अनुप्रिया की चार कविताए
1.माँ ज्यादातर चुप रहती है
माँ ज्यादातर चुप रहती है
या फिर
कुछ कहते हुए
बंद हो जाती है अक्सर
अपने ही भीतर
बरतनों के शोर में दबा देती है
अपनी उदास सिसकियाँ
मैले कपड़ों संग
डूबो देती है
अपनी अनकही नराजगियाँ
आँगन बुहारते हुए
पीले पत्तों संग समेट लेती है
सीली हुई मुस्कुराहटें
अपने टूटे हुए चेहरे को
बड़ी ही सफाई से
बचा लेती है
सबके सामने बिखरने से
भरे -पूरे घर में
तलाशती है
अपना एक कोना
अपना एक एकांत
और अंततः
मायूस लौट आती है
अपने ही भीतर
अपने अनकहे में।
2.बच्चा नींद में हैं
बच्चा नींद में हैं
नींद के भीतर
उसने एक सुराख़ कर ली है
कि वो पहुँच सके सपनों तक
उसे नजर आता है
चमक -धमक से भरा शहर
उस शहर में भरी है भीड़
और शोरशराबों का
उठता घना धुआँ
वह मायूस लौट आता है सपनों से
उसकी नींद और सपनों से
मिटा दिए हैं हमने
पहाड़ ,तालाब ,मेंढक ,तितलियाँ ,जुगनू
फूल ,जंगल ,तारे ,चाँद ,आसमान ,बादल
अब
बच्चा सपने नहीं चाहता !!
3.अल्हड़ लड़कियाँ
अल्हड़ लड़कियाँ
बात -बात पर
हँस देती हैं फिक्क से
सड़क पर निकलते हुए
घूरती जाती हैं
सिनेमा के नये पोस्टर
पूरी नींद कभी नहीं सोती
अक्सर पुकार ली जाती हैं
कई आवाज़ों में
अल्हड़ लड़कियाँ
पहनने ओढ़ने के सलीके
कहाँ जानती हैं
शाम के धुँधलके में
बजाती हैं सीटियाँ छत पर टहलते हुए
और बेवजह डाँट खाती हैं भाईयों से
काम -काज में लगी
अक्सर भूल जाती हैं
समय पर खाना
मर्दाना चाल चलती हुई
माँ की फटकार सुनती है
अल्हड़ लड़कियाँ
शरतचन्द्र और तस्लीमा नसरीन को पढ़ते हुए
रात -रात भर
जागती हैं
तुम्हें देखा तो ये जाना सनम सुनते हुए
शरमाती हैं
और
“बाजार ” देखकर आँसुओं से रोती हैं
पहले प्रेम की मुस्कानें
नहीं छिपा पाती हैं
और धर ली जाती हैँ
ऐन मौके पर
अल्हड़ लड़कियाँ
उठती हैं
गिरती हैं
बार -बार प्रेम में पड़ती हैं
नहीं काटती हैं अपनी नसें
ना ही खाती हैं नींद की गोलियाँ
और टूटा हुआ दिल लिए
मूव ऑन कर जाती हैं
अल्हड़ लड़कियाँ
4.कि कोई आने को है !!
स्त्रियाँ अक्सर
चूल्हे की राख पर
सबसे छिपकर लिखती हैं
अपनी
अधूरी प्रेम कहानियाँ
खौलते अदहन के बुलबुलों में
पढ़ती हैं
जाने किसका चेहरा
लकड़ियों को सुलगते हुए देखकर
मुस्कुरा उठती हैं
अपनी कामयाबी पर
और धुएँ को सौंप देती हैं
गुप्त भाषाओँ में कोई
पहचाना सा सन्देश
रसोई के भीतर
तेल -मसालों के बीच
रचती हैं दुनिया का सबसे अनोखा
रहस्य
रोटियों में छुपाकर रखती हैं
अपने मौन संवाद
और
अपने आंसुओं को अक्सर
नमक की डिबिया में
बंद कर देती हैं
कि कोई आने को है !!
