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भोपाल,
राजधानी के रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल आॅफिस से यदि आपको सामान भेजना है तो यह काम बिना दलाली के संभव नहीं है। अगर आप तय पैसे के अलावा अतिरिक्त पैसे खर्च करने को तैयार हैं। तो पार्सल सहजता से हो जाएगा। दलालों का दलदल एक बार फिर मुख्य स्टेशन के पार्सल कार्यालय पर देखने को मिलने लगा है।
इतने सब के बावजूद रेलवे के वरिष्ठ अफसर कार्रवाई करने से बच रहे हैं। बिना दलालों की हथेली गर्म किए काम नहीं हो सकता। जानकारी के अनुसार मुख्य रेलवे स्टेशन के पार्सल आॅफिस पर दो पहिया वाहन व अन्य सामान की बुकिंग के लिए एक काउंटर बना हुआ है। यहां जो लोग अपना सामान बुक कराने आते हैं, उन्हे रेलवे की निर्धारित फीस के अलावा भी रुपए देने पड़ रहे हैं। इसकी एक शिकायत बीते दिनों रेलवे की बैठक में भी की गई। बैठक में लोगों का यह भी आरोप था कि पहले भी इस तरह की शिकायत की गई लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है।

-घेर लेते हैं दलाल
बैठक में यह बात भी सामने आई कि जैसे ही यहां कोई व्यक्ति अपना अपना सामान बुक कराने आता है। उसे दलाल घेर लेते हैं, जबकि यह परिसर रेलवे का है। दलाल अपने ही मन से सामान बुक कराने के दाम बताने लगते हैं। दलालों से परेशान व्यक्ति अधिकारी से शिकायत करने के लिए संपर्क करता है। लेकिन अधिकारी भी शिकायत पर विशेष गौर नहीं करते। जिससे परेशान व्यक्ति मजबूरी में दलाल को पैसे देने को मजबूर हो जाता है।

-400 रुपए तक लेते हैं
जानकारी के अनुसार माल बुक कराने के बदले में व्यक्ति से दलाल 200 से 400 रुपए तक ले लेते है। समय व परेशानी से बचने के लिए माल बुक कराने आने वाले व्यक्ति भी दलाल को पैसे देकर अन्य तरह की परेशानियों से बचाना चाहते हैं, इसलिए वह दलाल को पैसे दे देते हैं।

-यह है नियम
नियमानुसार बुकिंग के समय जो फीस ली जाती है। इसी में सामान चढ़ाने से लेकर परिवहन और उतारने की जि मेदारी रेलवे की होती है।

-नहीं होती जांच
रेलवे के सूत्रों के अनुसार दलाल के द्वारा सामान बुक होने के बाद अधिकारी सामान व सामान का बिल और बाइक के ओरिजनल दस्तावेज आदि की जांच भी नहीं करते हैं, जबकि नियम अनुसार इन सबकी जांच होनी चाहिए और बिना दस्तावेज के सामान बुक किया जा सकता है।

-वर्जन
जो फीस बुकिंग के समय निर्धारित होती है, वहीं ली जानी चाहिए। यदि पार्सल अधिकारी निर्धारित शुल्क से अधिक फीस ले रहे हैं तो यह गलत है। इस संबंध में शिकायत तो नहीं मिली है, लेकिन ध्यान दिलाया है तो जांच कराते हैं।
पीयूष माथुर, सीपीआरओ, पश्चिम मध्य रेलवे

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