अब बुलेट ट्रेन पर सवार हुए मुंगेरी लाल के सुनहरे सपने

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Bullet train1{ निर्मल रानी }
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अथवा भाजपा सरकार का पहला रेल बजट संसद में पेश कर दिया गया। प्रत्येक सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए रेल बजट की भांति इस बजट में भी कई नई रेलगाडिय़ां चलाए जाने का प्रस्ताव है। 2014-15 के दौरान 5 नई प्रीमियम रेलगाडिय़ां चलाई जाएंगी तथा 6 वातानुकूलित एक्सप्रेस रेलगाडिय़ां शुरु की जाएगी। इसके अतिरिक्त 27 अन्य एक्सप्रेस रेलगाडिय़ां तथा 8 यात्री रेलगाडिय़ां चलाई जाने का प्रस्ताव है। साथ-साथ देश के सभी प्रमुख नगरों के रेलवे स्टेशन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के रेलवे स्टेशन बनाए जाने की भी योजना है। चालू परियोजनाओं के लिए सरकार को 5 लाख करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। रेल मंत्री सदानंद गौड़ा द्वारा पेश किए गए इस बजट की एक ‘विशेषता’ यह भी रही कि संसद में रेल बजट प्रस्तुत किए जाने के दौरान ही सेंसेक्स में 518 अंकों की भारी गिरावट आई। तथा इस गिरावट के साथ सेंसेक्स 25582 के स्तर पर बंद हुआ। पिछले दस महीनों में एक दिन में हुई यह सबसे बड़ी गिरावट थी। इसी प्रकार रेल बजट पेश करने के दिन यानी 8 जुलाई को ही नि$फ्टी में 2.11 $फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 164 अंकों की गिरावट के बाद 7623 के स्तर पर बंद हुआ। रेल बजट में प्रस्तावित खर्च में हुई मामूली बढ़ोतरी के कारण रेलवे से जुड़ी कंपनियों के शेयर गिरे।

इस बजट की सबसे बड़ी विशेषता यह भी रही कि अपने भाषण के दौरान रेल मंत्री महोदय को यह भी कहते सुना गया कि-‘इस बार रेल किराया व माल भाड़े में कोई वृद्धि नहीं की गई। बड़े आश्चर्य की बात है कि अभी पिछले जून माह के अंत में रेल किराए व माल भाड़े में बजट पूर्व लगभग पंद्रह प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी करने के बाद सरकार इस प्रकार की हास्यास्पद तथा अप्रासंगिक बातें कर जनता को गुमराह करने की एक और कोशिश कर रही है। ठीक उसी तरह जैसे देश की अवाम को यह कहकर गुमराह किया जा रहा है कि नरेंद्र मोदी का सपना देश में बुलेट ट्रेन दौड़ाने का है। जबकि वास्तविकता यह है कि भारत में बुलेट ट्रेन अथवा तीव्रगति वाली रेल गाडिय़ां लाने की योजना पर लगभग एक दशक पूर्व यूपीए सरकार के शासनकाल में ही काम शुरु हो चुका है। और इस योजना की चर्चा सर्वप्रथम तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा छेड़ी गई थी। परंतु जनता को मीडिया के माध्यम से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है कि भारत में बुलेट ट्रेन चलाने का सपना नरेंद्र मोदी का है। जबकि नरेंद्र मोदी की कथित ‘विकास गाथा’ की एक कड़वी सच्चाई यह है कि सन 2004 में उन्हीं के अपने राज्य गुजरात में उन्हीं के द्वारा अहमदाबाद में मैट्रो ट्रेन चलाए जाने का सपना गुजरातवासियों को दिखाया गया था। परंतु आज 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अहमदाबाद के लोगों को चलती हुई मैट्रो ट्रेन के दर्शन तो दूर इस परियोजना पर कहीं काम होता हुआ भी नहीं दिखाई दे रहा है। क्या समझा जाए कि वही मोदी जी देश को बुलेट ट्रेन दे पाएंगे? या यह भी अहमदाबाद मैट्रो परियोजना की ही तरह देश की जनता को सुनहरे सपने बेचने जैसी एक कोशिश मात्र है?

