भारतीय ज्ञानपीठ पर 25 लाख के मुआवज़े का दावा

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एस. खान

नई दिल्ली।   साहित्य साधक, कवि और प्रसार भारती के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक रमाकांत शर्मा उर्फ उद्रभ्रांत ने बुधवार को भारतीय ज्ञानपीठ से 25 लाख रुपए के हर्जाने की मांग की है। श्री रमाकांत शर्मा उर्फ उद्रभ्रांत ने भारतीय ज्ञानपीठ के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर रविन्द्र कालिया को भी इस संबंध में नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि आश्वासन के बावजूद कहानी प्रकाशित नहीं होने और वापस करने में दो साल से अधिक का समय लेने के कारण को उनको न केवल रायल्टी का नुकसान हुआ है, बल्कि उन्हें इससे मानसिक कष्ट भी पहुंचा है। इस नोटिस में अभी तक नहीं लौटाई गई दो पेंटिंग को भी फौरन वापस करने की मांग की गई है। उनका आरोप है कि भारतीय ज्ञानपीठ के आजीवन ट्रस्टी आलोक जैन के अनुरोध पर उन्होंने अपनी पटकथा ‘राधा माधव’, ‘अभिनव’ और कवर पेज के लिए दो पेंटिंस को 2006 में आलोक जैन के पते पर स्पीड पोस्ट किया था। श्री जैन के आश्वासन के बावजूद उनकी रचनाओं को प्रकाशित नहीं किया गया। उनका यह भी आरोप है कि उनकी दो रचनाओं को प्रकाशित न करने के बावजूद उनसे उनकी पटकथा ‘वक्रतंड’ को भी लिया गया।  जब उन्होंने अपनी तीनों रचनाओं और पेंटिंस को वापस करने के लिए कहा तो उनको कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। साथ ही उनका यह भी आरोप है कि भारतीय ज्ञानपीठ के कार्यकारी निदेशक रवींद्र कालिया ने उन्हें केस न करने के लिए मना भी किया।

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