मुर्तज़ा किदवई
नई दिल्ली. जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जल संसाधनों के विकास और प्रबंधन के लिए दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियां विषय पर आयोजित कार्यशाला ने इस बात का सुझाव दिया है कि जिलाधिकारियों को उनके संबंधित क्षेत्रों में जल संसाधन के प्रबंधन हेतु दूरसंवेदी तकनीकों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए नीचले स्तर पर जल संसाधनों के उपभोक्ताओं और अन्य हितधारकों को सरल भाषा में सूचना पुस्तिका भी उपलब्ध कराना चाहिए। इस कार्यशाला में दूरसंवेदी विश्लेषण तकनीकों और भारत सरकार की भूमि कोडिंग प्रणाली के इस्तेमाल के निर्धारित आकार पर आधारित जल निकायों के वर्गीकरण का भी सुझाव दिया गया और प्रखंड स्तर पर जल निकायों के मापन को अपनाने पर जोर दिया गया।
हाल में आयोजित कार्यशाला में दिए गए सुझावों में बाढ के दौरान दूरसंवेदी प्रौद्योगिकी, एनआरईजीएस, भूजल प्रबंधन, कमान क्षेत्र विकास और जल निकायों के मापन में दूरसंवेदी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल हेतु निवेश योजना भी शामिल है।
उपग्रह से ली गई तस्वीरें मानचित्रण और नदियों तथा जल निकायों के मूल्यांकन हेतु एक महत्त्वपूर्ण औजार है। इस कार्यशाला में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों के उपग्रह डाटा उपभोक्ता संगठनों और राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों तथा अग्रणी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।