दादरी कांड: ताकि ध्रुवीकरण का खेल चलता रहे ?

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– निर्मल रानी –

NIRMAL RANI,ARTICLE BY NIRMAL RANIदेश की राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत् पडऩे वाले नोएडा के समीप बसे दादरी कस्बे के बिसाहड़ा गांव में गत् वर्ष 29 सितंबर को एक उग्र भीड़ द्वारा जिस प्रकार 52 वर्षीय मोहम्मद अखलाक की उसके घर में घुसकर पीट-पीट कर हत्या कर दी गई तथा उसके 22 वर्षीय पुत्र दानिश को उसी भीड़ ने मार-मार कर अधमरा कर दिया, इस घटना ने न केवल पूरे देश की सियासत में एक भूचाल पैदा कर दिया बल्कि इस हादसे की ज़बरदस्त गूंज पूरे विश्व में भी सुनाई दी। इसी घटना ने ही देश में छिड़ी सहिष्णुता बनाम असहिष्णुता की बहस को भी जन्म दिया। इस घटना के 6 महीने बीत जाने के बाद समाचारों के मुताबिक़ एक बार फिर इसी गांव में तनाव का माहौल बनते देखा जा रहा है। इसी घटना को लेकर बिसाहड़ा क्षेत्र में पुन: पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल का कारण यह है कि अखलाक की हत्या के आरोप में पुलिस ने जिन 18 युवकों को गिरफ्तार किया है उनके परिजन तथा खासतौर पर बहुसंख्य मतों के ध्रुवीकरण की राजनीति करने में व्यस्त लोग इन आरोपियों को बेकुसूर बता रहे हैं। यह मामला इतना तूल पकड़ता जा रहा है कि बिसाहड़ा गांव की खासतौर पर इन गिरफ्तार किए गए युवकों के परिवारों की महिलाओं द्वारा पुलिस कार्रवाई के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया गया है। यह महिलाएं सडक़ों पर निकल कर धरना-प्रदर्शन आदि कर चुकी हैं। यह धमकी भी दी गई है कि यदि अखलाक की हत्या के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजे गए 18 युवकों को न्याय नहीं मिलता तो 10 अप्रैल को बिसाहड़ा में ही साठा चौरासी की सर्वजातीय पंचायत बुलाई जाएगी। गोया इस मामले को राजनैतिक रंग देने की कोशिशें लगातार जारी हंै।

उपरोक्त घटना से जुड़े संबंधित कुछ तथ्य ऐसे हैं जिससे कोई भी व्यक्ति या कोई भी पक्ष कतई इंकार नहीं कर सकता। एक तो यह कि मकतूृल अखलाक अहमद का एक पुत्र 27 वर्षीय मोहम्मद सरताज भारतीय वायुसेना में कार्यरत है तथा देश की रक्षा के लिए समर्पित है। दूसरी बात यह कि उसी वायु सैनिक मोहम्मद सरताज के पिता मोहम्मद अखलाक की लाऊडस्पीकर के माध्यम से धर्मविशेष की भीड़ को उकसा कर बहरहाल बड़े ही सुनियोजित ढंग से हत्या कर दी गई। यानी अखलाक की हत्या ही की गई बल्कि कम से कम उसने आत्महत्या तो बिल्कुल नहीं की थी। अब यह मुमकिन है कि पुलिस द्वारा अपनी पुलिसिया कार्रवाई को यथाशीघ्र पूरा करने की गरज़ से कुछ बेगुनाह लोगों को भी अपनी तफतीश के दौरान आरोपी बनाया जा रहा हो। यदि पुलिस ऐसा कर रही है तो निश्चित रूप से यह कार्रवाई उन युवकों के भविष्य तथा उनके पूरे चरित्र को दागदार कर सकती है। निश्चित रूप से पुलिस द्वारा किसी भी बेगुनाह आरोपी को किसी भी अपराध में फंसाए जाने का पुरज़ोर विरोध किया जाना चाहिए। यहां यह बात भी गौरतलब है कि उत्तरप्रेदश पुलिस द्वारा केवल बिसाहड़ा के हिंदू समुदाय के नवयुवकों को ही कथित रूप से झूठा आरोपी नहीं बनाया जा रहा बल्कि पूरे देश से दर्जनों ऐसे समाचार आते रहे हैं कि देश के अल्पसंख्यक समुदाय के युवकों को भी कई आतंकवादी तथा दूसरी अनेक आपराधिक घटनाओं में न केवल आरोपी बनाया गया बल्कि उन्हें शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा देकर जेल भी भेज दिया गया। और ऐसे सैकड़ों बेगुनाह आरोपी गवाहों तथा सुबूतों के अभाव में बेगुनाह बरी हो कर जेल से बाहर भी आ गए। परंतु उनके झूठे आरोपी बनने तथा उनके जेल में रहने मात्र से ही निश्चित रूप से उनका पूरा जीवन तथा भविष्य प्रभावित हुआ। आिखर इसकी भरपाई कौन कर सकता है? लिहाज़ा पढऩे-लिखने वाले युवकों पर हाथ डालने से पहले पुलिस को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि उसके आरोपों में वास्तव में कितना दम है और जो आरोप पुलिस द्वारा तफ्तीश के दौरान लगाए जा रहे हैं उन्हीं आरोपों को साबित करने के लिए पुलिस अदालत में पर्याप्त सुबूत तथा गवाह आदि पेश कर पाएगी अथवा नहीं।

