मनमोहन से चिढ़ी पंजाब सरकार

- बादल ने लिखी मनमोहन को चिट्ठी
- औद्योगिक रियायतें देने के अवसर पर पंजाब को नजरअंदाज करने के गंभीर राजनीतिक परिणाम निकलने की चेतावनी
पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल ने आज केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जम्मू- कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड के लिए औद्योगिक रियायतों के नवीनीकरण के अवसर पर अति नाजुक सीमावर्ती राज्य पंजाब को इससे नजरअंदाज रखकर कोई कदम उठाया गया तो इसके राजनीतिक और अमन-कानून के पक्ष से गंभीर परिणाम निकलेंगें। मुख्यमंत्री ने इस सम्बन्ध में प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि पंजाब को ओर बर्बाद होने से बचाने के लिए औद्योगिक तथा अन्य आर्थिक रियायतें देने के अवसर पर हमें भी पड़ोसी राज्य क ी तरह सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं। प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में स. बादल ने कहा कि इन पड़ोसी राज्यों को पहले ही दिये राहत पैकेजों के कारण हमारे राज्य की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और यदि यही फैसला पुन: दौहराया गया तो इससे हमारे राज्य के नवयुवकों में बेचैनी तथा बेगानगी की भावना बढ़ेगी। जिससे राजनीतिक और अमन- कानून पक्ष से भी गंभीर परिणाम निकलेंगें। स. बादल ने कहा कि इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का मारू फैसला हमें बर्बाद करने में अन्तिम कदम होगा और इससे ही उन्होंने कहा कि पंजाबी गत समय में हुए उतार चढ़ाव का साहस से मुकाबला करते आए हैं परन्तु अब हमारी राष्ट्रीय सरकार हमारे से किये जा रहे सौतेले व्यवहार को ओर सहन करना असम्भव है। मुख्यमंत्री ने राज्य के प्राकृतिक, ऐतिहासिक और राजनीतिक चुनौतियों की पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि देश के हित में पंजाबी हमेशा आगे होकर लड़े हैं। देश के विभाजन के बाद राज्य को न केवल पंजाबियों ने नई स्वरूप दिया बल्कि पंजाब, देश का ‘अन्न दाता’ खडग़भुजा बनकर उभारा। पंजाबियों द्वारा इन दोनों क्षेत्रों में डाले योगदान की मिसाल देश में अन्य कहीं नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोसी देश से हुए तीन युद्धों के अवसर पर भी पंजाबियों ने बहादुरी से मुकाबला किया और इसके लिए उनके द्वारा बड़े स्तर पर झेली दुश्वारियों की कीमत कभी भी हमें अदा नहीं की गई। स. बादल ने आतंकवाद के लम्बे दौर का हवाला दिया जिससे राज्य की आर्थिकता, विकास तथा उन्नति विशेषकर औद्योगिक क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ। इन कारणों के कारण इस समय दौरान पंजाब से जितने बड़े स्तर पर उद्योग ने अन्य राज्यों की तरफ हिजरत की, उसकी मिसाल देश में अन्य कहीं नहीं मिलती। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पंजाबी अपनी आर्थिकता और राज्य को मजबूत करने में बहादुरी से लगे हुए हैं। तो उस समय हमारे पड़ोसी राज्यों को औद्योगिक रियायतें देकर हमारा वाणिज्य तथा औद्योगिक ढांचे का बुरी नुकसान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब किसी अन्य राज्य क ो रियायतें देने के खिलाफ नहीं परन्तु पंजाब भी ऐसी रियायतें लेने क ा बड़ा पक्षधर है। जिस कारण राज्य के खिलाफ सौतेला व्यवहार न किया जाये। केन्द्र सरकार की इस नीति में पहले ही हमारे राज्य क ी औद्योगिक सर्वपक्षीय विकास को तबाह करके रख दिया है। इस नीति के सीधे परिणाम वाणिज्य और औद्योगिक पूंजी के बाहर चले जाने पर पड़े हैं। जिसने हमारे नवयुवकों के रोजगार वंचित हो गये हैं और इन कारणों से ही हमारी आर्थिकता प्रभावित हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों को दी गई रियायतों के अवसर पर पंजाब को बाहर रखने का दिया जा रहा कारण भी तर्कहीन हैं। इन राज्यों को रियायतों का लाभ ओर समय के लिए देने के अवसर पर इस बात का हवाला दिया जाता है कि यह राज्य प्राकृतिक पक्ष से मुश्किलों वाले राज्य हैं जबकि यह दलील सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए ओर भी अधिक प्रभावी ढंग से लगती है। उन्होंने कहा कि पंजाब पूरी तरह भूमि से घिरा राज्य होने के कारण इसको भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और एक पड़ोसी देश के साथ लम्बी सीमा लगती होने के कारण इसकी व्यवहारिक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय मण्डी मेें कोई पहुंच नहीं है। पंजाब के लोग बड़े हौंसले से इन समस्याओं का सामना करते आ रहे है परन्तु अब अपनी ही राष्ट्रीय सरकार द्वारा बेगानगी की नीति अपनानी बर्दास्त से बाहर है। मुख्यमंत्री ने यह पत्र उस संदर्भ में लिखा है जिसमें केन्द्र सरकार के औद्योगिक नीति व विकास मंत्रालय, उद्योग एवं व्यापार मंत्रालय द्वारा हाल ही मेेें एक अधिसूचना जारी करके जम्मू कश्मीर के लिए औद्योगिक रियायतों के विशेष पैकेज की अवधि 14 जून 2017 तक बढ़ा दी गई है। भारत सरकार द्वारा शेष दो राज्यों को भी वर्ष 2002-03 में दी टैक्स रियायतों का समय बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है। स. बादल ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इसका जिक्र किया है।