ईमानदारी के गाल पर भ्रष्टाचार का तमाचा?

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kejriwal8{ निर्मल रानी ** }
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर होने वाले हमले थमने का नाम ही नहीं ले रहे। अब तक उन पर पांच बार आक्रमण किया जा चुका है। बड़े अ$फसोस की बात तो यह है कि जिन राजनैतिक दलों को केजरीवाल $खतरा महसूस हो रहे हैं उन दलों के नेतागण ऐसे हमलों को जायज़ ठहरा रहे हैं। $खासतौर पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि केजरीवाल ने जनता से झूठे वादे किए तथा वह कहते कुछ और हैं करते कुछ और हैें। इसीलिए जनता में उनके प्रति आक्रोश है और उस आक्रोश की परिणिती केजरीवाल पर बार-बार होने वाले हमलों के रूप में दिखाई दे रही है। क्या वास्तव में राजनैतिक पार्टियों का केजरीवाल पर लगाया जाने वाला यह आरोप सही है? क्या देश की जनता भ्रष्टाचार व कुरूप होती राजनीति के विरुद्ध आर-पार का संघर्ष करने वाले केजरीवाल से दु:खी होकर परंपरागत भ्रष्ट,अनैतिक व सिद्धांतविहीन राजनीति को ही अपना भाग्य समझने के लिए मजबूर है?
अरविंद्र केजरीवाल पर हुआ ताज़ातरीन हमला एक ऑटो रिक्शा चालक द्वारा किया गया। हालांकि उस आक्रमणकारी ऑटो रिक्शा चालक ने केजरीवाल के प्रति अपनी नाराज़गी के कारणों का भी मीडिया के समक्ष जि़क्र किया। परंतु घटना के $फौरन बाद कई टीवी चैनल्स के पत्रकारों ने दिल्ली के कई ऑटो रिक्शा स्टैंड का दौरा किया तथा कई ऑटोचालकों व उनकी यूनियन के पदाधिकारियों से बातचीत की। लगभग पूरी दिल्ली के ऑटो चालक अरविंद केजरीवाल के एहसानमंद व शुक्रगुज़ार नज़र आए। हर एक ऑटो चालक ने अरविंद केजरीवाल की बेहद प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि किस प्रकार केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते पुलिस वालों ने उनसे नाजायज़ वसूली बंद कर दी थी तथा आए दिन होने वाला चालान भी बंद हो गया था। सभी ने एक स्वर में उस आक्रमणकारी ऑटो चालक की हरकतों की घोर निंदा की तथा इस घटना को ऑटो रिक्शा समाज के लिए कलंक तथा अपमानजनक बताया। परंतु अपनी भड़ास केजरीवाल पर निकालने वाले भाजपाई इस हमले को न्यायोचित बताते हुए यह कहते दिखाई दिए कि यह हमला केजरीवाल के प्रति जनता के $गुस्से का परिचायक है। हालांकि इस घटना का अब पटाक्षेप हो चुका है और अरविंद केजरीवाल हमलावर ऑटो रिक्शा चालक सहित एक अन्य हमलावर के घर जाकर उन्हें उनकी ‘कारगुज़ारियों’ के लिए मा$फ कर आए हैं। उधर हमलावर भी केजरीवाल के समक्ष शर्मिंदगी के साथ मा$फी भी मांग चुके हैं।
परंतु सवाल यह है कि केजरीवाल ने अपनी मात्र एक वर्ष की राजनैतिक यात्रा में इस देश और देश के लोगों का $खासतौर पर दिल्लीवासियों का ऐसा क्या नु$कसान किया है कि जनता उनसे इतनी अधिक नाराज़ हो गई कि उनपर लगातार हमले पर हमले किए जाने लगे? और स्वतंत्रता के सात दशकों के दौरान देश के परंपरागत राजनैतिक दल व सत्ता पर $कब्ज़ा जमाने वाली पार्टियों ने इस देश को व देशवासियों को ऐसा क्या दे दिया है जिसकी वजह से जनता इन्हें अपनी सर आंखो पर बिठाती है और केजरीवाल को थप्पड़ और काली स्याही से नवाज़ती है? दरअसल केजरीवाल पर होने वाला हमला जनता के $गुस्से का प्रतीक नहीं बल्कि यह सब उन राजनैतिक दलों के नेताओं की साजि़श का परिणाम है जिनको हर समय केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता का भूत सताए रहता है। अपने 49 दिनों के शासन में केजरीवाल ने दिल्ली में जो कर दिखाया वह अपने-आप में न केवल एक मिसाल है बल्कि उसे देखकर दिल्ली की सत्ता का सपना देखने वाले दलों को भी इस बात की चिंता सताने लगी है कि अब आ$िखर उनकी ऐशपरस्ती,भ्रष्टाचार तथा मनमानी का क्या होने वाला है? जिस प्रकार चंद दिनों के शासन में केजरीवाल सरकार ने भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए बा$कायदा संकल्प लिया तथा कई पारदर्शी व कारगर $कदम भी उठाए। आज तक दिल्ली की किसी सरकार ने ऐसा नहीं किया। दिल्ली में जनदरबार लगाने की उनकी योजना भले ही जनता की बड़ी संख्या में आने की वजह से असफल रही हो। परंतु इस योजना के पीछे केजरीवाल सरकार की नेकनीयती ही नज़र आती है। क्या आज तक देश के किसी राज्य और किसी के शासन में इस प्रकार मंत्रियों व विधायकों द्वारा सचिवालय के बाहर सडक़ पर बैठकर जनता की समस्याओं को सुलझाने की पहल की गई है?