परंतु बिसाहड़ा में अखलाक अहमद के घर के भीतर रखे िफ्रज में गौमांस होने की झूठी खबर मंदिर के लाऊडस्पीकर से फैलाकर जिस भीड़ द्वारा अखलाक के घर पर धावा बोला गया यदि यह कथित बेगुनाह आरोपी जो पुलिस की तफ्तीश में आरोपी बताए जा रहे हैं वे इस घटना में शामिल नहीं थे फिर आिखर इस घटना को अंजाम देने वाले लोग कौन थे,कहां से आए थे और उनकी पहचान क्या थी इस विषय पर भी बिसाहड़ा के उन्हीं लोगों को खुलकर सामने आना चाहिए जो लोग इन आरोपियों को बेगुनाह बताने की कोशिश में लगे हैं तथा इसी विषय को लेकर मामले को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं? अफसोस की बात तो यह है कि बिसाहड़ा की इस ताज़ातरीन घटना को हवा देने में भी वही शक्तियां अपना मुख्य किरदार निभा रही हैं जो घटना के समय खुलकर आरोपियों की पैरोकार बनती दिखाई दे रही थीं। यानी अखलाक की हत्या के समय जिस प्रकार बहुसंख्य मतों के ध्रुवीकरण का घिनौना खेल खेला गया था उसी खेल को और अधिक हवा देने की कोशिश बदस्तूर जारी है।

आईए इसी बिसाहड़ा के नफरत भरे माहौल के बीच दादरी के बिसाहड़ा के करीब के ही खेरलीभाव गांव का एक ऐसा नज़ारा भी देखें जिसने न केवल बिसाहड़ा के कलंक को धोने का काम किया है बल्कि भारत की सांझी तहज़ीब यानी हिंदू-मुस्लिम एकता की एक नायाब मिसाल पेश करने की भी  कोशिश की है। खेरलीभाव गांव में जहां की आबादी दो हज़ार से अधिक है तथा हिंदू व मुस्लिम दोनों ही समुदायों की लगभग बराबर की आबादी है। यहां पहले दो मंदिर और एक मस्जिद हुआ करती थी। परंतु पिछले दिनों इसी गांव में एक और नई मस्जिद की बुनियाद रखी गई। इस दूसरी मस्जिद की बुनियाद गांव के ही मंदिर के पुजारी महेंद्र गिरी ने वैदिक रीति-रिवाज से तथा मंत्रोच्चार के द्वारा मस्जिद की बुनियाद में चावल,रौली व कलावा आदि का हिंदू रीति-रिवाज से प्रयोग करते हुए रखी। जिस समय इस मंदिर की नींव रखने का आयोजन का कार्यक्रम चल रहा था उस समय पूरे गांव के हिंदू व मुस्लिम दोनों ही समुदायों के बीच सौहाद्र्र व उत्साह का वातावरण था तथा सभी समुदायों के लोगों ने तथा तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलजुल कर इस आयोजन को अंजाम दिया। नि:संदेह यह एक ऐसा प्रयास था जिसने न केवल बिसाहड़ा के कलंक को धोने की कोशिश की है बल्कि भारत की गंगा-यमुनी तहज़ीब को और आगे बढ़ाने का काम भी किया है। ऐसे प्रयास संभव है कि मतों के ध्रुवीकरण की कोशिशों में व्यस्त रहने वाले तथा सांप्रदायिकता की आग पर अपनी राजनीति की रोटी सेंकने वाले लोगों को रास न आते हों परंतु इन घटनाओं से हमारे देश की एकता तथा यहां के सांप्रदायिक सौहाद्र्र को उर्जा मिलती है। ऐसी घटनाएं पूरे विश्व में भारत को सुर्खरू भी करती हैं।

