दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे किसान या जाना होगा कहीं ओर    

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नई दिल्ली | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज 21वां दिन होने आया है लेकिन कोई रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है। न को सरकार कानून वापस लेने के जरा भी संकेत दे रही है न किसान धरना छोड़ने के। इस बीच आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि बॉर्डर पर किसान टिकेंगे या उन्हें कहीं और भेजा जाएगा।

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर हो रहे किसानों के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसपर आज सुनवाई होनी है। कानून के छात्र ऋषभ शर्मा ने ये याचिका दी थी। इस याचिका में दिल्ली बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग है। साथ ही कहा गया है कि लोगों के इकट्ठा होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। याचिका में आगे कहा गया कि लोगों को हटाना आवश्यक है, क्योंकि इससे सड़कें ब्लॉक हो रही हैं व इमरजेंसी और मेडिकल सर्विस भी बाधित हो रही है। प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा तय स्थान पर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।  
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की बेंच सुनवाई करेगी।

कृषि कानूनों को लेकर जारी बावल के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। गौरतलब है कि किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की। तोमर ने कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।” सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ समझौते के लिए बातचीत की बात कही है। इसपर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति (AIKSCC) ने कहा कि वे तीन शर्तों पर बात करेंगे- पहली- बातचीत पुराने प्रस्तावों के बारे में नहीं होगी, जिसे कृषि संघों ने अस्वीकार कर दिया है। दूसरी, सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना होगा। और तीसरी शर्त है कि, चर्चा कृषि कानूनों खत्म करने पर केंद्रित होनी चाहिए। पीएलसी।PLC.

 

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