ब्यूरो
भोपाल (मध्य प्रदेश) . केन्द्रीय जनजाति कार्य मंत्री कांति लाल भूरिया ने कल भोपाल में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी अधिनियम, 2006 के तहत प्रगति की समीक्षा बैठक को संबोधित किया। बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातियों एवं परम्परागत वन निवासियों के प्रति हो रहे घोर अन्याय को मिटाने तथा लम्बे समय से चली आ रही भूमि संबंधी असुरक्षा को दूर कर उन्हें वन अधिकारों और वन भूमि में अधिभोग को मान्यता देने के लिए अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 पारित किया गया है। भारत सरकार द्वारा यह एक ऐतिहासिक निर्णय व अभूतपूर्व प्रयास है।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के पुन: चुनाव जीतने के पश्चात महामहिम राष्ट्रपति ने आदिवासियों के लिए वन अधिकारों के महत्व को पहचानते हुए संसद में अपने उद्बोधन में 2009 के अंत तक सभी वन पट्टों के वितरण करने का लक्ष्य रखा है। कांतिलाल भूरिया ने बताया कि भारत सरकार के इस संकल्प को साकार करने के उद्देंश्य से मंत्रालय के समस्त अधिकारी देश के सभी राज्यों में समीक्षा दौरे कर रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा भी इस संबंध में सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है।
उन्होंने जानकारी दी कि मध्य प्रदेश में 3,66,879 दावे प्राप्त हुए हैं व 32,876 पट्टे वितरित हो चुके हैं। त्रिपुरा जैसे छोटे राज्य ने भी अब तक 74,042 पट्टे वितरित कर हमसे बढत ले ली है। छत्तीसगढ, जो कि इसी प्रदेश का एक भाग रह चुका है ने 1,02,800 पट्टे वितरित कर दिये हैं, जो मध्य प्रदेश द्वारा वितरित किये गये पट्टों से काफी ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि समीक्षा बैठक का उद्देश्य यही है कि वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत आदिवासियों व अन्य वन निवासियों को परम्परागत अधिकार दिलाने के कार्य को पूर्ण, सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करते हुए अभियान की तरह इसमें स्वयं को झोंक दें।
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