आज की रात है जिंदगी में वाराणसी के नन्दलाल मास्टर की कहानी

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photo with _ Husain Ankar AAJ KI RAT HAI JINDAGIआई एन वी सी न्यूज़
लखनऊ,
टी वी चैनल स्टार प्लस पर प्रत्येक रविवार को रात्रि 8 बजे से एक कार्यक्रम ‘आज की रात है जिंदगी’ आज रहा है जिसकी एंकरिंग  सुपर स्टार अमिताभ बच्चन कर रहे है। इस  कार्यक्रम में  अलग अलग मुद्दो पर सामाजिक सेवा करने वाले साथियों को बुलाकर उनके कार्य को दिखाया जाता है। इस रविवार 10 जनवरी  को रात्रि 8 बजे से स्टार प्लस पर  आने वाले आखिरी एपिसोड  फिनाले शो “आज की रात है जिंदगी” में वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता  नन्दलाल मास्टर के सामाजिक कार्यो की कहानी दिखाई जाएगी। लोक समिति के नन्दलाल मास्टर ने बताया की उन्हें गत ४-५ दिसम्बर को मुंबई स्टार प्लस के स्टूडियों में बुलाया गया था और वह अमिताभ बच्चन जी के साथ शूटिंग हुआ फिर मुंबई से एक टीम १३ से १५ दिसम्बर वाराणसी आई और नन्दलाल मास्टर और उनकी संस्था लोक समिति द्वारा गाँवो में किये गए कार्यो पर भी फिल्म बनायीं अब फिल्म पूरी हो गयी है जिसका प्रसारण इस रविवार को किया जायेगा जो कि इस कार्यक्रम का आखिरी फिनाले शो होगा। कहानी नन्दलाल मास्टर की : नन्दलाल मास्टर का जन्म 9 सितम्बर 1978 को वाराणसी जिले के नागे पुर गांव में एक बुनकर परिवार में हुआ। नन्दलाल का बचपन बहुत ही गरीबी में गुजरा। 7 भाई बहनो में जन्मे नन्दलाल मास्टर के पिताजी का देहांत बचपन में ही हो गया जिससे परिवार के भरण पोषण की जिम्मेदारी अनपढ़ माँ के सर आ गया किसी तरह से लोगो की मजदूरी करके माँ परिवार के लोगो का गुजरा चला रही थी। परिवार का बोझ कम करने के लिए बड़ी बहन ने नन्दलाल को अपने ससुराल ले गयी और वही पर नन्दलाल मास्टर की पढाई लिखाई प्रारम्भ हुआ। बड़ी बहन के सहयोग के कारण ही नन्दलाल मास्टर एकमात्र अपने परिवार में पढ़ लिख सके।  समाज सेवा का कार्य 1994 में प्रारम्भ किया : जब नन्दलाल मास्टर ने 1994 में कालेज में दाखिला लिया तो गर्मी की छुट्टियाँ मनाने नागेपुर गाँव आये। उन्होंने देखा की यह इलाका पूरा बनारसी साड़ी बनाने वाले बुनकरों का इलाका है और ज्यादातर बच्चे स्कुल न जाकर बनारसी साड़ी बनाने के काम में लगे हुए है एक दिन शाम को चार पांच बच्चे आकर नन्दलाल मास्टर से पढ़ने का आग्रह करने लगे उन्होंने उनकी आग्रह को स्वीकार करते हुए कहा की मेरी कालेज की छुट्टी एक महीने तक की है और मै तब तक आप सबको पढ़ा सकता हु। फिर क्या चार पांच बच्चो के साथ शाम को रोज दो घंटे पढ़ाने लगे और देखते देखते एक महीने के अंदर ही 40 -50 बच्चे आने लगे और यह स्कूल जैसा लगने लगा। 