देश की बेटियां हैं कश्मीर की बेटियां

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– निर्मल रानी – 

                                
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की वैधानिक स्थिति बदलने तथा राज्य का विभाजन 2 अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में करने के बाद लगभग पूरे जम्मू कश्मीर क्षेत्र में अनिश्चितता का वातावरण बना हुआ है। घाटी का एक काफ़ी बड़ा भाग कर्फ़्यूग्रस्त है। असामान्य जनजीवन को सामान्य बनाने के प्रयास जारी हैं। सुरक्षा के दृष्टिगत संचार माध्यम भी घाटी के बड़े क्षेत्र में ठप्प पड़े होने के कारण इस इलाक़े के लोगों की सही स्थिति से शेष भारत पूरी तरह से अवगत नहीं हो पा रहा है।कुछ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के जांबाज़ पत्रकार अपनी जान को ख़तरे में डाल कर जो रिपोर्ट प्रकाशित व प्रसारित भी कर रहे हैं इसके लिए उन्हें घाटी से जम्मू या दिल्ली पहुँच कर रिपोर्ट करनी पड़ रही है। घाटी से प्रकाशित होने वाले लगभग सभी समाचार पत्र व स्थानीय टी वी चैनल बंद पड़े हैं। सोचा जा सकता है की ऐसी स्थिति में उन लोगों ख़ास कर आम व ग़रीब लोगों पर क्या गुज़र रही होगी जिनके घरों में राशन ख़त्म हो गया होगा,जिनके परिवार का कोई सदस्य बीमार होगा और जिस परिवार का गुज़र बसर उस परिवार के मुखिया द्वारा देहाड़ी मज़दूरी के द्वारा किया जाता होगा। इस तरह की फ़िक्र निश्चित रूप से उन्हीं लोगों को हो सकती है जो मानवता की परिभाषा को समझते हों और एक दूसरे के दुःख सुख में शरीक होने के संस्कार उनको अपने परिजनों से मिले हों। अन्यथा आज देश का मुख्य धारा का मीडिया या कश्मीर के ताज़ातरीन हालत पर चर्चा करने वाले लोगों की प्राथमिकताएं कुछ और ही हैं। पाकिस्तान,संयुक्त राष्ट्र संघ,आज़ाद कश्मीर पर भी दावा,कश्मीरी नेता कश्मीर को लूट कर खा गए लद्दाख़ में जश्न पूरे देश में 370 पर लिए गए फ़ैसले पर ख़ुशी का माहौल जैसी अनेक बातें तो सुनाई दे रही हैं परन्तु कश्मीरियों के दुःख सुख और उनसे जुड़ी ज़मीनी हक़ीक़त को जानने व समझने की तथा इसे दूर करने की कोशिश मीडिया की किसी चर्चा में नज़र नहीं आ रही।बक़रीद जैसा प्रमुख त्यौहार ऐसे ही तनावपूर्ण माहौल में मनाया गया। अच्छा व्यवसाय व ख़ुशियाँ बाँटने वाला त्यौहार सन्नाटा,मायूसी,चिंताएं व अनिश्चतता के वातावरण में मनाया गया। अमरनाथ यात्रा समय से पूर्व समाप्त करने की घोषणा कर दी गई।
                                
