इस हफ्ते भारत-चीन कोर कमांडर्स की 8वीं बैठक हो सकती है

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लद्दाख में चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत ने अमेरिका से एक अहम सैन्य डील की है। इसमें लद्दाख में तैनात जवानों के लिए सर्दियों से जुड़ा जरूरी सामान तत्काल आधार पर खरीदा गया है। बताया गया है कि यह तनाव के बीच सर्दियों में तैनाती के लिए जरूरी था। क्योंकि अब धीरे-धीरे तापमान -30 डिग्री तक चला जाएगा। भारत और अमेरिका के बीच लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम समझौते के तहत खरीदा गया है, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच लॉजिस्टिकल सपोर्ट, आपूर्ति और सेवाओं की सुविधा प्रदान करता है। दरअसल लद्दाख में जारी तनाव को कई महीने बीत चुके हैं। दोनों ही देशों ने हजारों जवानों, टैंक, मिसाइल आदि को इस बॉर्डर के आसपास तैनात कर दिया है। दोनों ही देशों के फाइटर जेट्स स्टैंड बाय मोड पर हैं। फिलहाल बातचीत जारी है लेकिन चीन अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं है।इसके बाद विवाद सर्दियों से आगे खिंचता दिख रहा है। यानी जवानों को  -30 डिग्री पर वहीं तैनात रहना होगा। 15000 फीट की ऊंचाई पर तापमान -30 डिग्री तक चला जाता है। अब तक भारत युद्ध से संबंधित ऐसी किट्स के लिए यूरोप या चीन पर निर्भर था। लेकिन अब अमेरिका भी लिस्ट में शामिल है। भारत और अमेरिका ने पहले ही साजो-सामान की सहायता से जुड़ा समझौता किया हुआ है। इसमें एक दूसरे से तेल, युद्धपोत और एयर क्राफ्ट्स के पार्ट्स खरीदे जा सकते हैं। यह समझौता अगस्त 2016 में साइन हुआ था।
भारत और चीन के बीच बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए कोर कमांडर्स की सात बैठक हो चुकी हैं। लेकिन कुछ परिणाम नहीं निकला है। इस हफ्ते भारत-चीन कोर कमांडर्स की 8वीं बैठक हो सकती है। सातवी बैठक के बाद दोनों पक्ष बातचीत के जरिए गतिरोध को सुलझाने के लिए राजी हुए थे और आगे भी सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए संवाद करने को लेकर सहमति जताई थी। चीन से सीमा विवाद को देखते हुए लद्दाख में जवानों की संख्या करीब दोगुनी हो गई है। हर साल नवंबर तक लद्दाख में रसद, हथियार, गोला-बारूद का 6 महीने के लिए स्टॉक रख लिया जाता है, क्योंकि बर्फबारी शुरू होते ही सड़क मार्ग का संपर्क लेह से कट जाता है। इसके बाद लगातार श्रीनगर और मनाली के रास्ते भारतीय सेना के ट्रक रसद लेकर लद्दाख की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ ही परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर और चिनूक को भी सप्लाई के काम में लगाया गया है। वहीं भारतीय वायुसेना ने भी अपनी कमर कस ली है, जिस वजह से सुखोई, मिराज, मिग, राफेल जैसे विमानों को अग्रिम एयरबेसों पर उतारा जा रहा है। P[LC.
 

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