रेलमंत्री गौड़ा द्वारा प्रस्तुत किए गए रेल बजट में देश में 9 प्रमुख रूट पर 160 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से बुलेट ट्रेन चलाए जाने की घोषणा के बाद सत्तापक्ष के लोगों ने संसद की मेज़ें थपथपा कर इस घोषणा का ज़ोरदार स्वागत किया। अब आईए ज़रा बुलेट ट्रेन की ह$की$कत और भारत में बुलेट ट्रेन को लेकर जनता को गुमराह करने के प्रयासों पर भी एक नज़र डालने की कोशिश करते हैं। रेल बजट आने से मात्र एक सप्ताह पूर्व ही मीडिया द्वारा बड़े ज़ोर-शोर से यह $खबर प्रचारित की गई कि देश में सेमी बुलेट ट्रेन का ट्रायल दिल्ली-आगरा रूट के बीच किया गया। यह $खबर रेल मंत्रालय के प्रयासों से जनता का ध्यान अपनी तथाकथित लोकलुभावनी विकास गाथा को प्रचारित कराने के उद्देश्य से सुनियोजित तरी$के से कराया  गया था। सेमी बुलेट ट्रेन के नाम पर जिस रेलगाड़ी को मात्र 160 किलोमीटर प्रति घंटा की र$फ्तार से सामान्य रेल ट्रैक पर दौड़ाने की कोशिश की गई वह न तो बुलेट टे्रन के लिए इस्तेमाल में लाया जाने वाला इंजन था न ही डिब्बे और न ही हाई स्पीड हेतु निर्धारित रेलवे ट्रैक?बल्कि इंजन सहित इस कथित सेमी बुलेट ट्रेन का रैक वही था जोकि इन दिनों देश में विभिन्न मार्गों पर चलने वाली शताब्दी अथवा स्वर्ण शताब्दी रेलगाडिय़ों में इस्तेमाल किया जा रहा है। जहां तक गति का प्रश्र है तो देश में चलने वाली अब तक की सबसे तेज़ एक्सप्रेस रेलगाडिय़ों में भोपाल शताब्दी एक्सप्रेस ऐसी रेलगाड़ी है जिसकी अधिकतम गति सीमा 150 किलोमीटर प्रति घंटा है। अब ज़रा सोचिए कि जब देश में पहले से ही150 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से भोपाल शताब्दी जैसी ट्रेन दौड़ रही है ऐसे में मात्र 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति का इज़ा$फा कर इसी इंजन व रैक को इसी ट्रैक पर दौड़ाने की प्रक्रिया को आ$िखर सेमी बुलेट ट्रेन के ट्रायल का नाम कैसे दिया जा सकता है? आ$िखर इस तरह की बातें कर आम लोगों की आंखों में धूल झोंकने का सिलसिला कब तक चलता रहेगा?
अब आईए बुलेट ट्रेन,इसकी गति व इसके संचालन व सुरक्षा की कुछ वास्तविकताओं से आपको अवगत कराते हैं। चीन का नाम इस समय विश्व में चलने वाली बुलेट ट्रेन के क्षेत्र में सबसे अग्रणी हो गया है। चीन में शंघाई-बीजिंग-गवांगज़ू-शेनज़ेन-चांगाशा जैसे कई प्रमुख महानगरों के मध्य बुलेट ट्रेन का संचालन किया जा रहा है। इन रेलगाडिय़ों की औसत गति 200 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 240 व 360 किलोमीटर प्रति घंटे तक की है। और अब तो चीन में चुंबकीय तकनीक पर आधारित मैगलेव तकनीक की ट्रेन का भी संचालन शुरु कर दिया गया है। $िफलहाल मैगलेव ट्रेन 431 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से शंघाई