इन सब के बीच कुछ अति उत्साही क़िस्म के स्वयंभू राष्ट्रवादी लोग जम्मू कश्मीर की मौजूदा बदलती परिस्थितियों को अपने नज़रिये से देख रहे हैं। किसी को कश्मीर में प्लॉट चाहिए तो कोई कश्मीरी ख़ूबसूरत गोरी लड़कियों से शादी करने के सपने पाले हुए है। एक वर्ग ऐसा भी है जो इस पूरे प्रकरण को धर्म के चश्मे से देख रहा है। सोशल मीडिया पर इसी आशय का एक चित्र गढ़ कर पोस्ट किया गया जिसमें भारत के नक़्शे में कश्मीर के सर पर भगवा पगड़ी रखी हुई है।इस तरह की पोस्ट और इन पर चलने वाली बहसों से साफ़ है कि इस प्रकार की मानसिकता के लोग किस प्रकार के राष्ट्रवादी हैं,इनकी राष्ट्रभक्ति के क्या मायने हैं। और वास्तव में इन सोच,फ़िक्र व संस्कार हैं क्या ? जिस कश्मीर के लोग अपने घरों में क़ैद रहने के लिये मजबूर हों,जिस कश्मीर को दुश्मन की बुरी नज़रों से बचाने के लिए देश की सेना के जवान व अन्य सुरक्षा बल अपनी जान की बाज़ी लगाकर विपरीत व संकटकालीन परिस्थितियों में वहां ड्यूटी दे रहे हों,जहाँ के लोग भूखे-प्यासे व बिना दवा इलाज के रहने के लिए मजबूर हों वहां इन 'स्वयंभू' राष्ट्रवादियों को सिर्फ़ प्लाट और गोरी सुन्दर कश्मीरी लड़कियों की फ़िक्र है ?क्या भारत माता की जय और वंदे -मातरम बोलने वालों से इन्हीं संस्कारों की उम्मीद की जनि चाहिए ? क्या यही है देश भक्ति का पैमाना? क्या कश्मीर से धरा 370 इसी मक़सद से हटाई गई है ?इस पूरे प्रकरण में वो ज़िम्मेदार नेता भी आगे बढ़कर बयानबाज़ियाँ करते दिखाई दिये जिनपर ऐसे ग़ैर ज़िम्मेदार कार्यकर्ताओं को समझाने तथा इस तरह की बेहूदा पोस्ट व वक्तव्यों से दूर रहने की सलाह देने की ज़िम्मेदारी थी। परन्तु इसके ठीक उलट बड़े नेता ही इन्हें प्रोत्साहित करते दिखाई दिए।
                             कश्मीरी लड़कियों से शादी करने के इसी विषय पर सिख समुदाय के अनेक मानवतावादी विचारधारा रखने वाले संगठनों व नेताओं ने एक संवाददाता सम्मलेन कर न केवल ऐसे "आशिक़ मिज़ाजों " को चेतावनी दी बल्कि कश्मीरी बेटियों को बचाने का पूरा ज़िम्मा लेने की बात भी कही। क्या यह चिंता का विषय नहीं कि केवल कुछ बदज़ुबान लोगों की बदज़ुबानियों की वजह से ही सामुदायिक स्तर पर इस तरह की बातें सार्वजनिक रूप से करने की नौबत आ पड़ी ?अफ़सोस की बात तो यह है कि इस विषय पर चल रही बहस के बावजूद सरकारी या संगठनात्मक स्तर पर अभी तक कोई ऐसा बयान नहीं सुनाई दिया जिसमें देश की सरकार या सत्तारूढ़ दाल की ओर से कश्मीरी लोगों को यह आश्वासन दिया जा सके कि कश्मीर की बेटियों को घबराने की कोई ज़रुरत नहीं, सरकार उनके साथ है ? क्या इस तरह की बातें कश्मीर विषय पर उन ताक़तों को बल नहीं प्रदान करेंगी जो कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं और कश्मीरी युवाओं को आतंक की ओर धकेलना चाह रहे हैं ? पाकिस्तान,पाक अधिकृत कश्मीर तथा भारतीय कश्मीर के अनेक लोग ख़ास तौर से लड़कियां सोशल मीडिया पर रोते हुए अपनी वीडियो पोस्ट कर रही हैं जिसमें वे स्वयं को असुरक्षित होने की शंका ज़ाहिर कर रही हैं। अपनी बातों के समर्थन में यह उन्हीं बेहूदा लोगों के ओछे बयानों का हवाला दे रही हैं जो उनके विषय में दिए गए हैं। ऐसे अनेक वीडिओ सोशल मीडिया प रवॉयरल भी हो रहे हैं। 

                                
इस समय ज़रूरत इस बात की है कि कश्मीरी लोगों को अपने विश्वास में लिया जाए। उनके साथ ऐसा व्यवहार व बर्ताव किया जाए ताकि वे अलगाववादी व सीमा पर की शक्तियों के बहकावे में आने के बजाए भारत के प्रति अपनी वफ़ादारी व्यक्त करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के जिस नारे के साथ पूरे देश को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं उसे साकार करने की कोशिश करें। कश्मीरी लड़कियों की सुंदरता पर नज़र रखना और उनकी गोरी चमड़ी को निहारना पूरी दुनिया में देश की बदनामी का कारण बनेगा। पहले ही बलात्कार,मासूम बच्चियों से बलात्कार तथा  बलात्कारोपरांत हत्या की आए दिन होने वाली घटनाएं देश की बदनामी के लिए पर्याप्त रही हैं। न कि पूरे कश्मीरी समाज के लिए ऐसी ज़लील सोच रखना और दूसरी ओर हाथों में धर्म व राष्ट्र की ध्वजा भी बुलंद रखना ऐसे लोगों के दोहरे चरित्र का प्रतीक है। पूरे देश को एक स्वर से ऐसे बयान देने वाले किसी भी व्यक्ति की न केवल निंदा करनी चाहिए बल्कि उसे दुश्चरित्र मानसिकता का व्यक्ति मान कर उसका सामाजिक बहिष्कार भी करना चाहिए। बेटियां चाहे कश्मीर की हों या पूरे भारत की या दुनिया के किसी भी देश की,बेटियां बेटियां होती हैं। जो देवियों को तो पूजता है,कुंवारी कन्याओं को कंजक के रूप में तो पूजता है परन्तु बेटियों का सम्मान नहीं कर सकता शायद उसके संस्कार ही महिला विरोधी हैं। 
 

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परिचय –:

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

 

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

 

संपर्क -: Nirmal Rani  :Jaf Cottage – 1885/2, Ranjit Nagar, Ambala City(Haryana)  Pin. 4003 E-mail : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

 

Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS.

 

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