अब राजनैतिक दल भी हुए विदेशी और घुसपैठिये ?

0
32

– निर्मल रानी –                              

राजनैतिक दल एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप तो हमेशा से ही करते रहे हैं। अपने को जनहितैषी बताना तथा मतदातों को यह समझाना कि जनता व देश का हित केवल हमारे  हाथों में सुरक्षित है,यह तो हमारे देश ही नहीं बल्कि सभी लोकताँत्रिक देशों में यही समझाया जाता रहा है। परन्तु बदलती दुनिया में अब यह देखा जा रहा है कि राजनैतिक दलों के नेता अपनी व अपनी पार्टी की विशेषताएँ व उपलब्धियाँ गिनाने के बजाए अपने विरोधी या विपक्षी दलों व उनके नेताओं को नीचे दिखाने उन्हें अपमानित करने तथा लांछन लगाने पर ज़्यादा विश्वास करने लगे हैं। यहां तक कि सत्ता की लड़ाई ने व्यक्तिगत रंजिश जैसा माहौल पैदा कर दिया है। यह रवैया अब इतना आगे बढ़ चुका है कि अब विपक्षी दलों को यदि दुश्मन देशों का समर्थक तक कहना पड़े तो भी कोई हर्ज नहीं। राजनैतिक दलों में बढ़ती इस इस तरह की प्रवृति का कारण केवल और केवल एक ही है कि जब ये जनता से किये गए अपने वादों पर खरे नहीं उतरते और इन्हें अपनी सत्ता खोने का भय सताता है उस समय यह अपने विरोधी दलों को बदनाम करने के लिए उसके विरुद्ध तरह तरह के षड़यंत्र अपनाते हैं ताकि जनता किसी विकल्प को चुनने के बजाए इन्हीं वादा ख़िलाफ़ी करने वाले लोगों के हाथों में पुनः सत्ता सौंप दे और जनता इन्हें आईना दिखाने व इनकी नाकामी पर सवाल उठाने के बजाए वैकल्पिक राजनैतिक दलों पर लगातार हो रहे हमले व उनपर लगने वाले कथित ‘षड़यंत्रकारी’ आरोपों से घबरा कर उनके पक्ष में फ़ैसला करने की कोशिश न करे।
                                             देश को अक्टूबर-नवंबर 2015 में हुआ बिहार विधानसभा का वह चुनाव याद होगा जिसमें सुपौल ज़िले में एक रैली को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने फ़रमाया था कि यदि -‘बिहार में भारतीय जनता पार्टी हारी तो पाकिस्तान में पटाख़े फूटेंगे’। इस बात का साफ़ अर्थ है कि अमित शाह के अनुसार  भाजपा के मुक़ाबले में लड़ने वाला महागठबंधन जिसमें जे डी यू,आर जे डी, कांग्रेस व वामपंथी दलों के अलावा कई छोटे दल शामिल थे क्या वे सभी पाकिस्तान परस्त थे ? इस बात को कहने के बाद अमित शाह की इतनी आलोचना हुई थी कि इनकी पार्टी के किसी नेता व प्रवक्ता की इस वक्तव्य पर सफ़ाई देने की हिम्मत नहीं हुई थी। इस बयान का नतीजा यह हुआ कि भाजपा गठबंधन बुरी तरह चुनाव हारा और बिहार से लेकर भारत के सुदूर राज्यों तक ज़ोरदार तरीक़े से  पटाख़े फोड़े गए। बिहार की जनता यह सोचने के लिए मजबूर हो गयी कि क्या हम महागठबंधन को वोट करने से पाकिस्तान समर्थक हो जाएंगे ?  बिहार के जागरूक मतदाताओं ने इसका अर्थ यही निकला कि क्या बिहार का जो भी भारतीय नागरिक भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में मतदान नहीं करेगा वह पाकिस्तानी कहा जाएगा ? ख़ैर, जनता ने इसका जवाब दिया भाजपा पराजित हुई परन्तु जोड़ तोड़ कर अपनी सत्ता बनाने में महारत रखने वाली इसी भाजपा ने बाद में महागठबंधन में दरार का लाभ उठा कर आर जे डी व जे डी यू में फ़ासला पैदा किया फिर जे डी यू को समर्थन देकर उन्हीं “पाकिस्तानियों” के साथ मिलकर अपनी सरकार भी बना ली ? एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं  नितीश कुमार के डी एन ए पर भी सवाल खड़ा कर चुके हैं।