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प्रस्तुति
नित्यानन्द गायेन
Assistant Editor
International News and Views Corporation
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अनुप्रिया
कविता लेखन/ पठन -पाठन
प्रकाशन -कथाक्रम .परिकथा ,वागर्थ ,कादम्बिनी ,संवदिया ,युद्ध रत आम आदमी ,प्रगतिशील आकल्प ,शोध दिशा ,विपाशा ,श्वेत पत्र , नेशनल दुनिया ,दैनिक भास्कर , दैनिक जागरण , संस्कार -सुगंध , अक्षर पर्व ,हरिगंधा , हाशिये की आवाज़ , दूसरी परम्परा , अंतिम जन आदि पत्र – पत्रिकाओं में कवितायेँ निरंतर प्रकाशित
नंदन ,स्नेह ,बाल भारती ,जनसत्ता,नन्हे सम्राट ,जनसंदेह टाइम्स ,नेशनल दुनिया ,बाल भास्कर ,साहित्य अमृत ,बाल वाटिका, द्वीप लहरी ,बाल बिगुल में बाल कवितायेँ प्रकाशित .
संवदिया ,विपाशा ,ये उदास चेहरे, अंजुरी भर अक्षर , हाशिये की आवाज़ आदि पत्रिकाओं में रेखा चित्र प्रकाशित .
संपर्क- श्री चैतन्य योग .गली नंबर -27,फ्लैट नंबर-817 ,चौथी मंजिल ,डी डी ए फ्लैट्स , मदनगीर ,नयी दिल्ली ,पिन-110062
bahut khoobsoorat rachnayen..v ..rekhachitr
Aap sabka hardik aabhar.aapke shabd mere liye andhere ka deepak hain,bahut haunsla milta hai inse.
Sadar
Anupriya
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अनुप्रिया जी …आपकी कविताए बहुत शानदार हैं , पढ़ने के बाद ….कुछ देर …बहुत कुछ …सोचने पर मजबूर करने वाली कविताए हैं आपकी
नहीं बिलकुल नहीं , आई एन वी सी जितने सेक्शन में खबरे और पाठको के लियें उनकी पसंद की सामग्री मोहिया करवाता हैं उतना तो बीबीसी भी नहीं ! साभार और धन्यवाद …अच्छी कविताएं पढ़वाने के लियें !
Nityanand Gayen ji …अगर ऐसा होता हम सब ,पूरा परिवार साथ साथ बैठ कर कवियाए पढ़ रहे होते क्या ?
Please ab aap log kavita par tippani karen to achha rhega . Shukriya .
निहारिका जी , आप सभी लोग सही कह रहे हैं , मेरा प्रश्न सिर्फ इतना है कि क्या आप लोगों को बाकी साइट्स की तरह यहाँ भी कुछ आपत्तिजनक मिला ? यदि हाँ तो हमें अवगत कराइये। हम सुधार करेंगे। बाकी मैं यहाँ सिर्फ साहित्यिक पेज को देखता हूँ। सादर।
मैं इस मुद्दे पर निहारिका जी का समर्थन करती हूँ ! एक महिला अगर कोई भी साईट या न्यूज़ पोर्टल पर सभी के सामने जाती हैं तो कई बार बहुत बुरे अनुभवों का सामना करना पढ़ता , उस अनुभव को तो वहीँ महिला समझ सकती हैं जो उस मानसिक पीड़ा से गुजरी हो
कविताएं बहुत शानदार हैं पढ़कर कुछ सिखने को मिला
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! मैं डॉ राधिका वर्मा जी का समर्तन करती हूँ और साथ में Nandani Sharma जी को भी आभार प्रकट करती हैं ….अब ये विषय चर्चा का विषय होना ही चाहियें !
चाहे जितना भी ज़रूरी काम क्यों न हो पर फिर भी एक महिला किसी भी साईट को सबके सामने खोलने से कतराती हैं पता नहीं इसमें क्या क्या छिपा होगा ! जब ऐसा होता हैं तो ……..ओह्ह्ह ….
