
आई एन वी सी,
रायपुर,
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बच्चों के व्यापक हित में कठोर फैसले लेने की शुरूआत कर दी है। उन्होंने नया शिक्षा सत्र शुरू होने से पहले आज शाम यहां अपने निवास कार्यालय में स्कूल शिक्षा, पंचायत और आदिम जाति विकास विभाग की बैठक लेकर लगभग ढाई घंटे तक प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की शिक्षा की स्थिति पर गंभीर चिंतन और विचार-विमर्श किया।
स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप , पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री श्री अजय चंद्राकर, मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, अपर मुख्य सचिव द्वय सर्वश्री डी.एस. मिश्रा और एन.के. असवाल, प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री एम.के. राउत, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री अमन कुमार सिंह, सचिव स्कूल शिक्षा श्री दिनेश श्रीवास्तव और अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे। बैठक में ग्राम सुराज अभियान की तर्ज पर शिक्षा गुणवत्ता अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने बैठक में जहां शिक्षकों के नियमित प्रशिक्षण जरूरत पर बल दिया, वहीं उन्होंने स्कूलों में अध्यापन कार्य दिवसों की संख्या बढ़ाने के लिए दशहरा और दीपावली के अवकाश में कटौती करने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि दशहरा और दीपावली को मिलाकर वर्तमान में 22 दिनों का अवकाश दिया जाता है। इसे कम करके दशहरे मंे तीन दिन और दीपावली के लिए पांच दिन की छुटटी दी जाए। वार्षिक परीक्षाओं के बाद भी एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक स्कूलों में प्रतिदिन पांच घण्टे की पढ़ाई नियमित रूप से हो। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि स्कूली बच्चों की पढ़ाई का तिमाही, छमाही और वार्षिक मूल्यांकन अनिवार्य रूप से किया जाए और प्रत्येक बच्चे का रिपोर्ट कार्ड उसके माता-पिता अथवा अभिभावक को भेजकर उन्हें भी बच्चे की प्रगति से अवगत कराया जाए। प्रत्येक स्कूल में कम से कम हर दो महीने में स्थानीय सरपंच और शिक्षकों की उपस्थिति में बच्चों के अभिभावकों की बैठक लेकर उनसे भी बच्चों की पढ़ाई और उनकी शैक्षणिक प्रगति के बारे में चर्चा की जाए। सचिव स्कूल शिक्षा श्री दिनेश श्रीवास्तव ने बैठक में विभागीय गतिविधियों और प्रस्तावों का प्रस्तुतिकरण दिया।
डॉ. रमन सिंह ने बैठक में यह भी कहा कि प्रदेश के सभी स्कूल भवनों की रंगाई-पोताई और साफ-सफाई के लिए युद्धस्तर पर विशेष अभियान चलाकर यह कार्य 15 जून से पहले पूर्ण कर लिया जाए, स्कूलों की सुरूचिपूर्ण सजावट भी हो, ताकि बच्चे पहली जुलाई को जब स्कूल में प्रवेश करें तो उन्हें वहां का वातावरण साफ सुथरा मिले। इसी तरह प्रत्येक स्कूल परिसर में 15 जुलाई को बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों द्वारा संयुक्त रूप से वृक्षारोपण भी किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक विकासखण्ड में कई अच्छे विद्यालय और कर्तव्य निष्ठ शिक्षक भी हैं। ऐसे आदर्श स्कूलों को चिन्हांकित कर उनके शिक्षकों को समारोह पूर्वक पुरस्कृत भी किया जाए। बैठक में प्रदेश के नये जिलों के लिए कस्तूरबा गांधी विद्यालय, मॉडल स्कूल, नवोदय विद्यालय और केन्द्रीय विद्यालय खोलने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि जिलों के प्रभारी मंत्री और प्रभारी सचिव अपने प्रभार क्षेत्र के जिलों का नियमित रूप से दौरा करें और उस दौरान उनके द्वारा स्कूलों का भी निरीक्षण किया जाए। बैठक में राज्य के हाई स्कूलों और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में गणित, विज्ञान और अंग्रेजी विषय के व्याख्याताओं की कम संख्या को देखते हुए उनके रिक्त पदों पर सीधी भर्ती के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आवेदन आमंत्रित करने और व्यापम के माध्यम से उनकी भर्ती करने के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रस्ताव में कहा गया है कि ऐसे व्याख्याताओं का चयन पंद्रह वर्ष तक ग्रामीण क्षे़त्रों में अनिवार्य रूप से सेवा देने की शर्त पर ही किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल शिक्षकों के लिए डेªसकोड के बारे में भी गंभीरता से चर्चा की गई।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी स्कूलों में अध्यापन कार्य के लिए टाईम टेबल में एकरूपता लाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि शिक्षकों का संलग्नीकरण समाप्त हो और डाक देने अथवा वेतन के नाम पर शिक्षक अध्यापन कार्य से अनुपस्थित न रहें। इसी कड़ी में शिक्षकों की बायोमेट्रिक्स उपस्थिति प्रणाली के बारे में भी बैठक में चर्चा की गई और कोरबा जिले के पाली विकासखण्ड की तरह बस्तर आदि के कुछ चयनित विकासखण्डों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लागू करने की सहमति प्रदान की गई। मुख्यमंत्री ने बैठक में स्कूलों के काम-काज और शिक्षकों की उपस्थिति आदि के सामाजिक अंकेक्षण की जरूरत पर भी बल दिया। प्रत्येक जिले में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नोडल अधिकारी नामांकित करने का निर्णय भी बैठक में लिया गया। शिक्षा के सामाजिक अंकेक्षण पर चर्चा के दौरान कहा गया कि शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षकों को ग्राम सभा और शाला प्रबंध समितियों के प्रति जिम्मेदार बनाया जाए। किसी भी प्रकार की निर्माण गतिविधि में शिक्षकोें को संलग्न नहीं किया जाए। सभी शिक्षकों और पंचायत संवर्ग के शिक्षकों का संलग्नीकरण तत्काल प्रभाव से समाप्त कर, उन्हें जिस स्कूल सेे वेतन मिलता है, वहीं अध्यापन कार्य के लिए तत्काल कार्यमुक्त किया जाए। सभी जिला शिक्षा अधिकारी और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इसके लिए एक माह के भीतर प्रमाणपत्र दंे। बैठक में प्रदेश के आश्रम विद्यालयों और छात्रावासों की व्यवस्था सहित राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद तथा जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों की गतिविधियों की भी विस्तृत समीक्षा की गई।