आजादी से पहले उर्दू ने संस्कृति को बदल दिया : सुधीर राजपाल

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urdu languageइंद्रा राय,
आई एन वी सी,
हरियाणा,
उर्दू भाषा का जन्म हरियाणा की धरती से हुआ है। उर्दू में हमारी संस्कृति, बोली और सभ्यता ही नहीं बल्कि पुराने दस्तावेज भी लिखे गए। आजादी से पहले इस भाषा ने संस्कृति को बदल दिया। यह किसी एक धर्म की नहीं बल्कि सभी धर्मो की भाषा है। यह हर किसी को जोडती है जिससे हमारी संस्कृति को बल मिलता है। ये बात हरियाणा सूचना जन संपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के महानिदेशक श्री सुधीर राजपाल ने हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा अकादमी भवन सैक्टर 14 के आडिटोरियम हाल में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे आदान-प्रदान की भाषा उर्दू ही है जिसे हम हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। उर्दू पत्राचार के संदर्भ में बात करते हुए उन्होंने कहा कि अकादमी का यह बहुत ही सराहनीय और प्रशंसनीय प्रयास है कि उर्दू पत्राचार कोर्स के माध्यम से वास्तव में हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल में उर्दू के पाठक पैदा हो रहे हैं क्योंकि पाठक से ही भाषा जिंदा रहती है। कार्यक्रम के पहले चरण में पुस्तक वितरित किए गए। हरियाणा उर्दू अकादमी प्रत्येक वर्ष उन पुस्तकों पर अवार्ड देती है जो लेखक अपनी पुस्तकें अकादमी को इनाम के लिए भेजते हैं। अकादमी इन पुस्तकों को इबल्युएक कराके योग्य पाई गई पुस्तकों पर ईनाम देती है। इस वर्ष कुल दस किताबों पर ईनाम दिये गए जिनमें वर्ष 2010-2011 के लिए चार किताबें शामिल हैं। सन्नाटों की आवाज पुस्तक पर प्रवाज अम्बाल्वी को उजलों के सफीर पुस्तक पर महेन्द्र प्रताप चांद को तकमली की तरफ पुरस्तक पर सरदारी लाल धवन को, दास्ताने हाली पुस्तक पर रमेश चन्द्र पुहाल को और वर्ष 2011-12 के लिए चिरोगे रहगुजर पुस्तक पर कारी मुहम्मद स्हाक हाविज को, शफ्फाक आईना पुस्तक पर निदा बहरानवी, बज्मे ख्याल पुस्तक पर नारायण दास सपरा खुशदिल को, मर्द अलमया पुस्तक पर अमर साहनी को, धूप के दो पहले टुकडे पुस्तक पर डॉ० इन्दु गुप्ता को और हवा की बेटी पुस्तक पर डॉ० कमरूदीन जाकिर को 11-11 हजार रूपए की राशि के ईनाम दिये गए। इसके साथ चार कहानिकारों को क्रमशः डॉ० नाजि जर्बी को सुनामी कहानी पर 5 हजार रूपए का सुल्तान अन्जुम को आखिरी कश जिंदगी का कहानी पर तीन हजार रूपए का, डॉ० राजेन्द्र स्वरूप वत्स को आस्तीन का सांप कहानी पर दो हजार रूपए का और इफ्तखार कुरैशी को सयासत की भेंट कहा नी पर एक हजार रूपए की राशि के पुरस्कार वितरित किए गए। प्रोग्राम के दूसरे सत्र में उर्दू पत्राचार कोर्सा से संबंधित वर्ष 2011-12 के 135 छात्र-छात्राओं को डिप्लोमा इन उर्दू लैंग्वेज सर्टीफिकेट वितरित किए गए। उर्दू पत्राचार कार्से करने वाले उम्मीदवारों में लगभग सभी आयु एवं पेशे से जुडे लोेग शामिल थे। जिनमें प्रोफैसर, डॉक्टर, वकील, पटवारी, कानूगो, तहसीलदार, टीचर्स एवं स्कूल कालेज के छात्र-छात्राएं भी शामिल थे। ये लोग हरियाणा के प्रत्येक जिले एवं पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश से संबंधित लोग थे। इस अवसर पर श्री सुधीर राजपाल ने अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया।

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