अच्छे दिन किसके लिए ?

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Bhagwa at Jama masjid{ तनवीर जाफ़री }
दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार का बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लासस के साथ राज्याभिषेक हो चुका है। देश में ‘अच्छे दिन’ आ गए हैं का ज़बरदस्त प्रोपेगंडा किया जा रहा है। 26 मई को इन ‘अच्छे दिनो  की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार शपथ ग्रहण समारोह से हुई है जिसमें कि भारतीय सैनिक लांसनायक हेमराज का सिर काट कर ले जाने वाले देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरी$फ सहित सार्क देशों के कई प्रमुखों ने शिरकत की। जो भारतीय जनता पार्टी 10 वर्षों तक कांग्रेस को इसी बात के  लिए कोसती रही कि आतंकवाद को पोषित करने वाले तथा भारत में आतंक फैलाने वाले देश पाकिस्तान के साथ यूपीए सरकार सौहाद्र्रपूर्ण संबंध क्योंकर रखती है? उसी भाजपा सरकार ने अपने शासन के पहले ही दिन न केवल नवाज़ शरीफ व उनके साथ आए हुए प्रतिनिधि मंडल को बिरयानी खिलाकर वापस भेजा बल्कि उसके बाद अब तक इन दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच सौहार्द्र का यह सिलसिला साड़ी व शाल के आदान-प्रदान के रूप में भी बरकरार है।

अब अपने इन रिश्तों को मोदी सरकार पड़ोसी देशों से सद्भावपूर्ण वातावरण बनाने की शुरुआत की कोशिश बता रही है। सवाल यह है कि भले ही दुनिया को दिखाने के लिए ही सही परंतु यदि मोदी सरकारBhagwa terror at Muslim graveyard को पाकिस्तान जैसे आतंकवाद फैलाने वाले पड़ोसी देश से सद्भावपूर्ण वातावरण बनाए रखने की ज़रूरत महसूस हो रही है तो क्या इससे पहले इस सरकार को अपने देश के भीतर के सद्भाव को बनाए रखने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही? सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए किए गए ‘प्रयोग’ के माध्यम से गुजरात की सत्ता पर मोदी ने $कब्ज़ा जमा लिया था और ध्रुवीकरण की ही वही राजनीति अब उन्हें केंद्रीय सत्ता तक भी ले आई है। क्या यह प्रयोग अभी आगे भी देश के दूसरे हिस्सों में चलता रहेगा? कहीं यह केंदीय सत्ता पर $कब्ज़ा करने के बाद देश के सभी राज्यों में अपना राजनैतिक नियंत्रण बनाने का प्रयास तो नहीं?‘अच्छे दिन’ आ$िखर किसके लिए आ चुके हैं?

क्या अजब इत्ते$फा$क है कि नरेंद्र मोदी के मुख्य सेनापति समझे जाने वाले अमित शाह को जैसे ही नरेंद्र मोदी के कहने पर भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया गया उसी के बाद प्रदेश में मुज़$फ्$फरनगर में सांप्रदायिक दंगे भडक़ उठे। सांप्रदायिक दंगे तो पश्चिम उत्तर प्रदेश के मेरठ में पहले भी कई बार हो चुके हैं। परंतु उन दंगों के बाद कभी भी धर्म आधारित धु्रवीकरण की नौबत नहीं आई। परंतु मुज़$फ्$फरनगर दंगों के बाद तो बा$कायदा बड़े ही नियोजित तरी$के से भाजपा के विधायकों,नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दो समुदायों के बीच में न$फरत फैलाने तथा सांप्रदायिकता के इन शोलों को आसपास के क्षेत्रों में भी भडक़ाने का ब$खूबी काम किया। और आख़्िारकार $खुद अमितशाह ने चुनाव से चंद दिन पहले खुलकर यह कह डाला कि बदला लेने के लिए भाजपा को वोट दें। जैसाकि पार्टी की चुनावी रणनीति के परिणामस्वरूप अपेक्षित था पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भाजपा को अच्छी सफलता मिली। और उनके इस ध्रुवीकरण की रणनीति के मिशन पर उस समय और भी स्पष्ट मोहर लग गई जबकि नरेंद्र मोदी द्वारा मुज़$फ्$फरनगर दंगों के एक आरोपी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी स्थान दे दिया गया। कहा जा सकता है कि गुजरात की उस माया कोडनानी की ही तरह जो अब गुजरात दंगों में नरोदा पाटिया सामूहिक नरसंहार के लिए आजीवन कारावास की सज़ा काट रही है। क्या यही है अच्छे दिनों का आग़ाज़?

उधर स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय सरीखे उस अतिमहत्वपूर्ण मंत्रालय का जि़म्मा सौंपा गया है जिसमें मुरली मनोहर जोशी,कपिल सिब्बल तथा अर्जुन सिंह जैसे शिक्षाविद् व $काबिल नेता मंत्री रह चुके हैं।स्मृति ईरानी को आलोचकों द्वारा अनपढ़ महिला बताया जा रहा है। जबकि उनके पक्ष में यह तर्क दिया जा रहा है कि डिग्री का $काबिलियत से कोई लेना-देना नहीं। गोया अब एक अनपढ़ मंत्री न केवल देश के सरकारी कार्यक्रमों का निर्धारण करेंगी बल्कि बड़े-बड़े तिहासकारों,साहित्यकारों, लेखकों,शिक्षाविदें,कुलपतियों व उपकुलपतियों तथा विभागाध्यक्षों आदि को दिशानिर्देश देने व उनपर हुकृूमत करने का भी साहस करंेगी। हालांंकि विश£ेषक यह मान रहे हैं कि 1स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय का मंत्री बनाकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक ऐसी कठपुतली महिला को इस विभाग का मंत्री बनाया है जो आंख मूंदकर संघ के एजेंडे के अनुसार मंत्रालय के कामकाज को देखेगी तथा पाठ्यक्रम व इतिहास को संघ की मरज़ी से बदलेगी अथवा तोड़े-मरोड़ेगी। राजनैतिक विश£ेषक यह भी मान रहे हैं कि ईरानी को मंत्री बनाकर अमेठी के मतदाताओं को भी यह दिखाया जा रहा है कि उन्होंने राहुल गांधी के मु$काबले जिस भाजपा उम्मीदवार को चुनाव में पराजित किया उसे भाजपा केंद्रीय मंत्री बना रही है। गोया अगले लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी को राहुल गांधी से दो-दो हाथ करने के लिए अभी से तैयारी शुरु कर दी गई है। क्या यही है अच्छे दिन की परिभाषा?

