‘आप’ की कमज़ोर कड़ी: कुमार विश्वास

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kumarvishwas{निर्मल रानी*}
हिंदी गीत व गायन के माध्यम से अपने युवा प्रशंसकों के मध्य अपनी पहचान बनाने वाले कुमार विश्वास को देश ने सर्वप्रथम उस समय पहली बार देखा था जबकि वे दो वर्ष पूर्व अना हज़ारे के जंतर-मंतर पर हुए अनशन के समय मंच पर  तिरंगा-झंडा लहराते हुए नज़र आए थे। अन्ना हज़ारे व अरविंद केजरीवाल के मध्य उभरे मतभेदों के बाद विश्वास केजरीवाल के ‘खाते’ में आ गए। और िफलहाल अब उनकी पहचान आम आदमी पार्टी के एक कद्दावर नेता के रूप में बन चुकी है। ‘आप’ में उनकी राजनैतिक उपस्थिति व हैसियत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी ने अथवा स्वयं उन्होंने अमेठी लोकसभा सीट से राहुल गांधी के विरुद्ध चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी है। इस सिलसिले में वे अमेठी का दौरा भी कर चुके हैं तथा प्राप्त समाचारों के अनुसार सही अथवा गलत परंतु उन्होंने चुनाव तक अमेठी में ही डेरा डाले रखने की बात भी कही है।

आम आदमी पार्टी जिसने मात्र दिल्ली की सत्ता हासिल कर दिल्ली में तीसरी राजनैतिक शक्ति के रूप में अपना परिचय ही नहीं करवाया बल्कि ऐतिहासिक रूप से ‘आप’ की सदस्यता हेतु लाखों लोगों का स्वयं को समर्पित करना ‘आप’ की लोकप्रियता का एक जीता-जागता सुबूत है। निश्चित रूप से ‘आप’ की ओर वही भारतीय नागरिक आकर्षित हो रहे हैं जो देश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन, राजनीति में शुचिता,नैतिकता व शिष्टाचार, वास्तविक जनतंत्र तथा धर्म-जाति व सांप्रदायिक व्यवस्था से मुक्त भारत की कल्पना करते हैं। आम आदमी पार्टी की इस बढ़ती लोकप्रियता ने देश के राष्ट्रीय व क्षेत्रीय राजनैतिक दलों की नीदें हराम कर दी हैं। ज़ाहिर है ऐसे में ‘आप’ के विरोधियों की नज़रें पार्टी की हर उस गतिविधि व आप नेताओं के वक्तव्यों पर लगी हुई हैं जो विवादित हों। और ‘आप’ विरोधी उन विवादित बातों को तिल का ताड़ बनाकर जनता के सामने पेश करने की कोशिश भी कर रहे हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर इस बात की बड़ी जि़म्मेदारी है कि वे अपनी पार्टी के नेताओं को अपनी बयानबाजि़यों को नियंत्रित रखने की सलाह दें तथा विवादित व्यक्तियों व नेताओं से पार्टी को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करें।

िफलहाल आम आदमी पार्टी में इस समय जो सबसे विवादित नाम उभरकर सामने आ रहा है वह कुमार विश्वास का नाम है। हालांकि मीडिया में उनकी उपस्थिति केजरीवाल के एक वफादार सिपहसालार के रूप में रही है परंतु अपने हिंदी ज्ञान व कवि होने के नाते खुद को महाज्ञानी समझने की उनकी गलतफहमी, बिना सोचे-समझे किसी गंभीर विषय को चुटकले के रूप में पेश करने की उनकी आदतें, लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की उनकी व्यंग्यपूर्ण शैली तथा उनके अपने बयानों से दिखाई देने वाला उनका दोहरा चरित्र तथा उनका बड़बोलापन आदि कई ऐसी बातें हैं जो न केवल कुमार विश्वास को लोगों की नज़रों से दिनोंदिन गिराती जा रही हैं बल्कि उनकी इस नकारात्मक छवि का दुष्प्रभाव आम आदमी पार्टी तथा अरविंद केजरीवाल पर भी पड़ सकता है। निश्चित रूप से नवगठित आम आदमी पार्टी जोकि इस समय भ्रष्ट राजनैतिक व्यवस्था का विरोध किए जाने जैसा हिमालय पर्वत रूपी विशाल मिशन लेकर चारों मोर्चों पर जूझ रही हो उसके लिए अपने ही विवादित नेताओं के विवादित बयानों का सामना करना काफी मुश्किल होगा। इतना ही नहीं बल्कि ऐसी विवादित व नकारात्मक छवि रखने वाले नेता पार्टी की साख पर भी बट्टा लगा सकते हैं।

वैसे तो कुमार विश्वास के विरुद्ध लगने वाले आरोपों तथा उनके विवादित वक्तव्यों एवं उनके बड़बोलेपन की सूची बहुत लंबी है और बड़बोलेपन के उनके अपने स्वभाव के अनुरूप यह दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। महज़ चंद दिनों के उनके राजनैतिक जीवन में अभी तक उनके जो विवादित बयान सामने आए हैं उनसे यही पता चलता है कि वे किसी भी धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करने में पूरी महारत रखते हैं। अपनी तथाकथित शब्दों की जादूगरी में कुमार विश्वास यह भी भूल जाते हैं कि जिस व्यक्ति के विषय में वे अपनी अनर्गल टिप्पणी कर रहे हैं उसके मुकाबले में उनकी अपनी व पारिवारिक पृष्ठभूमि के लिहाज़ से भी उनकी खुद की हैसियत क्या है? मज़े की बात तो यह है कि शेखीपना बघारते समय छोड़े गए उनके शब्दबाण जैसे ही घातक साबित होते हैं वैसे ही कुमार विश्वास बैकफुट पर भी चले जाते हैं। और राजनीति में अपने भविष्य के मद्देनज़र वह माफी मांगने में भी देर नहीं लगाते। फिर आिखर जब माफी ही मांगनी है तो किसी भी धर्म के लोगों की भावनाओं को आहत करने वाले अथवा किसी की खिल्ली उड़ाने वाले शब्द बाण छोडऩे की ज़रूरत ही क्या है?

