अंडरवर्ल्ड का असली चेहरा- ‘लकीर का फकीर’

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आई.एन.वी.सी,,
लखनऊ,,

हिंदुस्तान में अगर सबसे सस्ता मनोरंजन का जो साधन है तो वह है सिनेमा। 1913 में इस मनोरंजन को शुरु करने वाले स्वर्गीय दादासाहब फालके ने सोचा भी नहीं होगा कि उनका सपना 21 वीं सदी में कितना फलेगा फूलेगा? आज फिल्मों का बजट बढ़ गया है। उस जमाने में लाख रुपये में फिल्म बनती थी तो उसका बजट आज सौ करोड़ हो गया है, लेकिन क्या बजट से ही फिल्में बनती है? क्या बड़े बड़े कलाकारों को लेने से ही फिल्में बनती है? या बड़े बड़े सेट लगाने से ही फिल्में बनती है? नहीं। जितने भी अच्छे नए विषय आए हैं और इन विषयों पर जो फिल्में बनी हैं चाहे वह राजेश खन्ना-शर्मिला की आराधना हो, चाहे शर्मिला टैगोर-शम्मी कपूर की कश्मीर की कली हो, चाहे राजेश खन्ना-बबीता की राज हो, चाहे जीतेंद्र-बबीता की फर्ज हो, चाहे वह जया बच्चन-अमिताभ की जंजीर हो, चाहे वह सनी देओल-अमृता सिंह की बेताब हो, चाहे वह सलमान-भाग्यश्री की मैंने प्यार किया हो, चाहे शाहरुख-दिव्या भारती की दीवाना हो, चाहे ऋतिक-अमीषा की कहो ना प्यार है हो और चाहे वह
रणबीर सिंह-अनुष्का की बैंड बाजा बारात हो, यह वह सारी हिट फिल्में हैं जिन्हें दर्शकों ने देखते ही पहले ही हफ्ते में सुपरहिट कर दिया। आज इन
विषयों की वजह से कल के कलाकार आज सुपरस्टार बन गए हैं। 1913 में बनी राजा हरिश्चंद्र से लेकर शोले तक फिल्मों का इतिहास अलग ही रहा। लेकिन शोले के बाद में फिल्मी दुनिया ने एक अलग करवट ली और एक नई फिल्म धारा की शुरुआत हुई। इसके बाद तो दर्शकों को भी रोमांटिक फिल्में रुटिन लगने लगी और उन्हें कुछ नया चाहिए था। और उस जमाने में लेखकों के दिमाग में एक विषय आया जिसे स्मगलिंग कहते हैं। उस जमाने में 2 नंबर के धंधे थे ही नहीं, स्मगलिंग को ही 2 नंबर का धंधा माना जाता था। और स्मगलिंग करके ही लोग अमीर बन जाते थे, लेकिन 80 के बाद एक और विषय आया जिसे लोग गैंगस्टर कहने लगे। और आगे चल कर गैंगस्टर का रुपांतर अंडरवर्ल्ड में हो गया। यूं
तो अंडरवर्ल्ड पर सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं। और इन फिल्मों में बड़े से बड़े सितारों ने काम किया है। और यह फिल्में सुपरटहिट भी रही है।
लेकिन कहीं न कहीं अंडरवर्ल्ड की फिल्में वास्तविकता से दूर ही रही। क्योंकि अंडरवर्ल्ड में जो काम करते हैं वह फाइव्ह स्टार के सुइट में
नहीं रहते, वह डायलॉगबाजी करते हुए सामने वाले को खत्म नहीं करते। यह लेखक और निर्देशकों द्वारा ली गई स्वतंत्रता होती है। सच्चा और असली अंडरवर्ल्ड किसे कहते हैं यह वही लोग जानते हैं जो उन गलियों में रहते हैं। मुंबई में एक पिनकोड है 40003 जिसे लोग चोर बाजार भी कहते हैं, नागपाडा भी कहते हैं, डोंगरी भी कहते हैं इस एरिया की अपनी ही दुनिया है, अपने ही लोग हैं और अपनी ही एक अलग भाषा हैं। अंडरवर्ल्ड से जुड़े कई नामी गिरामी लोगों ने उस जमाने में इन्हीं मोहल्लो में जन्म लिया। और उन्हीं में से एक लड़का है जुबेर खान। 