मैं Nandani Sharma जी से सहमत हूँ , आप जितना रिसर्च मटेरियल पब्लिश करते हैं उतना तो कोई भी नहीं करता , आपके अगर अपने संपादकीय पेज में जाएँ तो यहाँ वह सब मौजूद हैं जिस पर कई लोग Phd कर रहे हैं , कई बार मैंने खुद बहुत सारे लेखो का रेफरेंस अपने विद्यार्थियो को दिया हैं ! Nityanand Gayenजी …इन्टरनेट मीडिया सच में फर्जी कमाई का अड्डा बन गया हैं …आप लोग अभी तक बचे हुएं …ऐ समाज के साथ साथ पत्रकारिता धर्म के लियें भी बहुत अच्छा हैं !
नंदनी जी , शुक्रिया।
I want to say that this post is awesome, nice written
internet मीडिया/ पत्रकारिता ect.आज फर्जी हिट्स के ज़रियें बहुत सारा पैसा कमाने का माध्यम बन गया हैं ! आप अगर बाकी national and international news portal पर जाएँ कुछ भी अच्छा सा पढ़ने के लियें पार रिसर्च करने के लियें तो आपको बहुत सारे गूगल एड और अपने हिट्स बदावाने के लियें बहुत सारी फिम्स स्टार की ऐसी फोटो मिल जायेंगी जो आप किसी अखबार या सभ्य पत्रिका में नहीं देखते हैं ! बहुत सारी फर्जी खबरे ,भद्दे जोक्स ,फालतू की खबरे जिनका समाज से कोई सरोकार नहीं हैं आपको न चाहते हूँ भी ऐ साइबर एक्सपर्ट किल्क करवा कर ही मानते हैं , इस लियें मैंने इन्टरनेट मीडिया के लियें porn time zone का इस्तेमाल किया , Nityanand Gayen जी क्या आप मुझे किसी एक ऐसी न्यूज़ पोर्टल के बारे में बता सकते हैं जहां इतना सारा बहुत कुछ अच्छा सा पढ़ने लिखने वालो के मौजूद हो फिर भी गन्दगी मौजूब न हो , फालतू के हिट्स हासिल करने के लियें कोई साइबर एक्सपर्ट मौजूद न हो और जहां आप अपनी बेटी को निर्भीकता के साथ कह सकते हो की फला न्यूज़ पोर्टल को आपको खोलने की पूरी आज़ादी हैं …आपको ऐ यकीन हो की आपका बच्चा इस साईट पर आने के बाद कुछ अच्छा ही सीखेगा ! इसीलियें मैंने आई एन वी सी का आभार प्रकट किया
Thank you for the auspicious writeup.
नंदनी जी , कम्मेंट के लिए शुक्रिया। कृपया porn time zone का संदर्भ थोड़ा विस्तार से बताएं , मैं समझ नही पाया हूँ। यह सवाल इसलिए पूछ रहा हूँ क्यों कि यहाँ साहित्य वाला पेज मैं देख रहा हूँ। सादर।
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आभार ..अल्हड़ लड़कियाँ के लियें ,बाकी कविताएं भी बहुत उम्दा हैं , आपने क्या दिल के अन्दर बैठ कर लिखा हैं इन सभी कविताओं को …बहुत बहुत बधाई
सभी कविताएं ..एक से बढकर एक हैं पर ….4.कि कोई आने को है….बहुत दूर की कविता लिखी हैं आपने …पता नहीं क्यूँ आलोचकों की नज़र अभी तक इस कविता पर नहीं पड़ी …सुबह -सुबह शानदार कविताओं के लियें अनुप्रिया को बधाई
माँ की चुप्पी …बहुत तकलीफ देह हैं ….आपने हर कविता को खुद बात करने का मोका दिया हैं …बधाई …
धन्यवाद आई एन वी सी को भी जिसने porn time zone में होते हुयें भी पत्रकारिता धर्म को अभी नहीं छोड़ा हैं …
विचारणीय भाव लिए उत्कृष्ट कवितायेँ