बाजारों हालत रह सकती हैं खराब
29 सितंबर से शुरू हो रही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति कमेटी की तीन दिवसीय बैठक पर सभी की निगाह रहेगी। केंद्रीय बैंक एक अक्टूबर को मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करेगा। बाजार की चाल पर इसका प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। ज्यादातर जानकार अनुमान जता रहे हैं कि रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं हरेगा। गुरुवार को आ रहे मैन्यूफैक्चरिग सेक्टर के पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) आंकड़े भी बाजार पर असर डाल सकते हैं।
पिछले हफ्ते शुक्रवार को शानदार वापसी के बावजूद मार्केट में साप्ताहिक स्तर पर बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। सेंसेक्स ने 1,457.16 अंक गंवाए थे, जबकि निफ्टी ने 454.70 अंकों का गोता लगाया था। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेस लिमिटेड के रिटेल रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका ने कहा, 'वैश्विक स्तर पर निवेशकों की नजर अमेरिका और ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों के अलावा अमेरिकी पीएमआइ डाटा पर भी रहेगी। घरेलू स्तर पर आरबीआइ की मौद्रिक नीति और इन्फ्रास्ट्रक्चर आउटपुट के आंकड़े बाजार की दिशा निर्धारित करेंगे।' रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वीपी (रिसर्च) अजित मिश्रा ने कहा, 'मौद्रिक नीति के अलावा हर महीने के पहले सप्ताह में जारी होने वाले ऑटो सेक्टर में बिक्री के आंकड़े निवेशकों को प्रभावित करने वाले होंगे। वैश्विक स्तर पर कोरोना के मामले और अन्य बाजारों की चाल भी घरेलू बाजारों पर असर डालेगी।'
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने सितंबर में अब तक भारतीय बाजार से 476 करोड़ रुपये की निकासी की है। डिपॉजिटरी डाटा के मुताबिक, एक से 25 सिंतबर के बीच एफपीआइ ने इक्विटी मार्केट से 4,016 करोड़ रुपये निकाले। इस दौरान हालांकि एफपीआइ ने डेट मार्केट में 3,540 करोड़ रुपये का निवेश भी किया। जून से अगस्त के बीच एफपीआइ शुद्ध खरीदार रहे थे। एफपीआई ने जून में 24,053 करोड़, जुलाई में 3,301 करोड़ और अगस्त में 46,532 करोड़ रुपये का निवेश किया था। PLC.