अमिताभ बच्चन:एक संपूर्ण एवं आदर्श व्यक्तित्व के स्वामी

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*तनवीर जाफ़री भारतवर्ष की अतिविशिष्ट हस्तियों में अमिताभ बच्चन एक ऐसा नाम है जो अपनी बहुमुखी प्रतिभा के चलते पूरे विश्व के लिए किसी परिचय का मोहताज नहीं है। स्वयं अंतर्जातीय विवाह करने वाले देश के प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन के घर जन्मे अमिताभ बच्चन का शुरुआती जीवन शिक्षा पूरी करने के बाद भले ही आम लोगों की तरह रोजी-रोटी की तलाश से क्यों न शुरु हुआ हो परंतु ख्‍वाजा अहमद अब्बास जैसे रत्न पारखी निर्देशक ने सात हिंदुस्तानी फिल्म के माध्यम से उन्हें सिने जगत में प्रवेश देकर सदी के महानायक बनने तक के अमिताभ बच्चन के संफर की बुनियाद रख दी थी। बहरहाल आज वही अमिताभ बच्चन फिल्म जगत के माध्यम से कभी एंग्री यंग मैन, कभी सुपर स्टार, कभी पद्मभूषण तो कभी पद्मविभूषण, कभी बिग बी, कभी शहंशाह तो कभी सदी के महानायक, अर्थात् मिलेनियम स्टार जैसे सबसे बुलंद रुतबे तक पहुंचते दिखाई दे रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन का यह संफर निर्बाध रूप से तय किया हो। उन्हें अपने जीवन में कई तरह के उतार-चढाव, परेशानियों व राजनैतिक मतभेद व विद्वेष का भी सामना करना पड़ा है। निश्चित रूप से अमिताभ बच्चन को बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक उनके प्रतिभाशाली व्यक्तित्व तथा शानदार अभिनय के कारण उन्हें भली प्रकार से जानते-मानते व पहचानते हैं। परंतु सौभाग्यवश मैं उन कुछ लोगों में से हूं जिसने अमिताभ बच्चन को बहुत निकट से देखा, समझा व परखा है। 1985 से लेकर 1987 तक के उनके राजनैतिक जीवनकाल में जिस समय वे इलाहाबाद से लोकसभा के सदस्य थे उस समय मैं अमिताभ बच्चन के काफी नादीक था तथा उनके राजनैतिक सहयोगी के रूप में उनके साथ था। इस कारण मुझे उनके व्यक्तित्व, उनके स्वभाव तथा उनके सोच-विचार आदि के बारे में गहराई से समझने-बूझने का अवसर मिला। मैंने देखा कि वे मात्र एक अभिनेता ही नहीं बल्कि एक साथ कई विशेषताओं के धनी व्यक्ति हैं। धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीयता, हिंदी भाषा का ज्ञान, शब्दों का सही उच्चारण, साहित्यिक दिलचस्पी, समाज सेवा का जबा, दोस्ती निभाने का सलींका, वंफादारी तथा देश के लिए कुछ कर गुजरने का हौसला, जरूरतमंदों की मदद करना व अपने पेशे अर्थात् अभिनय में दक्षता आदि सभी विशेषताएं बिग बी के भीतर समाई हुई हैं।

