आई.एन.वी.सी.,,
अदीस अबाबा ,,
इथोपिया,,
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज अदीस अबाबा में इथोपिया की संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इथोपिया की संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित करना बड़ सम्मान की बात है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर खुशी प्रकट की कि इस महान देश के दौरे पर आने वाले वे पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
प्रधानमंत्री ने इथोपिया की संसद को भारत की हार्दिक एवं मैत्रीपूर्ण शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि भारत ने भी इथोपिया की तरह विकास एवं लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना किया है। प्रधानमंत्री ने इथोपिया को मानवता की विकास भूमि बताया। उन्होंने कहा कि यह रणनीतिक रूप से पूर्वोत्तर अफ्रीका या सोमाली प्रायद्वीप में स्थित है तथा पूर्वी अफ्रीका का प्रवेश द्वार है। यह महान प्राकृतिक सुंदरता की भूमि है जो अफ्रीका में सर्वाधिक प्राचीन साम्राज्य का घर था।
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत और इथोपिया एक-दूसरे के लिए अजनबी नहीं हैं। कई शताब्दी पहले अफ्रीका और भारत जमीन के एक बड़े टुकड़े के रूप में जुड़े हुए थे। आज हम हिंद महासागर के पानी से विभाजित हैं, लेकिन हमारे रिश्ते बहुत गहरे हैं और इतिहास के उतार-चढ़ाव भरे दौर के साथ सम़ृद्ध और विविधतापूर्ण हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारी सोने एवं हाथी दांत के लिए रेशम एवं मसालों का व्यापार करने के लिए अदुलिस के प्राचीन बंदरगाह के लिए एकत्र हुए। व्यापारियों और दस्तकारों सहित बहुत बड़ा भारतीय समुदाय यहां आया और 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यहां बस गया। दूसरी दिशा में भी यही रुख देखा गया। इथोपिया मूल के हजारों लोग भारत के पश्चिमी तट पर भारतीय समाज के आंतरिक अंग के रूप में बस गए। महाराष्ट्र में मुरुद जंजीरा का किला भारत में अफ्रीकी प्रभाव के संकेत के रूप में खड़ा है। इस तरह के आदान-प्रदान के उल्लेखनीय परिणाम हुए और हमारी परंपराओं एवं संस्क़तियों में समानता को प्राय: उपेक्षित किया जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में रह रहे अफ्रीकी वंशजों ने संगीत की भारतीय एवं अफ्रीकी शैली विकसित की है, जो आज फल-फूल रही है। डोसा बनाने के लिए किण्वित आटा इस्तेमाल करने की दक्षिण भारतीय परंपरा वैसी ही है जैसी इथोपिया में इंजारा की है। महिलाओं के सिर ढकने और पुरुषों के पगड़ी बांधने की शैली इथोपिया और भारतीय गांवों में आश्चर्यजनक रूप से सामान्य है। गांवों में मेहमान नवाजी साधारण रूप से शुरू होती है और मेहमानों को भगवान का अवतार माना जाता है।