परंतु जिस प्रकार बिसाहड़ा में 29 सितंबर को भारतीय वायुसेना के एक वायुसैनिक के पिता अखलाक अहमद को भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डाला गया उसके जवान भाई को भी बुरी तरह ज़ख्मी किया गया और जिस तरह इस पीडि़त परिवार को सुरक्षा के दृष्टिकोण से वायुसेना के अधिकारियों द्वारा अपने परिसर में लाकर रखा गया और उन्हें सुरक्षा प्रदान की गई तथा दूसरी ओर साथ ही साथ इसी घटना का राजनैतिकक लाभ उठाने के लिए सांप्रदायिक शक्तियों द्वारा न्याय की बात करने के बजाए अखलाक के हत्यारों के बीच-बचाव की घिनौनी कोशिशें की गईं यह सब बातें केवल बिसाहड़ा या हमारे देश को ही कलंकित नहीं करतीं बल्कि पूरी दुनिया में भारत की छवि को भी खराब करती हैं। एक बार फिर ऐसी ही राजनैतिक कोशिशें की जा रही हैं। हक और इंसाफ का तकाज़ा तो यही है कि सभी समुदायों के लोग मिलकर अखलाक के हत्यारों को बेनकाब करने में पुलिस व प्रशासन का सहयोग करें। इसी गांव के लोग उन चेहरों को भी बेनकाब करें जो भले ही शारीरिक रूप से अखलाक की हत्या में शामिल न रहें हों परंतु यदि वे इस घिनौनी साजि़श को रचने में शामिल थे और इन्होंने अखलाक हत्या कांड की योजना बनाई तथा अखलाक के घर के भीतर रखे िफ्रज में गौमांस होने की अफवाह मंदिर पर लगे लाऊडस्पीकर से प्रसारित की इन सब साजि़श रचने वालों को बेनकाब करना बिसाहड़ा गांव के सभी अमनपसंद लोगों का कर्तव्य है। कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक कहीं भी बहुसंख्यकों द्वारा यदि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर इस प्रकार का ज़ुल्म ढाया जा रहा है या उन्हें कमज़ोर समझकर उन्हें प्रताडि़त कर या उनके विरुद्ध कोई साजि़श रचकर बहुसंख्यक मतों को रिझाने की कोशिशें की जा रही है तो निश्चित रूप से ऐसे सभी प्रयास देश की एकता अखंडता तथा देश की आबरू व अस्मिता के लिए बेहद खतरनाक व नुक्सानदेह हैं। ऐसे सभी प्रयासों से बचने की कोशिश की जानी चाहिए।

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NIRMAL RANIपरिचय – :

निर्मल रानी

लेखिका व्  सामाजिक चिन्तिका

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचारपत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज़ वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !

संपर्क : – Nirmal Rani  : 1622/11 Mahavir Nagar Ambala City13 4002 Haryana ,  Email : nirmalrani@gmail.com –  phone : 09729229728

* Disclaimer : The views expressed by the author in this feature are entirely her own and do not necessarily reflect the views of INVC NEWS

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