
आई एन वी सी न्यूज़
जयपुर,
राज्यपाल कलराज मिश्र ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रयाग गंगा, यमुना, सरस्वती जैसे रत्न मणियों से सुसज्जित रहा है। सरस्वती लुप्तप्राय अवस्था में थीं। माता सरस्वती के नए रूप में इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने प्रतिष्ठा बनाई है। विश्वविद्यालय ने माता सरस्वती के अस्तित्व को पुनः अपने रूप में यहां स्थापित किया। उन्होंने कहा कि चरैवेति- चरैवेति के महामंत्र को आत्मसात करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति, आचार्य व छात्र पूरी कर्मठता के साथ सतत आगे बढ़ रहे हैं।
राज्यपाल श्री कलराज मिश्र सोमवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 133 वें स्थापना दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया।
श्री मिश्र ने कहा कि यह विश्वविद्यालय महान व्यक्तित्व रूपी रत्नों का उत्पादक रहा है। इस विश्वविद्यालय में डॉ. रज्जू भैया, श्री मुरली मनोहर जोशी जैसे अनेकानेक विषय विशिष्ट प्रोफेसर नें अपने आप को गढ़ने का वातावरण प्राप्त किया। स्वामी विवेकानंद द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार व विकास लाने के बताए गए मूल मंत्रों से छात्रों को रूबरू करा कर श्री मिश्र ने उज्ज्वल चरित्र के निर्माण का संदेश दिया।
राज्यपाल ने कहा कि यहां एक तरफ तपोवन जैसी एकाग्रता व शांति का आभास मिलता है, तो दूसरी तरफ गुणवत्तापूर्ण सक्रिय व सामाजिक अभिकल्पना भी देखने को मिलती है । उन्होंने कहा कि मालवीय जी जैसे महान पुरुषों ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसी संस्थाओं को स्थापित किया, किंतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय की विशेषता तो इस बात में है कि उन्होंने ऎसे महान विभूतियों व मालवीय जी जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को पैदा किया व गढ़ा। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रांगण विश्व बंधुत्व जैसी उदात्त भावनाओं की उपजाऊ भूमि रहा है। समाज उन्नयन के हर क्षेत्र में विश्वविद्यालय सदा से अगुवाई करता रहा है।