में चलाई जा रही है। परंतु इसकी रिकॉर्ड गति 501 किलोमीटर प्रति घंटा है। बुलेट ट्रेन का अपना अलग रेल ट्रैक होता है। इसके इंजन व डिब्बे भी सामान्य रेल इंजन व डिब्बों से हल्के व अलग प्रकार की तकनीक से बनाए जाते हैं। इस ट्रेन के स्टे्रशन से लेकर पूरे रेल रूट तक कहीं भी कोई आदमी अथवा जानवर ट्रैक पर अथवा स्टेशन पर प्रवेश नहीं कर सकता। केवल निर्धारित ट्रेन का अधिकृत यात्री ही ट्रेन के निर्धारित समय पर निर्धारित प्लेट$फार्म पर प्रवेश पा सकता है। $िफलहाल हमारे देश में इतना सुरक्षित न तो कोई रेलवे स्टेशन है न ही कोई रेल टैक?
देश के अधिकांश रेलवे स्टेशन साधू वेशधारी शराबी व पाखंडी बाबाओं की गिरफ्त में हैं। रेल कर्मचारी व रेल सुरक्षाकर्मी तथा चोर-उच्चकों के मिले-जुले नेटवर्क के द्वारा रेलवे की संपत्ति की चोरी की जाती है। Bullet train station chinaअहमदाबाद सहित देश के अधिकांश रेलवे स्टेशन ऐसे हैं जिनपर यात्री नाक पर रुमाल रखकर खड़े होने को मजबूर होते हैं। रेलवे कैटरिंग व पैंट्री कार में सड़ा हुआ खाना यात्रियों को परोसने का भंडाफोड़ मीडिया द्वारा किया ही जा चुका है। सिंथेटिक व रासायनिक दूध की बनी चाय दशकों से रेल यात्री पीने को मजबूर हंै। टिकट निरीक्षक द्वारा आरएसी व प्रतीक्षा कोटे के यात्रियों को बर्थ आबंटित करने के बजाए दूसरे यात्रियों से रिश्वत लेकर उन्हें बर्थ दिए जाने का सिलसिला भी दशकों से चला आ रहा है। चलती ट्रेन में अथवा प्लेट$फार्म पर यात्रियों को ज़हर खुरानी का शिकार बनाए जाने की घटनाएं भी हमारे देश के रेलवे स्टेशन व रेलगाडिय़ों से जुड़ी हैं। रेल ट्रैक को विस्फोटक से उड़ाने,रेलगाडिय़ों के पटरियों से उतरने जैसी खबरें भी हम सुनते रहते हैं। देश के अनेक रेलवे स्टेशन व प्लेट$फार्म चोर-उच्चकों,उठाईगिरों तथा लुटेरों की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। कहीं स्टेशन पर प्लेटफार्म की कमी है तो कहीं प्लेटफार्म पर यात्रियों के पीने के लिए पानी नहीं है। और कहीं पानी है भी तो उसे जानबूझ कर बंद कर दिया जाता है। इस प्रकार की और अनगिनत समस्याएं ऐसी हैं जिनसे भारतीय रेल यात्री जूझते आ रहे हैं।

उपरोक्त परिस्थितियों में यह सोचना बेहद ज़रूरी है कि आखिर  देश के रेल यात्रियों की सबसे पहली ज़रूरत है क्या? वर्तमान रेल व्यवस्था, रेल संचालन तथा रेल सुरक्षा को चाक-चौबंद करना,उसे दुरुस्त व व्यवस्थित करना अथवा अहमदाबाद मैट्रो परियोजना की ही तरह बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा के बहाने देश के लोगों को गुमराह करना? सत्ता में आने के लिए झूठ-सच,मक्कारी तथा सपने दिखाने जैसी बातों ने तो निश्चित रूप से अपना रंग ब$खूबी दिखाया। परंतु इस राह पर चलते हुए सत्ता के सिंहासन पर बैठने के बाद अब भी मात्र सपने बेचने का खेल खेलते रहना $कतई मुनासिब नहीं है। देश की मात्र 5 से 10 प्रतिशत उच्च श्रेणी के रेल यात्रियों के लिए बुलेट ट्रेन के वास्तविक व निर्धारित ढांचे पर खरबों रुपये $खर्च करने व बुलेट ट्रेन के सुनहरे सपने परोसने से ज़्यादा ज़रूरी है भारतीय रेल की वर्तमान स्थिति व उसकी दुर्दशा में सुधार करना।

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nirmal raniनिर्मल रानी

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं.

Nirmal Rani (Writer )
1622/11 Mahavir Nagar Ambala City
134002 Haryana phone-09729229728
*Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC

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