आर्थिक विकास को गति देगा बैंकिंग सेक्टर

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बैंकिंग सेक्टरआई एन वी सी,
भोपाल,
सुदूर ग्रामीण अंचलों में बैंकिंग सुविधाएँ सुलभ करवाकर आर्थिक विकास को नई गति देने के मकसद से तैयार किये गये वित्तीय समावेशन के मध्यप्रदेश मॉडल ‘समृद्धि” ने अभूतपूर्व सफलताएँ हासिल की हैं। विगत दिनों नई दिल्ली में हुए राष्ट्रीय सेमीनार में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यूएनडीपी ने इस अनूठे मॉडल की विशेषताओं पर एक रिपोर्ट भी जारी की है। भारत सरकार के कार्मिक, लोक-शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने भी सुशासन की दिशा में देश में हुए श्रेष्ठतम नवाचारों के रूप में इस मॉडल की सराहना करते हुए राज्य सरकार के अधिकारियों को इस मॉडल के संबंध में प्रस्तुति देने के लिये नई दिल्ली आमंत्रित किया है।

उल्लेखनीय है कि समावेशी विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पर्क सुविधाओं के विकास की दिशा में पुरजोर प्रयास हुए हैं। इनमें सड़क सम्पर्क सुविधाओं का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी के जरिये नागरिक सुविधाओं की सुलभता के लिये ब्रॉडबेण्ड कनेक्टिविटी तथा बैंकिंग और वित्तीय सुविधाओं का इंतजाम शामिल है। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा सामाजिक न्याय विभाग श्रीमती अरुणा शर्मा ने बताया कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास को गति देने के लिये प्रदेश में हर 5 किलोमीटर के दायरे में अति लघु बैंक (अल्ट्रा-स्मॉल बैंक) स्थापित कर बैंकिंग सुविधाओं का इंतजाम सुनिश्चित किया गया है। मध्यप्रदेश के वित्तीय समावेशन मॉडल ‘समृद्धि” के अंतर्गत राज्य के ऐसे 14 हजार 667 गाँव को चिन्हांकित किया गया था, जहाँ बैंकिंग सुविधाओं के लिये ग्रामीणों को 20 से 90 किलोमीटर की दूरी तक जाना पड़ रहा था। इस विसंगति को दूर करने के लिये ग्रामीण अंचलों में कुल 2,998 अल्ट्रा-स्मॉल बैंक खोलने की शुरूआत की गई थी। इनमें से अब तक 2,024 अल्ट्रा-स्मॉल बैंक खुल चुके हैं और कुछ ही महीनों में इन बैंकों ने 800 करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया है। अल्ट्रा-स्मॉल बैंकों की इस सफलता से देश के कई राज्य का ध्यान मध्यप्रदेश के इस अनूठे मॉडल की ओर आकर्षित हुआ है और उनके प्रतिनिधि-मण्डल अल्ट्रा-स्मॉल बैंक की कार्य-प्रणाली का जायजा ले चुके हैं। पहले यह समझा जाता था कि ग्रामीण अंचलों में बैंकिंग सुविधाओं के विकास से बैंकों को अपेक्षित व्यवसाय उपलब्ध नहीं होता है, लेकिन समृद्धि मॉडल की अभूतपूर्व सफलता और इन बैंकों के द्वारा करोड़ों रुपये के कारोबार से अब ग्रामीण बैंकिंग को नई दिशा मिली है।

अल्ट्रा-स्मॉल बैंकों के जरिये हितग्राहीमूलक योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों को अब आसानी से मिलने लगा है। इन बैंकों के जरिये हितग्राहियों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ का हस्तांतरण सफलतापूर्वक हो रहा है। ग्रामीण अंचलों में बीपीएल परिवारों, वृद्धजन, निराश्रित, नि:शक्तजन और विधवाओं को भारत सरकार और राज्य सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता तथा पेंशन राशि सीधे अल्ट्रा-स्मॉल बैंक खातों में जमा हो रही है। विद्यार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्तियाँ, स्कूल ड्रेस तथा साइकल के लिये मिलने वाली राशि और जननी सुरक्षा सहायता अंतर्गत दी जाने वाली धनराशि समग्र पोर्टल के माध्यम से अल्ट्रा-स्मॉल बैंकों में अब सीधे पहुँच रही है।

अल्ट्रा-स्मॉल बैंकों का संचालन करने के लिये बैंकों द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को ही व्यावसायिक प्रतिनिधि (बिजनेस करस्पोंडेंट) के रूप में नियुक्त किया गया है। यह बैंक ग्राम-पंचायत भवन तथा ई-पंचायत कक्ष में खोले जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणजन का विश्वास इस बैंकिंग प्रणाली पर सहज ही रहता है। सूचना प्रौद्योगिकी की आसान प्रणाली और लघु उपकरणों की वजह से अल्ट्रा-स्मॉल बैंक बेहद कम खर्च में स्थापित हो रहे हैं। बैंक संचालन के लिये उपयोग की जा रही हेण्ड-हेल्ड डिवाइज को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। आकस्मिक जरूरत के अनुसार यह बैंक ग्रामीणों के घर-आँगन और खेत-खलिहानों तक भी पहुँचती है और वहाँ बैंक खाता खोलने तथा राशि जमा और भुगतान करने की सुविधा ग्रामीणों को द्वार पर भी मुहैया करवाती है। इस अनूठी व्यवस्था से दृष्टिहीन, नि:शक्त और वृद्ध ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधाओं का लाभ आसानी से घर बैठे पहुँचाया जा रहा है।

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