अरविंद केजरीवाल के 49 दिन के शानदार कार्यकाल को नज़रअंदाज़ कर उनसे भयभीत उनके विरोधी उन्हें भगोड़ा कहकर उनकी छवि $खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि इतिहास में कोई भी मुख्यमंत्री ऐसा नहीं मिलेगा जिसने भ्रष्टाचार को रोकने संबंंधी किसी विधेयक के सदन में पारित न होने के विरोधस्वरूप त्यागपत्र दिया हो। आज लगभग सभी दल मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने के लिए क्या कुछ नहीं कर रहे?भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे दल व नेता अपने बदनुमा चेहरों पर पर्दा डालने के लिए कहीं सांप्रदायिकता का ज़हर घोल रहे हैं तो कहीं मंदिर-मस्जिद के नाम का सहारा ले रहे हैं। कहीं जातिवाद के नाम पर चुनाव लड़ा जा रहा है तो कहीं किसी बाहुबली को चुनाव मैदान में उतारकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की कोशिश की जा रही है। कहीं बड़े कारपोरेट घरानों की सहायता से चुनाव लड़ा जा रहा है तो कहीं भ्रष्टाचारियों व दलबदलुओं को गले लगाकर जीत के लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश की जा रही है। और ऐसे ही लोगों द्वारा अरविंद केजरीवाल को भगोड़ा बताया जा रहा है। जबकि पूरी दुनिया में भारत को कलंकित करवाने वाले तथा पूरे देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की ज़हरीली $िफज़ा बनाने वाले व्यक्ति को देश का भावी प्रधानमंत्री बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। देश के लगभग सभी टीवी चैनल्स व समाचार पत्र-पत्रिकाएं,कारपोरेट घरानों द्वारा समर्थित राजनैतिक दलों द्वारा किए गए विज्ञापनों से पटे पड़े हैं। सा$फ प्रतीत हो रहा है कि जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी है तथा जिसके पास जितनी अधिक काली कमाई है या जिसे धन्ना सेठों का जितना अधिक समर्थन प्राप्त है वह उतना ही अधिक विज्ञापन अपने पक्ष में प्रसारित कर रहा है। परंतु आम आदमी पार्टी जिससे देश के ईमानदार लोगों को का$फी उम्मीदें हैं वह विज्ञापन व निश्चित रूप से चुनाव प्रचार की इस $खर्चीली दौड़ में बहुत पीछे हैं।
‘भगोड़े’ अरविंद केजरीवाल द्वारा इन सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों तथा गांधीवादी राष्ट्रभक्तों से बार-बार यह सवाल सार्वजनिक मंचों से पूछा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी,सोनिया गांधी तथा राहुल गांधी जिन विमानों का प्रयोग अपने चुनाव प्रचार के लिए कर रहे हैं वे विमान आ$िखर किसके हैं? और कौन इसका $खर्च उठा रहा है। इसके जवाब में यह कहा जाता है कि केजरीवाल भगोड़ा है। वह पाकिस्तान का एजेंट है। केजरीवाल माओवादियों का प्रतिनिधि है। वह अमेरिकी एजेंट है। केजरीवाल नास्तिक है। केजरीवाल पहले नास्तिक था अब गंगा में डुबकी क्यों लगा रहा है? वह अपनी पत्नी से नौकरी छोडऩे को क्यों नहीं कहता? वग़ैरह-वग़ैरह।  मात्र एक हवाई जहाज़ के प्रयोग के बारे में पूछने पर उपरोक्त जवाब दिए जाते हैं। और फिर भी जब केजरीवाल के सवालों की झड़ी जारी रहती है तो बीच-बीच में बड़े ही सुनियोजित तरी$के से उसके मनोबल को गिराने के लिए उसपर हमले करवा दिए जाते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि दिल्ली सरकार रूपी सजी-सजाई थाली सामने से खींचने वाले केजरीवाल पर भविष्य में कोई और भी जानलेवा हमला उस समय किया जाए जबकि देश की सत्ता को हासिल करने के रास्ते में केजरीवाल उन्हें कांटा नज़र आने लगे?
राजनैतिक दलों को यह सोचने की भूल हरगिज़ नहीं करनी चाहिए कि अरविंद केजरीवाल तथा उनके साथ खड़े ईमानदार लोगों की राष्ट्रव्यापी टीम इन हमलों से डरने या घबराने वाली है। अरविंद केजरीवाल का मनोबल भी इन हमलों से टूटने वाला नहीं। अहंकार का अंत तो उस महान बलशाली व महाज्ञानी रावण का भी हो गया था जिसने स्वयं भगवान से अपनी मृत्यु न होने का वरदान प्राप्त कर रखा था। हमारे देश का इतिहास हमेशा से इस बात का गवाह है कि जीत हमेशा सच्चाई की ही होती आई है। भले ही इसके लिए $कुर्बानियां क्यों न देनी पड़ी हों। देश की जनता भी केजरीवाल पर होने वाले इन हमलों को नकारात्मक तरी$के से देखने के बजाए उसी नज़रिए से देख रही है कि केजरीवाल के गाल पर लगने वाला एक-एक तमाचा ईमानदारी के गाल पर लगने वाला भ्रष्टाचार का तमाचा है, सत्य के गाल पर असत्य का तमाचा है। इतना ही नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का यह आतंक पूरे देश में अब तक सैकड़ों लोगों की जानें भी ले चुका है। निश्चित रूप से देश इस समय बड़ी $कुर्बानियां मांग रहा है साथ-साथ देश की भ्रष्ट व्यवस्था से पनाह भी ढंूढ रहा है।
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Nirmal Rani** निर्मल रानी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer )
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City 134002 Haryana
Phone-09729229728

*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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