आई.एन.वी.सी,,
लक्नाऊ,,
मुख्यमंत्री ने कहा है कि उन्हें विरासत में मिला है भ्रष्टाचार। लोग विरासत को बढ़ाते हैं। जो 60 वर्षों में नहीं हुआ वह साढे़ चार वर्षों में कर दिया। बेहतर होता कि जिन लोगों से उन्हें विरासत में भ्रष्टाचार मिला उनको जेल भेजने का वादा निभायें। वास्तव में इनकी कथनी करनी में अन्तर है। इन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि भ्रष्टाचार के आरोपी किन-किन मंत्रियों को जेल भेजा। जिन मंत्रियों को भ्रष्टाचार के खिलाफ हटाया है उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की क्योंकि मंत्री पद से हटाना दण्ड नहीं हैे। भ्रष्टाचार में आरोपी मंत्रियों को तत्काल मंत्री पद से हटाकर कानूनी कार्यवाही करें। कांग्रेस, सपा के बाद बसपा मुखिया मायावती भी वंश परम्परा की बेल को सींच रही हैं। गांधी, लोहिया, अम्बेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले दलों के एजेण्डे में परिवार प्राथमिकता पर है। बसपा नेत्री राज्य की मुख्यमंत्री ने तो हदें ही पार कर दी। पत्थरों की प्रेमी ने अपनी खुद की मूर्तियां बनवायी उससे जी नहीं भरा तो अपने माता-पिता के चित्र वाले पार्क बना डाले। अब एक भली भद्र महिला के नाम पर विकलांग विश्वविद्यालय बनाया पर जब लोकापर्ण करने लगी तो उसे अपने दादा जी के नाम समर्पित कर दिया। अम्बेडकर के आदर्शों पर चलने और मिशन के तहत काम करने का दावा करने वाली नेत्री का मिशन से कोई लेनादेना नही ंहै। इनका केवल एक मिशन है नोट और वोट। उसी को केन्द्रित करके इनके सारे कार्य है। आमजन से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा जात-पाँत की राजनीति की विरोधी है, पर जिन लोगों ने जातियों के नाम पर भाई चारा कमेटियां बना रखी हैं। वे लोग कहां थे ? जब डी.डी. मिश्र पागल करार दिये जा रहे थे। बांदा के प0ं रामजग तिवारी ने कर्ज के बोझ से आत्महत्या कर ली। महराजगंज व फतेहपुर के दो ब्राह्मण परिवारों के 10 सदस्यों को जलाकर मार डाला गया। इनका परिवार अभी भी न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है। दलित उत्पीड़न में फर्जी तरीके से लोग फंसाये गये उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था। राष्टीय आंकड़ों के अनुसार एस0, एसटी0 के तहत कुल 11143 मामले दर्ज हुए जिसमें से सर्वाधिक उ0प्र0 में 2600 मुकदमे दर्ज किये गये। महिला मुख्यमंत्री के शासन में उ0प्र0 में महिलायें भी सुरक्षित नहीं है।
उ0प्र0 में 6704 महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज किये गये। जो कि पूरे देश में महिला उत्पीड़न के मामले में सर्वाधिक है। कई चर्चित मामले न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद दर्ज किये गये। वहीं ऐसे कई मामले है जो भयवश, लाजवश दर्ज ही नहीं कराये गये। कमला कुशवाहा, साक्षी सोनी, शीलू प्रकरण।
बढ़ती बेतहाशा मंहगाई के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार की नीतियां पूरी तौर पर जिम्मेदार हैं। इनमें आम जनता को राहत पहुंचाने की इच्छा शक्ति का अभाव है। उत्पादन और वितरण का समुचित प्रबन्धन व जमाखोरों पर अंकुश लगाने में यह सरकारें असफल हैं।