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चंडीगढ़,

  • ​​मूत्र चिकित्सा विज्ञान पर दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन

मूत्र चिकित्सा विज्ञान की समसयाओं पर चर्चा करने के लिए यहां मेयोकॉन 2018 नामक एक चिकित्सा सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है, जिसमें देश के अनेक बड़े चिकित्सक भाग ले रहे हैं। इस सिलसिले में एक चर्चा सत्र का आयोजन होटल शिवालिक व्यू में किया गया, जिसमें सडक़ दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों की मूत्र नली व यौनांगों के पुनर्निर्माण व सर्जरी पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।

सम्मेलन के प्रमुख संयोजक एवं मेयो हैल्थकेयर में यूरोलॉजी विभाग के हेड, डॉ. राजेश गुलिया ने कहा कि देश में जहां वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं हर साल सडक़ दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या भी सालाना एक लाख से ऊपर होती जा रही है। दुर्घटनाओं में हाथ, पैरों व सिर में चोट लगने के बाद जो अंग सर्वाधिक नुकसान झेलते हैं, वे हैं शरीर के मध्य भाग में स्थित नाजुक अंग, जिनमें मूत्र नली व यौनांग प्रमुख हैं।

देश के जाने-माने एवं वरिष्ठ यूरो सर्जन डॉ. संजय बी कुलकर्णी ने बताया कि जननांग व मृत्र नली क्षतिग्रस्त होने से व्यक्ति की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। मृत्र त्याग में दिक्कत के अलावा ऐसे लोग सामान्य जीवन के लिए भी मिसफिट हो जाते हैं। ऐसे में नयी तकनीकों के प्रयोग से क्षतिग्रस्त भागों को फिर से निर्मित और चालू करना आवश्यक हो जाता है।

डॉ. कुलकर्णी की सर्जरी प्रक्रिया को कुलकर्णी स्कूल ऑफ यूरिथ्रल सर्जरी के नाम से जाना जाता है। उनके अनुसार, उचित सर्जरी के पश्चात व्यक्ति पुन: सामान्य जीवन जीने और संतानोत्पत्ति के लायक हो जाता है। दो-दिवसीय मेयोकॉन 2018 के तहत सर्जरी की नयी विधियों के लाइव प्रदर्शन और चर्चा के लिए एक पूरे दिन की कार्यशाला का आयोजन भी किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि डॉ. गुलिया गिलिकमैन यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट, क्लीवलैंड, यूएसए के फैलो हैं। वे स्ट्रिक्चर यूरिथ्रा के विशेषज्ञ माने जाते हैं और उन्होंने एटलस ऑफ यूरिथ्रोप्लास्टी नामक एक शोध ग्रंथ भी लिखा है। वे ट्राइसिटी रीजन में जेनाइटो-यूरिनरी सर्जरी के मास्टर माने जाते हैं। फेसबुक पर उन्हें बैस्ट यूरोलॉजिस्ट नाम से सर्च किया जा सकता है।



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