आई एन वी सी न्यूज़
राँची,
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि वर्ष 2018 तक राज्य के सभी गांवों को बिजली उपलब्ध होगी। गांव का विकास होगा तभी राज्य का विकास होगा और देश आगे बढ़ेगा। ज्ञान आधारित समाज से ही गांवों की प्रगति और उन्नति सम्भव है। आने वाले पांच वर्षों में झारखण्ड का शहर हो या गांव सभी जगह ऐसी अधिसंरचना एवं नागरिक सुविधाएं उपलब्ध रहंेगी जो राज्य की आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगी। सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग से डिलेवरी सिस्टम को दुरूस्त करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने के लिए सरकार प्रयासरत है। सरकार ग्राम पंचायतों में भी ई-गवर्नेंस एवं उन्नत तकनीकों को अपना कर गांवों को एक उन्नत सामाजिक-आर्थिक इकाई के रूप में विकसित करना चाहती है। वे आज स्थानीय श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान के सभागार में ग्रामीण विकास विभाग, सर्ड एवं आई0एच0डी0 के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय ‘‘नेशनल कन्वेंशन ऑन स्मार्ट विलेज’’ कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे।
श्री दास ने कहा कि आजादी के 67 साल बाद भी गांव विकास से दूर हैं जिसके परिणाम स्वरुप गांव का दवाब शहरों पर बढ़ता जा रहा है। गांधी के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्मार्ट विलेज की योजना प्रारंभ किया है जिसके तहत केन्द्र और राज्य स्तर पर पूरे देश में गांव को विकसित करने की योजना एक मिशन के तौर पर प्रारंभ हुई है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट विलेज के लिए सबसे महत्वपूर्ण है कि गांव का समाज ज्ञान आधारित हो। सरकार मॉडल विलेज के मानदंडों के आधार पर गांव का विकास करेगी। उन्होंने कहा कि गांव में स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवाएं और लोगों की क्रय क्षमता बढ़ाने के लिए किसानों को कृषि के साथ साथ प्राथमिक क्षेत्रों के अन्य अवयवों यथा; बागवानी, मत्स्यपालन और पशुपालन से जोड़ने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने डेयरी किसान श्रीमती सुषमा लकड़ा का उदाहरण दिया जिन्होंने 11 गायों से दूध उत्पादन कर अपने तीन बच्चों को ईंजीनीयरिंग की पढ़ाई कराई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायतों में सर्व सम्मति से चुनाव कराने की प्रक्रिया पर भी सरकार विचार कर रही है। इसके लिए सरकार ऐसे गांव को एक लाख रूपये का पुरस्कार देगी जिस गांव में सर्वसम्मति से योग्य व्यक्ति को मुखिया चुना जायेगा साथ ही ग्राम पंचायत द्वारा अगर महिला को सर्व सम्मति से मुखिया के लिए चुना जाता है तो सरकार उस गांव को विकास के लिए दो लाख रूपये का ईनाम देगी। उन्होंने कहा कि गांव के लोगों को गुटबाजी और आपसी स्वार्थ की परिसीमा से उपर उठकर विकास की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए क्योंकि विकास से ही संभावनाओं के द्वार खुलते हैं। समावेशी विकास के लिए जनभागीदारी की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अपने गांव के विकास को ग्रामवासी अपना काम होने की लगन पैदा करें तो उनके गांव को स्मार्ट विलेज का स्वरूप देने में देर नहीं लगेगी।
ग्रामीण विकास मंत्री श्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि शहर और गांव के बीच जो खाई है उसे विकास से ही पाटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांव का विकास करना है तो आवागमन, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने के साथ साथ आचार-विचार में भी परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने बजट में 5 करोड़ रूपये का प्रावधान स्मार्ट विलेज हेतु किया है । सरकार का लक्ष्य है कि करीब 500 गांव की तकदीर इस योजना के तहत पहले चरण में संवारी जाये जिससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार आ सके।
इस दो दिवसीय ‘‘नेशनल कन्वेंशन ऑन स्मार्ट विलेज’’ में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के कई विषेषज्ञों द्वारा स्मार्ट विलेज के मॉडल पर अपने विचार रखे जायेंगे। ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव श्री एन॰एन॰ सिन्हा ने कन्वेंशन के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए उम्मीद की कि इस दो दिवसीय सत्र में ग्रामीण विकास के कई नवाचार सामने आएंगे जिन्हें प्रस्तावित स्मार्ट विलेज के ड्राफ्ट में शामिल किया जाएगा।
सेमिनार में मुख्यमंत्री के सचिव श्री सुनील कुमार वर्णवाल के अतिरिक्त कई वरिष्ठ पदाधिकारी, अर्थषात्री एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।