हरियाणा विस चुनावः तीन बार दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाई कांग्रेस
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के रण में जीत दर्ज करने को लेकर भाजपा और विपक्षी दल आमने-सामने हैं और मुकाबला भी कांटे का है। अधिकांश सीटों पर मुकाबला सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच है तो कुछ जगह जजपा और इनेलो उम्मीदवार टक्कर में हैं। भाजपा का मुख्य लक्ष्य कांग्रेस को धूल चटाना है। सत्तारूढ़ दल को सबसे अधिक चुनौती कांग्रेस से ही मिल रही है। इसलिए भाजपा का फोकस कांग्रेस पर है। भाजपा ने सबसे अधिक घेरेबंदी भी कांग्रेस उम्मीदवारों की ही की है।
भाजपा 75 पार का लक्ष्य लेकर चल रही है तो कांग्रेस सत्ता वापसी का दावा कर रही है। अब कौन सरकार बनाता है ये तो 24 अक्टूबर को तय होगा, लेकिन अब तक हुए 12 विधानसभा चुनावों में तीन बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। पार्टी दहाई का आंकड़ा तक नहीं छू पाई। 1977 में हरियाणा विधानसभा के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी का अब तक सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। 90 में से 83 सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस को मात्र तीन ही सीटें मिली और 38 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
यह चुनाव आपातकाल के बाद हुआ था और लोगों में कांग्रेस को लेकर काफी आक्रोश था। चूंकि, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लगाए आपातकाल से जनता बेहद खफा थी। 1987 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा और केवल 5 सीटें ही जीत पाई। 1996 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 9 सीटें मिली, जबकि 35 सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। आरटीआई कार्यकर्ता एडवोकेट हेमंत ने बताया कि 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस केवल 15 सीटें जीत पाई और 90 में से 37 सीटों पर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
कांग्रेस को 20.58 प्रतिशत वोट ही मिले थे। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भले एक भी सीट नहीं जीत पाई हो, मगर उसके वोट प्रतिशत में छह फीसदी का इजाफा हुआ है। हालांकि, उसके बाद पार्टी काफी टूटी है। एडवोकेट हेमंत का कहना है कि अगर भाजपा अपनी रणनीति पर खरी उतरी तो कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। PLC