
आई एन वी सी न्यूज़
रायपुर,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि मनुष्य के लिए समाज में धन का अभाव और उसका अत्यधिक प्रभाव दोनों खतरनाक होते हैं। केवल पैसे से ही दुनिया में सब कुछ नहीं हो जाता। उन्होंने आज राजधानी रायपुर में एकात्म मानव दर्शन स्वर्ण जयंती वर्ष 2014-15 के तहत प्राचार्यों के एक दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। यह सम्मेलन पंडित दीनदयाल उपाध्याय मानव अध्ययन शोधपीठ रायपुर द्वारा विचार जागरण अभियान के तहत आयोजित किया गया। सम्मेलन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सभागृह में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्मेलन में डॉ. सिंह ने कहा कि ‘एकात्म मानववाद’ का दर्शन आज के इस आपाधापी के दौर में अधिक प्रासंगिक है। इस जीवन-दर्शन के अनुसार व्यक्ति समाज के अविभाज्य हिस्से हैं। समाज सेे हटकर उनका कोई अस्तित्व नहीं है।यदि समाज से उसे अलग कर दिया जाए तो समाज में विसंगतियां पैदा होने लगती हैं। कई देशों में पूंजी आधारित सम्पन्नता और आर्थिक मजबूती के बावजूद भी लोग खुश नहीं हैं। उन्हें सुख-चैन नहीं है। एकात्म मानववाद समाज की अंतिम पंक्ति के लोगों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ने और सबको समान अवसर देने का महत्वपूर्ण दर्शन है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय और स्वामी विवेकानंद के दर्शन, विचार और साहित्य को प्रदेश के सभी कॉलेजों तक पहुंचाया जाएगा। राज्य सरकार इसके लिए इस वर्ष विशेष अभियान चलाएगी । कॉलेजों में युवाओं के मध्य उनके विचारांे और आदर्शों को लेकर परिचर्चा, वाद-विवाद और संगोष्ठियां आयोजित किए जाएंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं तक उनके विचार पहुंच सके और उनमें स्वाभिमान और राष्ट्रीय भावना का विकास हो सके। डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार एकात्म मानववाद की दर्शन के अनुरूप ही गरीब हितैषी योजनाएं बनाई और सफलता पूर्वक इसे संचालित कर रही है। राज्य के प्रत्येक नागरिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने का जिम्मा राज्य सरकार ने उठाया है। पूरे मनोयोग से राज्य सरकार अपनी यह जिम्मेदारी पिछले बारह वर्षों से उठा रही है। डॉ. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार 65 लाख गरीब परिवारों की भूख मिटाने के लिए उन्हें हर माह 35 किलोग्राम खाद्यान्न दे रही है। लोगों में निहित कला-कौशल को निखार कर उन्हें रोजगार दिया जा रहा है। हर हाथ को काम मिले, ऐसा प्रयास राज्य सरकार सुनियोजित तरीके से की गई है।
संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में विचारक डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि एकात्म मानववाद एक शाश्वत विचारधारा है। व्यक्ति और प्रकृति के पारस्परिक संबंध को यह विचारधारा परिभाषित करती है। उन्होंने कहा कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा से आदमी का निर्माण होता है। राजनीतिक अथवा आर्थिक रूप से इसे अलग-अलग नहीं किया जा सकता । एकात्म मानववादी विचारधारा में आज देश और समाज की तमाम समस्याओं का हल निहित है। पं. दीनदयाल उपाध्याय मानव अध्ययन शोधपीठ के अध्यक्ष श्री दिनकर केशव भाखरे ने भी सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सच्चिदानंद जोशी ने किया। एकात्म मानव दर्शन स्वर्ण जयंती समारोह आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री सत्यनारायण अग्रवाल और उपाध्यक्ष श्री सच्चिदानंद जोशी सहित बड़ी संख्या में विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्य और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।