चुनाव परिणाम आने के बाद मंैगलोर में तीन मस्जिदों पर भगवाधारियों द्वारा किए गए हमले की $खबरें तो आ ही चुकी थी पंरतु उसके बाद पिछल्ेा दिनों पूणे में जो घटना घटी वह देश के लिए बुरे दिनों के लक्षण के सिवा और कुछ नहीं कही जा सकती। $खबर है कि $फेसबुक पर किसी शरारती $गैर मुस्लिम युवक द्वारा शिवाजी व बाल ठाकरे के आपत्तिजनक चित्र पोस्ट किए गए। उसी के विरोध में हिंदू राष्ट्र सेना नामक दक्षिणपंथी संगठन ने पुणे शहर में जमकर सांप्रदायिक तांडव किया, मस्जिद पर भगवा फहराने की कोशिश की,$कब्रिस्तान में तोडफ़ ोड़ किया, मुस्लिम दुकानदारों की दुकानों में तोडफ़ोड़ व लूटपाट की,दरगाह पर हमला किया और इंतेहा तो यह कि एक आईटी इंजीनियर मोहसिन शे$ख को लगभग दो दर्जन हिंदू राष्ट्र सेना के कार्यकर्ताओं ने मोटरसाईकल से खींचकर इस $कद्र पीटा कि उसकी हत्या कर दी।

इस हिंदू राष्ट्र सेना का मुखिया धनंजय देसाई श्री राम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक तथा अभिनव mohsin murderभारत के मुखिया होमनी सावरकर के साथ उनके संयुक्त कार्यक्रमों में शरीक होता रहा है। देसाई पर 23 से ज़्यादा हत्या,जबरन धन वसूली,फिरौती तथा अन्य गंभीर आपाराधिक मामले दर्ज हैं। यह संगठन मालेगांव बम ब्लास्ट के आरोपी कर्नल पुरोहित,असीमानंद,प्रज्ञा ठाकुर जैसे आतंकवाद के आरोपियों की खुलकर पैरवी करता रहा है। पुणू में हुई इस घटना के बाद जब पुलिस ने उस $फेसबुक प्रो$फाईल की त$फ्तीश की जिससे कि आपत्तिजनक चित्र पोस्ट किए गए थे पता चला कि महाराष्ट्र के उस्मानाबाद से इसे किसी हिंदू युवक ने पोस्ट किया था। अब प्रश्र यह है कि क्या जानबूझ कर ऐसी आपत्तिजनक व भडक़ाऊ पोस्ट सोशल मीडिया के द्वारा फैलाकर एक रणनीति के तहत वही किया जा रहा है जो मुज़$फ्$फरनगर में किया गया था? क्योंकि निकट भविष्य में महाराष्ट्र में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं और अमित शाह की उत्तर प्रदेश में ‘सफल रणनीति’ को देखते हुए अब उन्हीं को पार्टी द्वारा महाराष्ट्र का भी प्रभारी बनाए जाने का समाचार है।

हालांकि केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा पुणे की घटना पर रिपोर्ट भी तलब की गईहै। परंतु पुणे के भाजपा सांसद अरुण शिरोले का मत भाजपा के विचारों व सिद्धांतों की तर्जुमानी ज़रूर कर रहा है। सांसद अरुण शिरोले से जब पूछा गया कि क्या इसमें राष्ट्रवादी हिंदूूु सेना का हाथ है तो उन्होंने इसके जवाब में कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता, जबकि पुलिस एक दर्जन से अधिक राष्ट्रवादी हिंदु सेना के कार्यकर्ताओं को हिंसा फैलाने तथा मोहसिन शे$ख की हत्या के मामले में गिर$फ्तार भी कर चुकी है। दूसरा प्रश्र अरुण शिरोले से जब यह किया गया कि क्या आप मोहसिन शे$ख के परिवार से मिले? इस पर सांसद महोदय का जवाब था कि आप लोग जितना इस मामले को बड़ा कर रहे हैं, उतना यह है नहीं। भाजपा सांसद के ऐसे वक्तव्य और दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वाले संगठनों के बुलंद हौसले निश्चित रूप से देश के नागरिकों को यह सोचने के लिए मजबूर कर रहे हैं कि क्या यही अच्छे दिनों की शुरुआत है? और अगर यही अच्छे दिन हैं तो किसके लिए?

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5**Tanveer Jafri –  columnist,(About the Author) Author Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc. He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.Contact Email : tanveerjafriamb@gmail.com
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City. 134002 Haryana
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*Disclaimer: The views expressed by the author in this feature are entirely his own and do not necessarily reflect the views of INVC.

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