33 वर्षीय जुबेर खान का जन्म उसी जगह हुआ जहां पर कई मशहूर लोगों ने जन्म लिया। पर पिछले 15 वर्षों से जुबेर खान उन गलियों को छोड़ कर कहीं और बस गया। वह जब भी अंडरवर्ल्ड की फिल्में देखने जाता तो उसे वह फिल्में एक मजाक ही लगती। क्योंकि वह फिल्में वास्तविकता से बहुत दूर होती थी इसका उसे दुख होता था। पिछले 15 वर्षों से जुबेर खान एड वर्ल्ड की दुनिया में सक्रिय काम कर रहा है। फिल्मी दुनिया के ई ाने-माने और बड़े से बड़े अभिनेता और अभिनेत्रियों के साथ उसने तकरीबन 400 एड फिल्मों में अपना योगदान दिया। लेकिन उसे एक चीज की कमी हमेशा खलती थी कि मैं एक दिन अंडरवर्ल्ड पर एक रीयल फिल्म बनाऊंगा और दिखाउंगा कि अंडरवर्ल्ड में कौन-कौन से कोडवर्ड चलते हैं। और
इस विषय पर एक फिल्म की तैयारी भी कर ली। इस फिल्म का लेखक-निर्देशक, संपादक, गीतकार स्वयं जुबेर ही है। अब उसे जरूरत थी एक ऐसे निर्माता की जो इस फिल्म का निर्माण उसके साथ मिल कर करें। और जुबेर खान का वह सपना पूरा भी हो गया। उसकी मुलाकात बनारस के चंद्रपाल सिंग से हो गई जो वर्षों से फिल्मी दुनिया से जुड़े हुए हैं और उनका इक्विपमेंट और कैमरे का कारोबार कर रहे हैं। चंद्रपाल सिंह का भी एक सपना था कि वह भी किसी फिल्म का निर्माण करें। जब चंद्रपाल सिंह की मुलाकात जुबेर से हुई, जुबेर को वह पहले से ही जानते थे कि जुबेर एक ऑलराउंडर शख्सियत है। जुबेर अपनी फिल्म की कहानी चंद्रपाल को सुनाई तो उन्हें भी यह विषय बहुत अच्छा लगा। क्योंकि वह एक ओरिजनल कहानी थी। और ओरिजनल कहानी हमेशा हिट रहती है। और चंद्रपाल सिंह ने जुबेर के साथ मिल कर इस फिल्म का निर्माण शुरु कर दिया। अंडरवर्ल्ड पर आधारित यह फिल्म वास्तविकता के बहुत करीब है और यह इस फिल्म की पूरी शूटिंग वास्तविक लोकेशन पर ही हुई है। मुंबई के मशहूर चोर बाजार, गोल देवल, भिंडी बाजार, जे जे अस्पताल जैसे वास्तविक लोकेशन पर इस फिल्म की शूटिंग की गई हैं। क्योंकि विषय भी इसी इलाके का है। फिल्म कब शुरु हुई और कब खत्म हुई किसी को भी पता नहीं चला क्योंकि इस फिल्म में कोई भी ऐसा नामी कलाकार नहीं है जिसे देखने के लिए भीड़ उमड़े। पर पता नहीं शूटिंग के आखरी दिन मीडिया को कैसे पता चल गया कि भिंडी बाजार में किसी फिल्म की शूटिंग हो रही है। यह समाचार मीडिया जगत में आंधी की तरह छा गया। जो देखो, चाहे वह पत्रकार हो, फोटोग्राफर हो या टीवी वाले अपने-अपने सूत्रों के आधार पर तलाशने लगे। मगर चंद ही कुछ ऐसे लोग थे जिनको वास्तविक लोकेशन का पता चल ही गया तो उनको भी यह जान कर ताज्जुब
