अमेठी भेदने की जुगत में कहीं काशी न ढह जाए?

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– निर्मल रानी –

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अमेठी में इंडो-रूस राईफल प्राईवेट लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम द्वारा निर्मित की जाने वाली ए के-203 राईफल्स की ईकाई का उद्घाटन किया। ए के 203 राईफल्स का निर्माण भारतीय आयुद्ध निर्माण बोर्ड तथा रूस की दो अलग-अलग कंपनियों रोसोबोरोन एक्सपर्ट व कंसर्न क्लाश्नििकोव द्वारा संयुक्त रूप से किए जाने का प्रस्ताव है। प्रधानमंत्री द्वारा इस ईकाई को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद भारतीय पक्षपाती मीडिया ने पूरे ज़ोर-शोर से यह प्रचारित किया कि अमेठी में प्रधानमंत्री ने एके-203 रायफल्स के निर्माण हेतु एक नए आयुद्ध कारख़ाने का शिलान्यास किया है। स्वयं प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर इस आयुद्ध कारख़ाने का पिछला इतिहास बताने से परहेज़ किया और देश को यही बताने की कोशिश की कि गांधी परिवार की संसदीय सीट होने के बावजूद अमेठी क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुआ। और भारतीय जनता पार्टी विशेषकर उनके प्रयासों से ही इस क्षेत्र में एक नए आयुद्ध कारख़ाने का शिलान्यास किया जा रहा है जबकि वास्तविकता ठीक इसके विपरीत है। अमेठी में गत् चार दशकों में अनेक बड़े व मंझोले उद्योग स्थापित हुए हैं। पक्की सडक़ों का जाल पूरे अमेठी क्षेत्र में बिछा हुआ है। राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी तक के दिल्ली कार्यालय में अमेठी के लिए एक विशेष सेल नियमित रूप से संचालित होता है। इसके माध्यम से अमेठी का कोई भी साधारण मतदाता भी अपने सांसद से सीधे संपर्क स्थापित कर सकता है तथा अपनी समस्याओं से अवगत करा सकता है।

अमेठी के विकास की इसी कड़ी में सर्वप्रथम 1 अक्तूबर 1964 को हिंदुस्तान एयरोनोटिक लिमिटेड (एचएएएल) जैसे भारतीय नवरत्न कारख़ाने की शुुरुआत की गई थी। इसी एचएएल में जहां विमानों के पुजऱ्े बनाए जाते हैं वहीं इसी उद्योग परिसर में अनेक रक्षा उत्पाद व उपकरण तथा कई प्रकार की राईफल्स आदि भी निर्मित होती हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसी आयुद्ध निर्माण प्राजेक्टस कोरवा,गौरीगंज में ही एके-203 नामक राईफ़ल के उत्पादन की भी शुरुआत की गई। सीधे शब्दों में यह कहा जाए कि कांग्रेस के शासनकाल में लगाए गए जिस एचएएल के अंतर्गतृ निर्मित आयुद्ध निर्माण प्रोजेक्ट में जिसका कि 2007 में ही सांसद राहुल गांधी द्वारा शिलान्यास किया गया था वहां अब एक और नए िकस्म की रायफल का उत्पादन शुरू होगा। अमेठी में प्रधानमंत्री द्वारा किसी नए आयुद्ध कारख़ाने के शिलान्यास की खबर देश के लिए भले ही भ्रम पैदा करने वाली क्यों न हो परंतु अमेठी के लोग इस प्रकार की भ्रामक खबर को सुनकर काफी हैरान हैं।  यहां तक कि क्षेत्र के लोगों में इस प्रकार के मिथ्या प्रचार को लेकर गुस्सा भी दिखाई दे रहा है। क्या इस प्रकार का दुष्प्रचार अमेठी के लोगों का नेहरू-गांधी परिवार के प्रति दशकों से चला आ रहा मोह भंग कर सकेगा? क्या प्रधानमंत्री कांग्रेस मुक्त भारत बनाने के असफल प्रयासों के बाद अब अमेठी संसदीय क्षेत्र को नेहरू-गांधी परिवार से मुक्त करा सकेंगे?

गौरतलब है कि 2014 में भाजपा ने स्मृति ईरानी को अमेठी लोकसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी बनाया था। स्वयं नरेंद्र मोदी भी स्मृति ईरानी के चुनाव प्रचार में 5 मई 2014 को अमेठी में भाषण देकर आए थे। परंतु अमेठी की जनता ने भले ही कम मतो से सही परंतु पुन: राहुल गांधी को ही अपना सांसद चुना। उधर पराजित होने के बावजूद स्मृति ईरानी को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया। भाजपा द्वारा स्मृति ईरानी को मंत्री बनाने के साथ ही यह संदेश  दे दिया गया था कि संभवत: स्मृति ईरानी ही 2019 में भी अमेठी से प्रत्याशी होंगी। यही वजह है कि स्मृति ईरानी ने गत् पांच वर्षों में अमेठी के कई दौरे किए हैं यहां तक कि गत् दिनों एक-203 यूनिट के उदृघाटन के समय भी वे उपस्थित रहीं।

