अनवर सुहैल की कविता : ये किनका दुःख

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ये किनका दुःख
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नही मिला है

चार माह से वेतन
घर में खाली बर्तन
हारी और बीमारी मारे
भूख खडी दरवाज़े, मांगे
कुछ भी मिल जाए-‘खाना दो!’

तुम कहते हो
मैं गायक हूँ
दुःख-तकलीफ बढाने वाले
गाने ही गाया करता हूँ
नही देखता मौका-अवसर
इनके-उनके दुःख कहता हूँ…

तुम ही बोलो
तुम डरते हो
एड्स और इबोलो से
और हमारे भाई-बंधू
मामूली मलेरिया से ही
परलोक चले जाते हैं….

छोडो,
करो चाहे नापसंद मुझको
मैं तो उनके दुःख को अपनी
कविताओं में भरता रहूँगा
और शरीक रहूँगा उनके
सनातन शोक-पर्व में…..
                      
————– प्रस्तुती   – नित्यानन्द गायेन

 

ANVAR SUHELअनवर सुहैल

मूलत: कवि कथाकार प्रकाशित किताबें कथा संग्रह : कुंजड कसाई, ग्यारह सितम्बर के बाद, चहल्लुम उपन्यास : पहचान , दो पाटन के बीच कविता संग्रह : और थोडी सी शर्म दे मौला सम्पादन : संकेत लघुपत्रिका 

सम्पर्क : टाईप ४/३ आफ़ीसर्स कालोनी पो बिजुरी जिला अनूपपुर म- प्र- ४८४४४० फ़ौन ०७६५८ २६४९२० मो ०९९०७९७८१०८

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