दिल्ली,
बहुचर्चित आरूषी और हेमराज हत्याकांड में आरोपी दंत चिकित्सक दंपति राजेश और नूपुर तलवार को अपनी 14 वर्षीय बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की नोएडा में अपने घर में हत्या करने का दोषी ठहराया गया। अनेक नाटकीय घटनाक्रमों वाले मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश श्याम लाल ने दोनों को 15 और 16 मई 2008 की दरम्यानी रात को हत्या के सबूतों को नष्ट करने का भी दोषी ठहराया है। नौवीं कक्षा की छात्रा आरुषि की हत्या उसके जन्मदिन से कुछ दिन पहले की गई थी। राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 के तहत नोएडा पुलिस के समक्ष घटना के बारे में गलत सूचना देने का भी दोषी ठहराया गया। हत्या के बाद मामले की जांच उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी। पुलिस को आरुषि के माता-पिता राजेश और नूपुर तलवार पर संदेह था। दोनों दंत चिकित्सक हैं। राजेश तलवार को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था। वारदात के करीब दो सप्ताह बाद 31 मई 2008 को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने 29 दिसंबर 2010 को मामले को बंद करने के लिए रिपोर्ट सौंप दी थी। विश्वसनीय सबूत के अभाव में सीबीआई ने कहा, ‘किसी को भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।’25 जून 2011 को सुनवाई के दौरान अदालत परिसर में राजेश तलवार पर हमला हुआ, जिसके बाद तलवार दंपत्ति ने मामले को गाजियाबाद से दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए याचिका दाखिल की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी। इस बीच हेमराज ऊर्फ एम. प्रसाद बंझारे की 43 वर्षीय विधवा और नेपाल के अरघाखांची जिले के धारापानी की निवासी खुक्ला बंझारे ने सीबीआई अदालत को एक याचिका सौंप कर आरोप लगाया कि उनके पति की हत्या तलवार दंपत्ति ने की है। उसने कहा कि हेमराज ने उसे बताया था कि उसके नियोक्ता तलवार दंपत्ति काफी गुस्सैल हैं, जो छोटी-छोटी बातों पर उसे डांटते हैं। वे देर रात तक पार्टियां करते हैं। उसके मुताबिक हेमराज ने यह भी कहा था कि वह नौकरी बदलना चाहता है। 28 फरवरी 2011 को सीबीआई के विशेष मजिस्ट्रेट ने मामला बंद किए जाने की रिपोर्ट खारिज कर दी और राजेश तथा नुपुर तलवार को सम्मन भेजा। सीबीआई के जांच अधिकारी ए.जी.एल. कौल ने अपनी गवाही में कहा कि परिस्थिति जन्य साक्ष्यों के मुताबिक उनका मानना है कि दंतचिकित्सक दंपत्ति ने ही अपनी बेटी की हत्या की है। कौल ने हालांकि कहा कि उसने कभी ऐसी छुरी नहीं देखी है, जिसका उपयोग आरुषि और हेमराज के गले की नस काटने में किया गया हो। आखिरी सुनवाई में आरुषि के आरोपी माता पिता ने सीबीआई के इस निष्कर्ष को खारिज कर दिया कि अचानक गुस्से में आकर उन्होंने अपनी बेटी और नौकर की हत्या की थी। दंपत्ति ने कहा कि सीबीआई ने अलग-अलग चरणों में अलग-अलग हथियारों-हथौरी, चाकू, खुकरी, गोल्फ स्टिक और सर्जिकल स्काल्पेल-का जिक्र किया, जिससे पता चलता है कि सीबीआई इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि आखिर क्या हुआ था। 12 नवंबर 2013 को सीबीआई अदालत ने 25 नवंबर को फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की। फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं। बयान में कहा गया है, ‘हम फैसले से बहुत दुखी हैं। हमें एक ऐसे जुर्म के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जो हमने किया ही नहीं। लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।’ तलवार दंपति की एक रिश्तेदार ने फैसले के बाद कहा, ‘ट्रायल की जरूरत ही क्या थी? लोगों को पहले से पता था कि क्या होने वाला है, सीबीआई की गरिमा को बचाने के लिए सच को झूठ की परतों में दबा दिया गया।’ उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है। उन्होंने कहा कि ये गैरकानूनी है। बहरहाल, फैसले के बाद दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें डासना जेल भेजा जा रहा है।गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने राजेश और नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया है। इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203(गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201(सबूत मिटाना) और 34(कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है। वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है।