दिल्ली,,
‘नृत्य चूड़ामणि’ जयंत कस्तुआर ने आज शाम अपने कत्थक नृत्य के प्रदर्शन के दौरान लय का ऐसा जादू बिखेरा कि कमानी सभागार में उपस्थित रसिक मंत्र-मुग्ध हो गए। ‘संगीत नाटक अकादेमी’ के सचिव और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहते हुए और उससे पहले लगभग तीन दशक तक देशभर में सैकड़ों नृत्यकारों को बढ़ावा देने के बाद आज ‘न्यू आर्टिस्ट्स फोरम’ द्वारा श्री मन्ना श्रीनिवासन की स्मृति में आयोजित शास्त्रीय नृत्य कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत करते हुए जयंत अपने प्राकृतिक स्वभाव में थे।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि संगीत नाटक अकादेमी की उपाध्यक्ष एवं एपीपीएन (एशिया पैसिफिक परफोर्मिंग आर्ट्स नेटवर्क) की अध्यक्षा शांता सरबजीत सिंह थीं। उन्होंने नृत्य प्रदर्शन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा,“हर नृत्य प्रदर्शन को रसिकों के हृदयों को छूने की क्षमता की कसौटी पर तौला जाता है। यह तब होता है जब नृत्य का साधन यानि शरीर इसमें खो जाता है और जवान और बूढ़े, काले और गोरे, स्त्री और पुरुष का भेद मिट जाता है। यदि कुछ अनुभव होता है तो वह है रस और दिखता है तो उसका माध्यम। जयंत ने आज वही किया।”
शास्त्रीय नृत्य को बढ़ावा देने के लिए कटिबद्ध न्यास ‘न्यू आर्टिस्ट्स फोरम’ द्वारा संस्था के पूर्व सचिव दिवंगत मन्ना श्रीनिवासन की स्मृति में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। श्रीनिवासन प्रदर्शन कलाओं के जाने-माने लेखक, आलोचक और अनुसंधानकर्ता थे। दक्षिण भारत के कलाकारों को राजधानी और उत्तर भारत के कलाकारों को दक्षिण भारत में बढ़ावा देने में उनका अपूर्व योगदान रहा है।
कार्यक्रम के विचार पर टिप्पणी करते हुए न्यू आर्टिस्ट्स फोरम के अध्यक्ष एवं वरिष्ट कुचिपुड़ी नर्तक तरवीन मेहता के कहा, “मन्नाजी और मैंने लगभग ३५ साल पहले इस फोरम की शुरुआत की थी और कई नई प्रतिभाओं को बढ़ावा दिया, उनमें से कुछ जैसे जयंत कस्तुआर आज राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हैं।”
आज के नृत्य प्रदर्शन पर अपना अनुभव बाँटते हुए जयंत कस्तुआर का कहना था, “मन्ना श्रीनिवासन मेरे गुरु पंडित दुर्गालाल जी और मेरे बहुत करीब थे और यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि मुझे उन जैसे कटिबद्ध सांस्कृतिक कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि के अवसर पर प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ। ”