भगवान शंकर के कैलाशपर्वत पर निर्वस्त्र रहने,उनके गले में सर्प होने,उनकी जटा से गंगा जी का अवतरण आदि का मखौल उड़ाते हुए उन्हें कभी भी यूटयूब पर उपलब्ध वीडियो में देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त करबला के महान शहीद हज़रत इमाम हुसैन जिनका दुनिया के सभी धर्मों के लोग इज़्ज़त व सम्मान से नाम लेते हैं उनकी शहादत का मज़ाक उड़ाने तथा उनकी याद में गम मनाने को भी यह तथाकथित ‘महाकवि’ व्यंग्य की मुद्रा में देखता है। हद तो पिछले दिनों तब हो गई जबकि मल्लिका साराभाई जैसी विश्वविख्यात सामाजिक कार्यकर्ता तथा नृत्यांगना एवं विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की पुत्री जोकि पिछले दिनों अपनी श्रद्धा के साथ आप पार्टी में शामिल हुई उनके विषय में भी ‘महाकवि’ विश्वास ने फरमाया कि साराभाई कौन है? पार्टी में कब आई? मैं उन्हें जानता तक नहीं कि पार्टी में कब आई साराभाई? विश्वास ने आगे कहा कि हमें एक करोड़ लोगों के साथ जुडऩा है लिहाज़ा उनकी भी कोई मिस कॉल आई होगी। ऐसी ओछी टिप्पणी मल्लिका साराभाई जैसी शिख्सयत के विरुद्ध करना कुमार विश्वास जैसे नवोदित कवि व नेता की अल्पबुद्धि का ही परिचायक हो सकता है,उनकी बुद्धिमत्ता का तो हरगिज़ नहीं। एक कवि सम्मेलन में कुमार विश्वास गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की इस हद तक तारीफ करते देखे जा सकते हैं जिसे यदि चाटुकारिता की पराकाष्ठा कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। वे नरेंद्र मोदी को विष पीने वाला शंकर तक बता डालते हैं।

अमेठी में राहुल गांधी जब सुनीता नाम की गरीब महिला के घर गए थे उस समय कुमार विश्वास ने इसे राहुल गांधी का मीडिया स्टंट बताया था। गत् दिनों कुमार विश्वास स्वयं मीडिया के कािफले सहित उसी गरीब के घर जा धमके। राहुल गांधी का वहां जाना दिखावा और कुमार विश्वास का उसी जगह पर जाना श्रद्धा और सच्चाई। आिखर यह कैसे हो सकता है? वैसे भी कुमार विश्वास का रहन-सहन व उनकी जीवन शैली तथा जनता के समक्ष अपने-आप को पेश करने का उनका तरीका, इन दोनों में बड़ा अंतर है। उन्होंने अमेठी में भले ही अपने शब्दों के तीर चलाकर कहा कि अमेठीवासियों ने अभी तक युवराज, राजा, महाराजा तथा राजकुमार क्यों न चुने हों परंतु अब एक नौकर(स्वयं)को चुनकर भेजें। परंतु वास्तव में जिस लंबी व मंहगी गाड़ी का प्रयोग कुमार विश्वास करते हैं इत्तेफाक से वह गाड़ी न तो राजा-महाराजा(अमेठी) के पास है न ही युवराज (राहुल)के पास। हां इतना ज़रूर है कि यह लोग कुमार विश्वास की तरह रिक्शा और थ्री व्हीलर पर चलकर दिखाने का ढोंग ज़रूर नहीं करते।

बहरहाल, कुमार विश्वास जैसे आम आदमी पार्टी के विवादित नेता का उनकी इन्हीं गलत बयानबाजि़यों के चलते व्यापक विरोध शुरु हो चुका है। उनपर अंडे फेंके जा रहे हैं तो कहीं उनके क़ािफले पर काले झंडे का प्रदर्शन  व पथराव किया जा रहा है।  न्यायालय स्तर पर भी उनका विरोध शुरु हो चुका है। कहना ग़लत नहीं होगा कि कुमार विश्वास जैसा व्यक्ति केवल अरविंद केजरीवाल तथा आम आदमी पार्टी के लिए ही घातक सिद्ध नहीं हो रहा बल्कि देश में पहली बार ऐतिहासिक रूप से छिड़ी इस भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के लिए भी यह शख्स नुकसानदेह साबित हो सकता है। लिहाज़ा अरविंद केजरीवाल को चाहिए कि कुमार विश्वास जैसी पार्टी की कमज़ोर कड़ी से फासला बनाकर रखें तथा उन्हें पार्टी में सीमित अधिकार व कार्य सौंपें। विश्वास ही नहीं बल्कि ‘आप’ को इस प्रकार के अन्य दूसरे सभी विवादास्पद लोगों से भी दूर रहने की ज़रूरत है।

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Nirmal Rani**निर्मल रानी
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer )
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*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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