हुआ कि जहां चीड़ियां भी पर मार सकती वहां पर निर्देशक जुबेर खान अपनी शूटिंग कैसे पूरी कर ली खोजी पत्रकारों को पता चला कि इस फिल्म के जो निर्देशक हैं वह इसी इलाके में पैदा हुए हैं और छोटे के बड़े हुए हैं और यही पढ़े लिखे हैं। और यहां के लोगों से उनके अटूट संबंध है। फिर क्या था? जिसको देखो उसने अपने तर्कों के ऊपर जुबेर खान पर रिश्तों की बरसात शुरु कर दी। किसी ने कहा कि वह दाऊद का भांजा है किसी ने कहा कि वह हसीना का बेटा है। जितने मुंह उतनी बातें। जुबेर और चंद्रपाल सिंह से हमारी मुलाकात बॉलीवुड के मशहूर प्रचारक राजू कारीयाने करवाई। चंद्रपाल सिंह ने बताया, मैं एक बेहतरीन फिल्म बनाने के बारे में सोच रहा था ऐसे में जब जुबेर ने मुझे लकीर का फकीर की कहानी सुनाई तो मुझे वह बेहद पसंद आई और मैंने तुरंत ही उसके साथ फिल्म बनाने का फैसला लिया। जुबेर की वजह से ही वास्तविक लोकेशन पर हम फिल्म की शूटिंग कर पाए। अगर हम इन लोकेशन के सेट लगाते तो इस फिल्म का बजट 50 करोड़ के आसपास होता। इस फिल्म में
अंडरवर्ल्ड का सही और वास्तविक रूप हमने दिखाया है। जल्द ही  हम यह फिल्म पूरे देश में प्रदर्शित करने जा रहे हैं। जुबेर से बात करने पर उन्होंने बताया, मैं जिस एरिया में पला बढ़ा वहां पर कई बड़े बड़े नामवर लोग रहते थे। वह कैसे चलते थे, कैसे बातें करते थे, नेता उन्हें कैसे इस्तेमाल करते थे, पुलिस कैसे इस्तेमाल करते थे यह मैंने अपनी आंखों से देखा है। इसलिए अंडरवर्ल्ड की फिल्में देखते वक्त मुझे हंसी आ जाती थी। दर्शकों के सामने मैं एक रियल फिल्म लेकर आना चाहता था और मेरा यह सपना लकीर का फकीर से पूरा हुआ। इस फिल्म में अंडरवर्ल्ड से जुड़े तीन दोस्तों की कहानी बताई गई हैं। फिल्म में चार गाने हैं जिसे एआर रहमान के सहायक दिलशाद ने तैयार किया हैं और सभी गानें अवश्य लोकप्रिय होंगे इसमें कोई शंका नहीं। टाइटल रोल नवोदित कलाकार एजाज खान निभा रहा है। इस फिल्म के पहले उसने रामगोपाल वर्मा की रक्तचरित्र और एक फिल्म अल्लाह के बंदे में सराहनीय काम किया है। एजाज के दोस्तों के किरदार विकी आहूजा और जावेद हैदर निभा रहे हैं। नायिका का किरदार मरीशा कुमार निभा रही है। एस. वीडियो पिक्चर्स और गारबेज प्रोडक्शन के तहत इस फिल्म का निर्माण चंद्रपाल सिंह और जुबेर खान कर रहे हैं। फिल्म में फकीर का किरदार एजाज खान निभा रहे हैं| मगोपाल वर्मा के पसंदीदा एजाज ने कई धारावाहिकों में भी अपने अभिनय का  लोहा दिखाया है। एजाज ने बताया, जब जुबेर ने मुझे फकीर के किरदार और फिल्म के बारे में बताया तो मुझे लगा कि यह किरदार तो मेरे लिए एक चुनौती है। इस किरदार के लिए एक महीने तक मैं गोल देवल इलाके में रहा। वहां रहने वाले लोगों का रहन-सहन चाल-ढाल देखी और उसके बाद ही मैं यह किरदार निभा पाया। अंडरवर्ल्ड की दुनिया कैसे होती है वह इस फिल्म से दर्शकों को पता चलेगा। अब तक उन्होंने जो देखा वह काल्पनिक है। इस फिल्म में पहली बार वास्तविक अंडरवर्ल्ड नजर आएगा। -सुरेन्द्र अग्निहोत्री

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