ग़ज़ल : मेरे शहादत की भी अफवाह उड़ा दो यारो।।

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          –  डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी – 

 
 

कौन लौटा है यहां मौत के आगोश से कोई,
इंतजार में प्यार की निगाहें तो डूबी होंगी‌ं।

 

रात भर यूं ही मोहब्बतों के चिराग जलाते क्यूं हो,
इश्क में तूने चिरागों को नहीं दिल को सताया होगा।

 

मांगा था आरज़ू में मिले चैन जिंदगी में मगर,
ना बहुत खुशी ही मिली ना सुकून ही हराम हुआ।

 

आज दुनिया को यह तरकीब बता कर जाऊं,
नफरतें प्यार के दरिया में बहा कर जाऊं।

 

जज्वात में होठों पर शिकायत भी नहीं आएगी,
सामने सबके हकीकत भी नहीं आएगी,

 

आप पर कत्ल का इल्जाम भी न लग पायेगा,
बिखर जाऊंगा मोहब्बत से गुनाहगार बनाकर देखो।

 

जला है देश तो शहरों की चिंताएं छोड़ो,
मेरे मौला मेरे हौसलों के तुम पंख ना तोड़ो।

 

मेरे हाथों में थमा दो एक बंदूक-ए- डीपी,
वो आएंगे शहादत ए गुलिस्तां में तो जान ही जाएंगे,
इस खाक के मुकद्दर से तिरंगे की  उम्मीद ना तोड़ो।

 

शहीदों के लिए तो सब लोग दुआ करते हैं,
मेरी शहादत की भी अफवाह उड़ा दो यारो।

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परिचय – :

डॉ डीपी शर्मा (   डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी )

परामर्शक/ सलाहकार

 

अंतरराष्ट्रीय परामर्शक/ सलाहकार
यूनाइटेड नेशंस अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
नेशनल ब्रांड एंबेसडर, स्वच्छ भारत अभियान

 

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 Disclaimer – :  मेरे जज्वात व शब्दों से हैरानी होगी मगर भाव, भाषा और मन का भारीपन तो दिल की                                              गहराइयों से निकलता है।
                    -:  इन शायराना मिसरों का किसी जीवित अथवा दिवंगत शख्स से कोई वास्ता नहीं है।

 

 

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