मेरे विचार से उनके व्यक्तित्व में शामिल इन्हीं उपरोक्त विशेषताओं में से कुछ ऐसी विशेषताएं भी हैं जिन्होंने अमिताभ को नुकसान भी पहुंचाया। उदाहरण के तौर पर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनका राजनीति में कदम रखने का फैसला बावजूद इसके कि उनके स्वभाव के अनुरूप नहीं था फिर भी उन्होंने मात्र नेहरू परिवार से अपनी पारिवारिक घनिष्ठता तथा राजीव गांधी से उनके पारिवारिक संबंध के चलते किया। उनके इस निर्णय ने कांग्रेस पार्टी को भले ही कुछ दिया हो परंतु अमिताभ बच्चन के लिए यह एक बड़े घाटे का सौदा साबित हुआ। उनके राजनीति में प्रवेश करते ही उनके जबरदस्त ग्लैमर भरे व्यक्तित्व का प्रयोग उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज नेता को चुनाव हराने के लिए किया गया। उनके चुनाव जीतते ही ‘राजनीति में पारंगत’ कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी टांग खिंचाई शुरु कर दी गई तथा उनके साथ ईर्ष्‍या व विद्वेष रखा जाने लगा। उनके सांसद चुने जाने के कुछ ही समय बाद बच्चन परिवार पर बोफोर्स तोप सौदे में दलाली खाए जाने का एक ऐसा इलाम लगाया गया जिससे अमिताभ बेहद दु:खी हुए। बहरहाल आरोप मढ़ने व बेवजह बदनाम करने जैसे राजनैतिक हथकंडों से बेखबर अमिताभ बच्चन हालांकि इस बात की लाख सफाई देते रहे कि वे तथा उनके परिवार के किसी भी सदस्य का बोफोर्स तोप सौदे में खाई जाने वाली दलाली से कोई लेना-देना नहीं है। परंतु अमिताभ बच्चन पर आरोप लगाने के बहाने मौकापरस्त राजनीतिज्ञों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर भी सीधा निशाना साध लिया। नतीजतन चुनाव हुए तथा कांग्रेस की सरकार गिर गई और देश में गठबंधन सरकारों का वह दुर्भाग्यशाली दौर शुरु हुआ जो आज तक जारी है। और इन्हीं बेबुनियाद आरोपों से दु:खी होकर अमिताभ बच्चन ने न केवल इलाहाबाद से लोकसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया बल्कि राजनीति को भी अलविदा कह दिया।

अब उपरोक्त घटनाक्रम में हम यह साफतौर पर देख सकते हैं कि अमिताभ बच्चन ने मात्र पारिवारिक संबंध व मित्रता निभाने के कारण राजीव गांधी का साथ देने तथा कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर सक्रिय राजनीति करने व देश सेवा किए जाने का निर्णय लिया था। परंतु इसके बदले में उन्हें बदनामी, रुसवाई, नुंकसान तथा फिल्म उद्योग से फासले के सिवा और कुछ नहीं मिला। हां कांग्रेस पार्टी जैसे विशेष राजनैतिक संगठन के साथ जुड़ने से उनकी उस समय लोकप्रियता अवश्य कम हो गई क्योंकि उनपर एक विशेष राजनैतिक संगठन से जुड़े होने का ठप्पा लग गया था। यदि उनके राजनैतिक जीवन में उनके साथ ‘राजनीति’ न की गई होती तथा उन्हें उनके साधारण, निश्छल तथा पारदर्शी स्वभाव के अनुरूप राजनीति में रहने दिया जाता तो संभवत: आज देश की राजनीति की दिशा और दशा ऐसी दयनीय न होती जैसी कि नजर आ रही है। मुझे याद है कि 1985 में जिस समय वे इलाहाबाद से चुनाव मैदान में उतरे थे उस समय उनके हाथ में निर्माणाधीन तीन फिल्में थीं। वे सार्वजनिक रूप से इलाहाबादकी जनता से यह कहा करते थे कि मैं अपनी इन निर्माणधीन फिल्मों को पूरा करने के बाद पूरी तरह से आपके बीच आपकी सेवा करने के लिए हमेशा के लिए आ जाऊंगा। परंतु राजनीति के उस समय के महारथियों ने ऐसा नहीं होने दिया और अमिताभ बच्चन बड़े बेआबरू होकर राजनीति से बिदा हो गए।

