मीना कुमारी को समर्पित कविता- कवयित्री : ज्योति गुप्ता
Updated on 3 Apr, 2016 02:18 PM IST BY INVC Team
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कविता
सुनो मीना
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सुनो,
आँखों के किनारे
सजाना इंद्रधनुष
और कलाई में रोप लेना
जंगली फूल के बेनाम कंगन।
चांदनी के आस्तीन से ढँकी
तुम्हारे ग़ज़ल की कोहनी
मैं चूम लुंगी।
जब तुम चाहो नहाना
शैफाली बारिश में और
तकिये पर बचपन के
जी भर सोना।
हम झरने उगायेंगे
तुम्हारे शेर की
चौंकी ज़न्नत में।
भूख पर पका लेंगे
मुंग की धुली दाल
और कच्ची जली
आधी रोटी पर
लेप लेंगे
अमिया की चटनी।
जनवरी की जगी रातों में
खिलखिलती सलाई पर
मनचाहे ऊन का
सपना बुनना तुम।
सुनो मीना,
कि तुम सुन तो रही हो...
अरे ! तुम तो सो गई,
बिन सुने ...
कि कहने में
फिर मुझसे देर हो गई।
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परिचय – :
ज्योति गुप्ता
लेखिका व् कवयित्री
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लेखन - : अख़बार, पत्रिका, ई-पत्रिका में
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