सभी को जीवन की शिक्षा देती है वैदिक संस्कृति

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आई एन वी सी न्यूज़
जयपुर,

हिन्दु आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान की किशनगढ़ में आयोजित संस्कृति संस्कार विज्ञान कार्यशाला के समापन समारोह में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने प्राचीन ज्ञान की आधुनिक संदर्भों में पुनर्व्याख्या करने की आवश्यकता बताई।

राज्यपाल श्री कलराज मिश्र मंगलवार को किशनगढ़ के आर. के. कम्युनिटी हॉल में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था। इस तीन दिवसीय संस्कृति संस्कार विज्ञान कार्यशाला का मंगलवार को समापन था। इसमें राज्यपाल श्री मिश्र ने अपने सम्बोधन में कहा कि प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा में तंत्र-मंत्र-कर्मकाण्ड की विशेष भूमिका रही है। ये वर्तमान में भी अतिप्रासंगिक है। विभिन्न आध्यात्मिक धाराओं ने उपनिषदों की आदर्शों के अनुसार व्याख्या की है। प्राचीन ज्ञान की आधुनिक संदर्भों में पुनव्र्याख्या करने की आवश्यकता है। संस्कृति, संस्कार और विज्ञान की कार्यशालाओं के माध्यम से इन विषयों पर निरन्तर विमर्श होना चाहिए। इससे नई पीढ़ी प्राचीन भारतीय संस्कृति के वैज्ञानिक पक्ष को जान पाएगी।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति समन्वय और सन्तुलन पर जोर देती है। सुरक्षा, सहयोग एवं सहिष्णुता भारतीय संस्कृति के सबसे उदार पक्ष है। समाज द्वारा लम्बे समय तक धारण किए गए मूल्य संस्कार बनते हैं। ये संस्कार अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करते है। वैदिक ऋचाएं ज्ञान, आध्यात्म एवं दार्शनिकता का चरम है। वेद विश्व के प्रथम धर्म शास्त्र है। वेदों में पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखा गया है। आधुनिक विज्ञान पर्यावरण के बारे में अब चिंता कर रही है। वेद विश्व की समस्त प्राचीन संस्कृतियों का मूल आधार रहे है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि वैदिक संस्कृति को आत्मसात करने पर जीवन के रहस्य खुलते जाते है। आदर्श जीवन मूल्यों से जीवन को पोषित करना पूर्णतः विज्ञान सम्मत है। सोलह संस्कारों से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। कुटिलता, झूठ एवं भ्रम से दूर रहने वाले सद्गुणों के पुंज को ब्राह्मण कहा गया है।

निम्बार्कपीठ के श्री श्याम शरण जी महाराज ने कहा कि वैदिक संस्कृति सभी को जीवन की शिक्षा देती है। भारतीय संस्कृति त्रिकाल संध्या के साथ सूर्योदय की उपासना करने पर बल देती है। भारतीय व्यक्ति विदेशों में जाने पर अपने साथ मंदिर एवं सस्कृति भी लेकर जाते है। इससे पुरे विश्व में भारतीय संस्कृति की पहुंच हुई है। इस कार्य को आगे बढ़ाने में निम्बार्कपीठ पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।

राजस्थान केंद्रीय विश्व विद्यालय के कुलपति प्रो. आनन्द भालेराव ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की प्रथम, दिव्य एवं सर्वोच्च संस्कृति है। सांस्कृतिक मोर्चे पर परिवर्तन के दौर से विश्व गुजर रहा है।  भारतीय संस्कृति ईश्वर के साथ तादात्मय स्थापित करने के कई मार्ग प्रदान करती है।

समारोह में प्रो. विनोद कुमार शर्मा, हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा संस्थान के राष्ट्रीय संयोजक श्री गुणवंत सिंह कोठारी सहित विद्वत गण उपस्थित रहे।

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