लोकसभा से मई 1987 में त्यागपत्र देने के बाद अमिताभ पर संकट का दौर शुरु हो गया। उन्होंने अपनी असाधारण सोच के अनुरूप भारत में पहली बार मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता का आयोजन कराने का निर्णय लिया। उनके इस आयोजन पर बेहिसाब धनराशि खर्च हो रही थी। परंतु बैंगलौर में होने जा रहे इस आयोजन का देश में भारी विरोध किया जाने लगा। दरअसल इस विरोध का कारण भी भले ही जाहिरी तौर पर यही प्रचारित किया गया कि यह विरोध कथित ‘राष्ट्रवादी’ संगठनों द्वारा किया जा रहा है, परंतु दरअसल इस विरोध का कारण उनके वही पुराने राजनैतिक संबंध थे जिनका भुगतान उन्हें बाद में भी करते रहना पड़ा। इस विश्वस्तरीय आयोजन की असफलता ने उन्हें भारी क्षति पहुंचाई। परंतु ऐसे संकटकालीन समय में किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया। इसी बीच उनके सादे मिजाज व भोलेपन तथा वफादारी की परख रखने वाले विवादित राजनैतिक व्यक्ति अमर सिंह ने उनके जीवन में प्रवेश किया। उन्होंने हालांकि अमिताभ बच्चन की कांफी मदद की परंतु वे उस मदद के बदले में न केवल अमिताभ बच्चन बल्कि उनके पूरे परिवार के ग्लैमर को भुनाने की बाकायदा कोशिश करने लगे। परंतु जिस प्रकार दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक कर पीता है, उसी प्रकार अमिताभ बच्चन ने भी अमरसिंह के तत्कालीन राजनैतिक संगठन समाजवादी पार्टी से राजनैतिक रूप से फासला बनाए रखने की काफी कोशिश की। इसके बावजूद तीव्र राजनैतिक बुद्धि वाले अमर सिंह बिग बी की धर्मपत्नी जया बच्चन को समाजवादी पार्टी से राज्‍यसभा का सदस्य बनवाए जाने में सफल रहे।

कुछ ही समय बाद अमिताभ बच्चन को यह महसूस होने लगा कि संभवत: एक बार फिर उनके साथ बदनामी व रुसवाई का वही सिलसिला दोबारा न शुरु हो जाए जो कि 1985-87 के दौरान हुआ था। लिहाजा उन्होंने धीरे-धीरे अमर सिंह व समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव दोनों से कन्नी काटना शुरु कर दिया। उधर राजनैतिक समीकरण इत्तेफाक से कुछ ऐसे गड़बड़ाए कि अमर सिंह को भी समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। कल तक अमिताभ बच्चन को बड़े भैया कहकर संबोधित करने वाले अमर सिंह व बच्चन परिवार के मध्य संवाद का सिलसिला खत्म हो गया। परंतु पिछले दिनों नोट के बदले वोट कांड में जेल जाने के बाद जब अमर सिंह अपनी बीमारी के चलते जेल से अस्पताल में भर्ती कराए गए, उस समय एक बार फिर अमिताभ बच्चन ने अपने पिछले संबंधों की कद्र करते हुए अमर सिंह से अप्रत्याशित रूप से दिल्ली के ए स में जाकर उनसे शिष्टाचार के नाते मुलांकात की तथा उनका कुशलक्षेम जाना। जबकि जिस समाजवादी पार्टी के लिए अमर सिंह ने बड़ी से बड़ी कुर्बानी दी, उस पार्टी का कोई भी जिम्‍मेदार नेता उन्हें पूछने तक नहीं गया। यह अमिताभ बच्चन का बड़कपन नहीं तो और क्या है।

इस प्रकार की और अमिताभ बच्चन से जुड़ी न जाने कितनी घटनाएं ऐसी हैं जो बार-बार उनके उच्चकोटि के संपूर्ण आदर्श व्यक्तित्व को प्रमाणित करती हैं। आज भी कौन बनेगा करोड़पति के सेट पर वे अपने जीवन के 70वें वर्ष में भी जिस प्रकार का अभिनय करते, जिस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करते तथा करोड़ों भारतवासियों का दिल जीतते दिखाई देते हैं उसे देखकर निश्चित रूप से उनमें सदी के महानायक होने की पूरी झलक साफ नजर आती है।

**Tanveer Jafri ( columnist),(About the Author) Author  Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost  writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities. (Email : tanveerjafriamb@gmail.com)

Tanveer Jafri ( columnist), 1622/11, Mahavir Nagar Ambala City.  134002 Haryana phones 098962-19228 0171-2535628 *Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC

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