                                               अब इसी तरह की भाषा का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रवक्ता रहे व भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राम माधव द्वारा आसाम में किया गया है। ग़ौरतलब है कि मार्च-अप्रैल 2021 में आसाम विधान सभा के चुनाव होने की संभावना है। भाजपा ने अभी से चुनावी माहौल बनाना शुरू कर दिया है। राज्य में भाजपा का मुख्य मुक़ाबला कांग्रेस तथा आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट व कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों से होता है। प्रकाशित समाचारों के अनुसार पिछले दिनों राज्य भाजपा की पार्टी कार्यकारिणी की गोहाटी में आयोजित बैठक में अपने संबोधन में यह फ़रमाया कि विपक्षी दल कांग्रेस व यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट विदेशी व घुसपैठियों की पार्टियां हैं।  बैठक में पार्टी ने 100 दिन के अपने चुनाव प्रचार की कार्ययोजना पर विमर्श किया। विपक्षी दलों पर अभी से किये जाने वाले इस प्रकार के हमले से इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है की आसाम में होने  विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान वातावरण में किस तरह की कड़वाहट घुलने वाली है। कांग्रेस पार्टी जिसने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई तथा महात्मा गाँधी व सरदार पटेल व पंडित नेहरू जैसे नेता जिस पार्टी  के सदस्य रहे हों वह पार्टी विदेशी पार्टी  हो गयी ?केरल से आसाम तक जिस यू डी एफ़ के दर्जनों विधायक चुनाव जीत कर भारतीय  संविधान की शपथ लेते रहे हों वह पार्टी आख़िर घुसपैठियों की पार्टी कैसे हो गयी ? आख़िर इनके द्वारा क्यों  कांग्रेस जैसी ‘विदेशी पार्टी’ के नेता सरदार पटेल की ही विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा नर्मदा नदी के किनारे लगाई गयी ?
                                                   स्वयं को विचारक व बुद्धिजीवी समझने व राष्ट्रवाद के स्वयंभू ठेकेदार बनने वाले लोग जब आज़ादी में स्वयं के संगठन की भूमिका पर पूछे  गए सवालों के जवाब देने में बग़लें  झांकने लगते हैं तब इन्हें दूसरों को लांछित करने के अलावा दूसरा कोई उपाय नज़र नहीं आता। आसाम में ही एन आर सी लागू करने में बुरी तरह फ़ेल रहने के बाद पार्टी अब शर्मिन्दगी से उबरने के लिए आसाम के मतदाताओं को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि विपक्षी दल विदेशी व घुसपैठिया हैं और अकेले हम ही देश भक्त व राष्ट हितैषी हैं। वैसे भी सत्ता में आने के बाद विशेषकर जनता  द्वारा इन्हें दूसरा मौक़ा दिए जाने के बाद इनके नेताओं के न केवल बोल बिगड़ गए हैं बल्कि इनको यह मुग़ालता भी हो गया है कि देश की जनता इनकी हर बात को अक्षरशः स्वीकार करने लगी है। परन्तु अब जनता इनके झूठ व आडंबरों से तथा इनकी ‘ मीठी गोलियों’ से बख़ूबी वाक़िफ़ भी होने लगी है। यही वजह है कि जो थाली व ताली प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश के युवाओं ने 22 मार्च को शाम 5 बजे 5 मिनट तक बजाई थी वही ताली व थाली देश  के युवक पिछले दिनों घंटों तक सड़कों पर बजाते  रहे और देश में बढ़ती बेरोज़गारी के प्रति सरकार का ध्यान खींचते रहे। प्रधानमंत्री सहित शीर्ष भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों पर लगातार नापसंद करने वालों की तादाद कई गुना बढ़ती जा रही है। परन्तु सत्ता का ध्यान जनता की बुनियादी ज़रूरतों व समस्याओं से निपटने के बजाए अपने विरोधियों व विपक्षियों को विदेशी व घुसपैठी बताने में लगा हुआ है।    
                   
 

___________________

 

________________

परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क -: E-mail : nirmalrani@gmail.com

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

 
 
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here