अरविन्द कुमार खेड़े की पांच कविताएं

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नित्यानन्द गायेन की टिप्पणी  : अरविन्द कुमार खेड़े  मध्य प्रदेश शासन के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में  प्रशासनिक अधिकारी हैं।  वे कविताएँ भी लिखते हैं। इन कविताओं में एक जल्दबाजी है।  इन कविताओं को यदि और अधिक समय दे पातें तो ये और मजबूत होतीं। भाषा आते -आते आती है, यह बात समझने वाली है।  निरंतर लेखन और लेखन से अधिक पठन से कवि की भाषा और समृद्ध होगी यह पक्का है।  विषय -वस्तु  में नयापन न होने के बावजूद भी ये कविताएँ पाठकों को अच्छी लगेगी यही उम्मीद करते हैं।  शुभकामनाएं।  -नित्यानन्द गायेन

 अरविन्द कुमार खेड़े  की पांच कविताएं

१- रात अभी शेष है…….

यह एक उदास शाम है
नदी किनारे बैठा
अस्ताचल को निहार रहा हूँ
विलीन ही रही है लालिमा धीरे-धीरे
क्षितिज धुंधलके में गहराता जा रहा है
इधर लहरें मौन हैं
जल प्रवाह स्थिर-सा है
कांटे डालकर लौट रहे हैं मछुआरे
पिता मछुआरा
अपने मछुआरे बेटे को
बता रहा है
अलसुबह आना हैं उन्हें
कांटे में फँसी मछलियों को
जल्दी निकालना होगा
बेचारी…तपड़ती रही होंगी रातभर
लहरों में हल-चल है
जल प्रवाह मचल उठा है
मैं लौट पड़ा हूँ
मछुआरों के पीछे-पीछे
रात अभी शेष है.

२- सपने…..


दुर्दिनों में काटे
रतजगों से उपजा है यह दर्शन
कि कभी तो वो सुबह आएगी
जब करूँगा
सूर्य का स्वागत
अर्ग दूँगा सूर्य को
उस दिन
अपने जमीर को गिरवी रख
तुम्हारी अघायी आँखों से लूँगा
कुछ सपने उधार
बो दूँगा अपनी उनींदी पलकों में.

३- कविता-मैं कर लेना चाहता हूँ….


मैं जहाँ तक पहुँचा हूँ
इसी सीढ़ी को वेदी बनाकर
मैं करना चाहता हूँ अपनी अरदास.
इससे पहले कि
क्षीण हो जाये मेरा आभामंडल
आत्ममुग्धता के घेरे से
दूर निकल जाना चाहता हूँ.
यह आत्म-प्रवंचना का समय है
यह समय तय करेगा
मेरा शेष भविष्य.
अतीत  की मजबूत नींव पर
कब तक खड़ी रहेगी मेरी यह गढ़ी.
इस महाशून्य में
कौन होगा मेरा सहचर.
अपने पुरुषार्थ के अनुपात से अधिक
जो मैंने पाया है या हथियाया है
क्षमा याचना सहित
लौटा देना चाहता हूँ सादर.
इतना बचा के रख सकूँ
मैं अपना नैतिक साहस
कि अपने पराभव का कर सकूँ
संयम के साथ सामना.
यही इसी सीढ़ी को वेदी बनाकर
मैं कर लेना चाहता हूँ अपनी प्रार्थना


४ – कविता-कुछ नहीं आयेगा हाथ हमारे…..


जो भी सच है
भला या बुरा
खुदा करे
इसी अँधेरे में दफ़न हो जाये.
वर्ना टूटेगी हमारी धारणाएं.
और गुम हो जायेंगे हम इन अंधेरों में.
जी भी कहा-सुना गया है
अच्छा या बुरा
खुदा करे
विसर्जित हो जाये.
वर्ना जन्म देगा  एक नए विमर्श को.
अपनी तमाम बौद्धिकता को धता बताते हुए
कूद पड़ेंगे हम अखाड़े में.
तुम अपना सच रख लो
मैं अपना झूठ रख लेता हूँ.
वर्ना इस नफे-नुकसान के दौर में
कुछ नहीं आयेगा हाथ हमारे…..