17 साल के नन्दलाल को लोग मास्टर जी कहने लगे और यह आज नन्दलाल मास्टर के उप नाम से फेमस हो गया। शहर में पढाई के लिए नही जाने का निर्णय लिया : नन्दलाल मास्टर उन दिनों  उदय प्रताप महाविद्यालय में दाखिला लिया था गर्मी की छुट्टी भी समाप्त हो गया उन्हें वापस शहर आकर पढाई करना था लेकिन बच्चों को पढ़ाते पढ़ाते उनसे ऐसा लगाव हुआ कि परिवार के विरोध के बावजूद  कालेज की पढाई छोड़ने का निर्णय ले लिया। फिर अपनी आजीविका चलाने के लिए खुद बुनकरी का काम सीखा और घर पर ही हथकरघा पर बनारसी साड़ी बनाने लगे। और गांव में बुनकरी का काम करते हुए समाजशास्त्र से मास्टर डिग्री की पढाई भी पूरा किया। लोक समिति संस्था बनाया ; नन्दलाल मास्टर में अब अब गांव से बाहर निकलकर आसपास के गांव के नवयुवकों को जोड़ना प्रारम्भ किया और दूसरे गाँवो में भी बाल श्रमिक बच्चो को निःशुल्क शिक्षा देना प्रारम्भ किया और नागे पुर,बेनीपुर,नेवाज का पूरा ,तक्खुपुर,हरसोस मेहदीगंज,कल्लीपुर,सईदपर, गनेशपुर,इस्लामपुर,खजुरी आदि गाँवो में शाम को बुनकर बच्चों स्कुल चलने लगा। नन्दलाल मास्टर ने गांव के नवयुवको के साथ लोक समिति संस्था का गठन किया। आज आशा सामाजिक स्कूल के नाम से दो स्थाई स्कुल है जहाँ पर वर्तमान में पांच सौ से ज्यादा बच्चें निःशुल्क शिक्षा ले रहे है। लड़कियों और महिलाओ के अलग से शिक्षण प्रशिक्ष्रण केंद्र खोला : गाँव के गरीब किशोरी लड़कियों और महिलाओ को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अलग अलग गांवों में सिलाई कढ़ाई एव ब्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोला जहा महिलाओ और लड़कियों को शिक्षा के साथ साथ आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। वर्तमान में कुल दस गाँवो में प्रशिक्षण केंद चल रहे है और 250 से ज्यादा लडकिया प्रशिक्षण ले रही है। इसी तरह गाँवो से सूदखोरी ख़त्म करने और महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए महिलाओ के बीच छोटी छोटी बचत के माध्यम से स्वम  सहायता समूह का काम शुरू किया अब यह काफी ब्यापक हो गया है आज आराजी लाइन ब्लाक के करीब 30 गाँवो में 60 से ज्यादा महिलाओं का बचत समूह बन चूका है और अब महिलाये अपनी बचत बैंक से लेन देन कर रही है। गरीब लड़िकियो का शादी कराने का निर्णय लिया :   काम के दौरान नन्दलाल मास्टर ने महसूस किया कि उनके इलाके में बुनकर परिवार काफी कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दे रहे है साथ ही दहेज़ के लेन देन का भी चलन है इस प्रथा को तोड़ने के लिए नन्दलाल मास्टर ने अपनी संस्था लोक समिति के माध्यम से दहेज़ रहित सामूहिक विवाह का निर्णय 2007 में लिया और अब तक लोगो के जन सहयोग से 700 से ज्यादा शादियाँ करवा चुके है। अन्य कार्य : गाँवो में महिला किसानो के माध्यम से बीज बैक बनाया है।  गांव के गरीब बच्चो के लिए अत्याधुनिक वाचनालय और पुस्तकालय बनाया।  गांव के 40 होनहार गरीब बच्चो को गोद लेकर उनके कालेज की पढाई में सहयोग कर रहे है।  असंगठित मजदूरों का यूनियन बनाया करीब 3000 से ज्यादा मजदुर संगठित है। मेंहदीगंज गांव में स्थापित शीतल पेय कम्पनी के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय भागीदारी किये   सम्मान : नन्दलाल मास्टर को सामाजिक क्षेत्र में काम करने के लिए कई सामाजिक संस्थाओ द्वारा सम्मान मिल चुका है साथ ही ब्राजील ,हंगरी,नीदरलैंड ,जर्मनी जैसे देशों में विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर ब्याख्यान भी दे चुके है।

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