अतुल मिश्र की कविता – चुनाव – लोकतन्त्र का महोत्सव

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चुनाव, लोकतन्त्र का महोत्सव, जनतन्त्र का परमोत्सव,

मतदान का महापर्व, बोध का पुनीत पर्व,

प्रचार का तीव्र विवाद, घोषणा – पत्रांे से संवाद,
अधिकार की आख्या, दायित्व की व्याख्या।

चुनाव, सुतन्त्र की स्थापना, वितन्त्र की विस्थापना,

समानता का अवसर, जनमत का विराट स्वर,

युवा शक्ति का प्रदर्शन, नारी शक्ति का निदर्शन

धनबल का बहिष्कार, साम्प्रदायिकता का परिष्कार।

चुनाव, रणनीति पर जोर, राजनीति का शोर,

विजय की आशा, पराजय का भय,

शब्दों की जादूगरी, वायदांे की बाजीगरी,

आश्वासनों की झड़ी, विश्वासों की फुलझड़ी।

चुनाव, मोदी की ललकार, राहुल की हुँकार,

मुलायम की पुचकार, मायावती की बौछार,

आजम पर प्रतिबन्ध, अमित शाह का द्वॅंद,

अम्मा का दॉव, रजनीकान्त का बढ़ता भाव।

चुनाव, समीकरणों की लड़ाई, अगड़े – पिछड़ों की दुहाई,

धनबल का जोर, बाहुबल का शोर,

विकास की बात, विश्वास के साथ,

विनती करते हाथ, कौन किसके साथ।

चुनाव, जनता की बारी, मत की तैयारी

परीक्षा की घड़ी, हमारी तुम्हारी,

विवेक की बात, सच्चाई का साथ विवदों से परे, देश फूले – फले।

चुनाव, लोकतन्त्र का महोत्सव, जनतन्त्र का परमोत्सव ।।

लोकतन्त्र का महोत्सव, जनतन्त्र का परमोत्सव

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downloadअतुल मिश्र/इलाहाबाद
यूएनओ फेलोशिप प्राप्कर्ता

 मोबाईल नम्बर – 9450603336

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