 ५- कविता-खोल रखे थे किवाड़.

मैंने खोल रखे हैं किवाड़
तुम जब चाहो
आ सकते हो वापस
हालाँकि
तुम्हारे लौटने का
न मुझको इंतजार है
न है उम्मीद…..
….किसी दिन इसी तरह
इस घर से मैं भी ऐसे ही
चला गया था अचानक
मेरे पिता ने भी
न मेरे लौटने का
इंतजार किया था
न उम्मीद की थी
फिर भी उन्होंने
खोल रखे थे किवाड़
किसी दिन अचानक लौटा तो
उन्होंने मुझे
छूने नहीं दिए थे अपने पांव
न उम्मीद
न इंतजार के बाद भी
उन्होंने मुझे
अपने अंक में भर लिया था
उस कर्ज का भार है मुझपर
इसलिए मैंने भी
खोल रखे हैं किवाड़
हर आहट पर चौंक कर
देख लेता हूँ जरूर
पिता की तरह मुझे भी
न तुम्हारा इंतजार है
न तुम्हारे लौटने की उम्मीद
फिर भी जब चाहो
आ सकते हो वापस 

 प्रस्तुति
नित्यानन्द गायेन 
Assitant Editor
International News and Views Corporation

परिचय

arvind kumar khade, arvind kumar khade invc news अरविन्द कुमार खेड़े

शिक्षा-  एम.ए.
प्रकाशित कृतियाँ- पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित

सम्प्रति-  प्रशासनिक अधिकारी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मध्य प्रदेश शासन

पदस्थापना-कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी, धार, जिला-धार म.प्र.

पता- 203 सरस्वती नगर, धार , मध्य प्रदेश,  मोबाईल नंबर- 9926527654 –  ईमेल- arvind.khede@gmail.com
 

16 COMMENTS

  1. शुक्रिया आदरणीय सुहैलजी…आपके इस स्नेह…और आशीर्वाद…के लिए….यक़ीन है कि आपका यह स्नेह बरक़रार रहेगा…सादर….अरविन्द २३-११-२०१४

  2. नित्यानंद गायेन की एक और खोज…कवि से मज़बूत कविता…निस्संदेह इस तरह के मंच कवि को अद्भुत प्रोत्साहन देते हैं…बधाई

    • शुक्रिया आदरणीय सुहैलजी…आपके इस स्नेह…और आशीर्वाद…के लिए….यक़ीन है कि आपका यह बरक़रार रहेगा…सादर….अरविन्द २३-११-२०१४

  3. अरविन्द जी की कवितायेँ अपने आप में परिपूर्ण होती है, हर बार लाजबाब कर देती है …… शुभकामनायें !!

    • थैंक्स…मोहनजी….अपने मेरी कविताएं पढ़ी…यह मेरा…सम्मान है….अपने सराही…यह मेरा…पुरस्कार है…..स्नेह बनाये रखियेगा…. सादर….अरविन्द…

  4. किसी एक कविता की तारीफ़ करना सच में मुश्किल हैं ! आई एन वी सी ने जो गरिमा बनाई उसको सलाम ! पढ़ने लिखने वालो के लियें इतना कुछ हैं की आप खोज पूरी हैं पर सामग्री ख़त्म नहीं होती हैं !

    • अपने मेरी कविताएं पढ़ी…यह मेरा…सम्मान है….अपने सराही…यह मेरा…पुरस्कार है…..स्नेह बनाये रखियेगा…. सादर….अरविन्द…

  5. शानदार कविताए ,शब्द कम हैं तारीफ़ के लियें ,पढ़ने के बाद बार बार मन हुआ

    • पने मेरी कविताएं पढ़ी…यह मेरा…सम्मान है….अपने सराही…यह मेरा…पुरस्कार है…..स्नेह बनाये रखियेगा…. सादर….अरविन्द…

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