इलेक्ट्रिक वाहनों को सम विषम से छूट

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राजधानी में सोमवार से वाहनों के लिए सम-विषम योजना लागू हो गया है। इसमें सीएनजी वाहनों को भी छूट नहीं दी गई है। इस दौरान सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में कमी से सार्वजनिक वाहनों में यात्रियों की भीड़ देखने को मिल रही है। बता दें कि यह योजना सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक लागू रहेगी।बसों की कमी से निपटने के लिए किराये पर 850 बसें मंगवाई गई हैं, तो कैब और ऑटो के सफर पर अतिरिक्त किराया न लगने से भी यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं, मेट्रो यात्रियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त फेरे लगाएगी।

सम-विषम के दौरान दिल्ली सरकार के कार्यालयों का वक्त बदला गया है। सुबह 9.30 और 10.30 बजे से कामकाज शुरू होगा। देर से शुरू होने वाले दफ्तर सात बजे तक खुले रहेंगे।

1000 इलेक्ट्रिक वाहनों को सम विषम से छूट
नई दिल्ली। सम विषम के दौरान गैर मालवाहक (नॉन ट्रांसपोर्ट) इलेक्ट्रिक वाहनों को छूट दी गई है। इससे दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाली करीब 1000 इलेक्ट्रिक वाहनों को फायदा मिलेगा। दिल्ली में ऐसे 1000 से कम वाहन ही रजिस्टर्ड हैं। इन वाहनों की संख्या काफी कम होने की वजह से न तो सड़कों पर जाम लगेगा, नतीजतन अन्य वाहनों से भी प्रदूषण की आशंका नहीं होगी। इन वाहनों को कार्रवाई के दायरे से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है। अब सम विषम के दौरान भी ऐसे इलेक्ट्रिक वाहन जिनका इस्तेमाल सामान ले जाने की बजाय निजी कार्यों के लिए किया जा रहा है उन्हें छूट होगी।

इस तरह चलेंगे वाहन
वाहन के आखिरी नंबर से तय होगा कि वह सड़क पर आ सकता है या नहीं। यदि आखिरी नंबर 1, 3, 5, 7 और 9 है तो यह 5, 7, 9, 11, 13 और 15 नवंबर को सड़क पर चल सकता है। 0, 2, 4, 6, 8 नंबर वाले वाहन 4, 6, 8, 10, 12 व 14 नवंबर को चल सकते हैं।

अनदेखी पर कटेगा 4000 का चालान

सम-विषम के नियमों की अनदेखी करने पर 4000 रुपये का चालान काटा जाएगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से अलग अलग विभागों की टीमें तैनात कर दी गई हैं। डीटीसी और ट्रैफिक पुलिस ने अतिरिक्त टीमें तैनात कर दी हैं।

स्कूली बच्चों के लिए वाहनों को छूट
सम-विषम के दौरान बस या छोटे वाहनों में अगर बच्चे यूनिफॉर्म में हैं तो उन्हें छूट होगी, लेकिन यह छूट स्कूल शुरू होने और छुट्टी के दौरान ही होगी। स्कूली बच्चों को लेकर आने जाने वाले वाहनों को छूट दी गई है।

बसों के शामिल होने का सिलसिला जारी
हालात से निपटने के लिए डीटीसी ने बसों की संख्या में बढ़ोतरी के टेंडर निकाले थे। इसके तहत 2000 बसें किराये पर मंगवाई गईं, लेकिन अब तक 850 बसें ही पहुंची हैं। टेंडर का वक्त बढ़ाने के बाद भी अधिक बसें नहीं शामिल नहीं हो सकीं। डीटीसी अधिकारियों का कहना है कि आगे भी बेड़े में बसें शामिल किए जाने का सिलसिला जारी है।  PLC.

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