेवाले पं॰ मदन मोहन मालवीय की शैक्षिक

विचारधारा की ओर मुड़ रहे हैं। श्री टंडन ने कहा कि इस ‘दीक्षांत समारोह’ का परिधान और माथे की ‘मालवीय टोपी’ यह बता रही है कि हम अपनी मूल ‘थाती’ से प्रेरणा ग्रहण करना सीख गये हैं।

राज्यपाल ने कहा कि बिहार राज्य में भी उच्च शिक्षा का तेजी से विकास हो रहा है। आज एक को छोड़कर सभी विश्वविद्यालयों में ‘दीक्षांत समारोह’ आयोजित कराते हुए छात्रों को ससमय डिग्रियाँ उपलब्ध करा दी गई हैं ताकि वे अपने भविष्य को सँवार सकें और जीविका उपार्जित कर सकें। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण सार्थक और सकारात्मक बनाने के उद्देश्य से नियमित वर्ग-संचालन करने की हिदायत दी गई है। उन्होंने कहा कि समय पर परीक्षा-आयोजन और परीक्षाफल-प्रकाशन सुनिश्चित करने के लिए सभी कुलपतियों को निदेशित कर दिया गया है। विश्वविद्यालयों में न्दपअमतेपजल डंदंहमउमदज प्दवितउंजपवद ैलेजमउ (न्डप्ै) इसी वर्ष से पूरे राज्य में लागू होने जा रहा है, जिससे छात्र एवं शिक्षक काफी लाभान्वित होंगे। विश्वविद्यालयों में स्वच्छता एवं पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से ‘क्लीन एवं ग्रीन यूनिवर्सिटी’ का विशेष अभियान चलाया गया है। ‘हर परिसर-हरा परिसर’ नामक वृक्षारोपण योजना के तहत आज विश्वविद्यालय-महाविद्यालय परिसरों में काफी संख्या में वृक्ष लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों ससमय डिग्री-वितरण एवं प्रमाण-पत्र-वितरण की समुचित व्यवस्था कराने का निदेश सभी विश्वविद्यालयों को दिया गया है। आशा है, पटना विश्वविद्यालय में भी प्रमाण-पत्र के लिए ‘ऑन-लाईन’ आवेदन की सफल व्यवस्था जून महीने से कार्यान्वित हो जायेगी।

राज्यपाल ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का अपना ैमसि ैजनकल त्मचवतज (ैत्) नैक-मूल्यांकन हेतु स्वीकृत हो चुका है और अब आपके यहाँ छ।।ब् की टीम का दौरा होगा।
 
इसकी तैयारी में आप सभी शिक्षक, छात्र, कर्मचारी दिन-रात जुटें हैं। पूरी उम्मीद है कि आपका परिश्रम सफल होगा और पटना विश्वविद्यालय को छ।।ब् का अच्छा ग्रेड प्राप्त हो सकेगा।

राज्यपाल ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के इस बार के ‘दीक्षांत समारोह’ में कुल 42 स्वर्ण पदकों में से 31 स्वर्ण पदक मेधावी छात्राओं को ही मिले हैं। यह राज्य में महिला- सशक्तीकरण की सुदृढ़ स्थिति का संकेतक है। राज्यपाल ने कहा कि डिग्री लेकर विद्यार्थी विभिन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए जीवन के खुले प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में प्रवेश कर जाते हैं। राज्यपाल ने डिग्री-प्राप्तकर्त्ता सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ एवं आर्शीवचन प्रदान किये।

कार्यक्रम में बोलते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री श्री कृष्ण नन्दन प्रसाद वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा पर यथेष्ट राशि खर्च कर रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महामहिम राज्यपाल के मार्ग-दर्शन में उच्च शिक्षा प्रक्षेत्र को आधुनिक युग की जरूरतों के अनुरूप विकसित करने में निश्चय ही कामयाबी मिलेगी।

कार्यक्रम में ‘दीक्षांत-भाषण’ देते हुए भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान (प्ब्ैत्) के अध्यक्ष डॉ॰ बी॰बी॰ कुमार ने कहा कि यद्यपि आज भी शिक्षा-व्यवस्था स्वयं एक बोझ बन गई है, किन्तु इसको सँवारने और युगीन जरूरतों के अनुरूप तैयार करने के लिए भी हमें शिक्षा और विचार-संस्थानों की ही शरण में जाना होगा। उन्होंने कहा कि हमें ‘डिनायल सिन्ड्रोम’ से उबरकर सकारात्मक चिन्तन करना चाहिए तथा अपनी विरासतों और सुदीर्घ गौरवशाली परंपराओं में ही अपनी प्रगति और मजबूती की दिशा खोजनी चाहिए। जड़ो से जुड़ाव बेहद जरूरी होता है। प्रो॰ कुमार ने कहा कि 15वीं शताब्दी तक भारवतर्ष एक अत्यन्त समृद्ध और सम्पन्न राष्ट्र रहा है। सन्् 1840 तक हमारा 24.4 प्रतिशत वैश्विक समृद्धि पर कब्जा रहा। परन्तु अंग्रेजी सल्तनत के शासन-काल में हमारी जो आर्थिक बदहाली हुई, उससे हम आज भी उबर नहीं पाये हैं। श्री कुमार ने कहा कि बड़े देश में काफी कठिन प्रतिस्पर्धा है, परन्तु अपने परिश्रम, प्रतिभा और दृढ़निश्चयों के बल पर हम नये भारत के निर्माण में सफल हो जाएँगे।
‘दीक्षांत-समारोह’ में पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो॰ रासबिहारी प्रसाद सिंह ने विस्तारपूर्वक पटना विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का उल्लेख अपनी प्रतिवेदन-प्रस्तुति के दौरान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी की समस्या से निबटने के लिए 95 अंशकालिक शिक्षकों को शीघ्र ही विश्वविद्यालय-प्रशासन नियुक्त कर देगा। उन्होंने कहा कि एन॰डी॰एल॰ से पटना विश्वविद्यालय को जोड़ा जा रहा है। उत्कृष्ट शोध-पत्र प्रस्तुत करनेवाले शिक्षक-छात्र भी प्रोत्साहित हो रहे हैं।

‘दीक्षांत समारोह’ में 2018 में उत्तीर्ण कुल 1608 विद्यार्थियों में 872 को आज सभागार में डिग्री प्रदान की गई। ज्ञातव्य है कि कुल उत्तीर्ण विद्यार्थियों में 895 छात्राएँ रहीं।
‘दीक्षांत समारोह’ का संचालन कुलसचिव कर्नल मनोज मिश्रा ने किया। रामारोह में राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री विवेक कुमार सिंह, प्रतिकुलपति प्रो॰ डॉली सिन्हा सहित कई विश्वविद्यालयों के कुलपति-प्रतिकुलपति, अभिषद््, अनुषद्् एवं विद्वत परिषद् के सदस्य, संकायाध्यक्षगण, वरीय शिक्षकगण, बुद्धिजीवीगण आदि भी उपस्थित थे।
 



 

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