अब आईए अमेठी संसदीय क्षेत्र के नेहरू-गांधी परिवार से रिश्तों पर एक संक्षिप्त नज़र भी डालते हैं। याद रहे अमेठी के साथ लगती रायबरेली की सीट से िफरोज़ गांधी सांसद हुआ करते थे। उनकी मृत्यु के पश्चात रायबरेली से इंदिरा गांधी नियमित रूप से चुनाव लडऩे लगीं और रायबरेली इंदिरा गांधी का अभेद दुर्ग समझा जाने लगा। 1975 में संजय गांधी की राजनैतिक सक्रियता के बाद  उन्हें भी लोकसभा चुनाव लड़ाने की ज़रूरत महसूस की गई। उस समय अमेठी के पूर्व राजा रणंजय सिंह से इंदिरा गांधी ने अपने पुत्र को अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाने का प्रस्ताव भेजा जिसे उन्होंने न केवल स्वीकार किया बल्कि अपने पुत्र संजय सिंह को भी संजय गांधी के साथ राजनीति में सक्रिय कर दिया। संजय गांधी 1977 में आपातकाल हटने के बाद उस समय पहला लोकसभा चुनाव लड़े जबकि पूरे देश में जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के विरुद्ध कांग्रेस विरोधी माहौल बना दिया था। इंदिरा गांधी भी उस समय एक तानाशाह के रूप में प्रचारित की गईं थी। इस कांग्रेस विरोधी माहौल में न केवल संजय गांधी अमेठी से अपना पहला चुनाव रविंद्र सिंह नामक जनता पार्टी के प्रत्याशी से हार गए बल्कि इंदिरा गांधी भी पहली बार रायबरेली से राजनारायण के हाथों पराजित हुईं।

इसके पश्चात 1979 में जब मात्र ढाई वर्षों में इंदिरा गांधी ने अपने सबल व कुशल नेतृत्व का लोहा मनवाते हुए जनता पार्टी की सरकार को गिरा दिया उस समय संजय गांधी अमेठी से तथा इंदिरा गांधी रायबरेली से पुन: निर्वाचित हुए। तब से लेकर अब तक कभी संजय गांधी तो कभी राजीव गांधी व अब राहुल गांधी अमेठी संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। इस क्षेत्र में इस घराने की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेठी राजघराने द्वारा कई बार कांग्रेस का विरोध करने के बावजूद इस परिवार की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पराजित स्मृति ईरानी को मंत्री बनाकर या आयुद्ध कारख़ाने के शिलान्यास जैसा भ्रम फैलाकर या अमेठी के लोगों को बार-बार यह जताकर कि अमेठी का नेहरू-गांधी परिवार ने कोई विकास नहीं किया, क्या अमेठी में कांग्रेस के दुर्ग को ढहाया जा सकेगा? जबकि इसी आयुद्ध कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों को एके-203 के निर्माण का समाचार मिलने के बाद यह संदेह होने लगा है कि कहीं रूसी सहयोग के चलते उन लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ न धोना पड़ जाए।

इसी संदर्भ में जबकि मोदी जी अमेठी भेदने के लिए पूरा ज़ोर लगा रहे हें उनके अपने संसदीय क्षेत्र काशी का जि़क्र करना भी बहुत ज़रूरी है। काशी को क्योटो बनाने के वादे के साथ जब मोदी ने काशीवासियों से यह कहा था कि- ‘मां गंगा ने मुझे बलाया ह’ै उस समय काशीवासियों को क्षेत्र के विकास को लेकर खासतौर से शहर व विशेषकर गंगा की स्वच्छता के लिए काफी उम्मीदें जगी थीं। परंतु वाराणसी का क्योटो बनना तो दूर अभी तक वाराणसी को गंदगी जैसी बुनियादी व गंभीर समस्या से निजात नहीं मिल सकी। शहर में ट्रैिफक जाम की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गंगा में गंदगी की स्थिति लगभग जस की तस है। प्रधानमंत्री के क्षेत्र में निर्माणाधीन फ्लाईओवर गिरने की घटना से यह भी अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि अधिकारीगण विकास कार्यों के प्रति कितना गंभीर हैं। और तो और प्रधानमंत्री द्वारा गोद लिए गए गांव तक की सूरत नहीं बदल सकी है। अब भी आए दिन वाराणसी के परेशाहाल लोग जनसमस्याओं को लेकर धरने-प्रदर्शन करते रहते हैं। बनारस विश्वविद्यालय के छात्रों का आक्रोश भी कई बार चर्चा का विषय बन चुका है। ऐसे में प्रधानमंत्री भ्रमित करने वाले दुष्प्रचार कर अमेठी को भेदने की कोशिश के बजाए अपने संसदीय क्षेत्र काशी पर अधिक ध्यान दें। कहीं ऐसा न हो कि अमेठी भेदने की जुगत में काशी भी ढह जाए।

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परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -:
Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 4003 E-mail : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

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