The Chief Minister of Uttar Pradesh, Shri Akhilesh Yadav and the Chief Minister of Tamil Nadu, Dr. J. Jayalalithaa at the Chief Ministers’ Conference on Internal Security, in New Delhi.
The Chief Minister of Uttar Pradesh, Shri Akhilesh Yadav and the Chief Minister of Tamil Nadu, Dr. J. Jayalalithaa at the Chief Ministers’ Conference on Internal Security, in New Delhi.

आई.एन.वी.सी,,

दिल्ली,,

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि आन्तरिक सुरक्षा से जुड़े तमाम मुद्दों से सफलतापूर्वक निपटने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। उन्होने सुरक्षा एवं विकास से जुड़े प्रत्येक कार्य में केन्द्र सरकार तथा उत्तर प्रदेश सरकार की साझेदारी एवं परस्पर सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हम सबको इसी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री डाॅ0 मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आज नई दिल्ली में आयोजित आन्तरिक सुरक्षा विषयक मुख्यमंत्रियों की बैठक में मुख्यमंत्री श्री यादव अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था और विकास पर ध्यान देते हुए पारदर्शी एवं जवाबदेह सरकार चलाना हमारी प्राथमिकता है। सबके प्रति न्याय करने एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण भी उनकी सरकार की प्रतिबद्धता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अभिनव कदम उठाये जा रहे हैं, जिनमें केन्द्र सरकार के सहयोग की भी आवश्यकता होगी। उन्होने कहा कि विगत मंे मानव संसाधनों की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है फिर भी प्रदेश में पुलिस-जनसंख्या अनुपात राष्ट्रीय औसत से  बहुत कम है। मुख्यमंत्री ने बताया कि भविष्य में प्रदेश के पुलिस बल में और अधिक वृद्धि होगी जिनकी आवासीय व्यवस्था हेतु वित्त आयोग के माध्यम से अगले ५ वर्षों में लगभग 5,000 करोड़ रुपये की सहायता भारत सरकार से अपेक्षित है। श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के वृहद् पुलिस बल के क्षमता-विकास एवं उसकी आधारभूत सुविधाओं की आवश्यकताओं के सापेक्ष केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जा रही धनराशि अत्यन्त कम है। उन्होने कहा कि वर्तमान में प्रतिवर्ष लगभग १०० करोड़ रुपये की धनराशि प्रदेश को सुलभ करायी गयी है, जो कि प्रदेश पुलिस के 8,000 करोड़ रुपये के आन्तरिक सुरक्षा बजट के सापेक्ष बहुत ही अल्प है। उन्होने प्रदेश के पुलिस बजट का कम से कम 10 प्रतिशत धनराशि अर्थात् 800 करोड़ रुपये आधुनिकीकरण योजना में प्रदेश को उपलब्ध कराये जाने की मांग रखी। मुख्यमंत्री ने पुलिस आधुनिकीकरण योजना को अगले 10 वर्ष हेतु बढ़ाये जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत कारागारों एवं न्यायालयों के मध्य वीडियो कान्फरेंसिंग की व्यवस्था, आपदा प्रबन्धन हेतु अग्निशमन सेवाओं के सुदृढ़ीकरण आदि को भी शामिल किया जाना उपयुक्त होगा। श्री यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से देश का सर्वाधिक बड़ा राज्य है, जिसकी अपनी विविधतायें एवं विषमतायें हैं। विभिन्न जातियों एवं धर्मों के लोगों के बीच आपसी सौहार्द कायम रखना, आम नागरिकों को सुरक्षित जन-जीवन प्रदान करना तथा कानून-व्यवस्था बनाये रखने से लेकर आतंकवाद जैसे आन्तरिक सुरक्षा के जटिल पहलुओं से निपटना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। साथ ही, प्रदेश की 550 किलोमीटर खुली नेपाल सीमा भी आन्तरिक सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। भारत-पाक एवं भारत-बांग्लादेश अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर कड़ी चैकसी के फलस्वरूप भारत-नेपाल की खुली अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर आतंकवादी एवं राष्ट्र-विरोधी तत्वों की गतिविधियों की सम्भावनायें बढ़ गयी हैं। उन्होने केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश-नेपाल सीमा पर विशेष पुलिस व्यवस्थाओं की आवश्यकता है, जिसमें पर्याप्त इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट्स की स्थापना तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में सीमा के समानान्तर सड़कों के निर्माण के पहलू महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की कार्य-पद्धति में अग्रेतर सुधार की दृष्टि से भी ठोस कदम उठाये जायेंगे। उन्होने कहा कि भीड़ नियन्त्रण के लिए नाॅन लीथल वीपन्स प्रयोग में लाये जा रहे हैं तथा इसमें आगे भी बढ़ोत्तरी की जानी है। मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार से पर्याप्त मात्रा में नाॅन लीथल वेपन्स सुलभ  कराये जाने की मांग करते हुए कहा कि क्रय प्रक्रियाओं को भी सरल बनाना होगा, ताकि अपेक्षित उपकरण शीघ्रातिशीघ्र उपयोग हेतु बलों को उपलब्ध हो सकें। श्री यादव ने पुलिस जांच को और अधिक वैज्ञानिक तरीके से सम्पादित करने के लिए फाॅरेन्सिक साइन्स लैब्स की व्यापक आवश्यकता बताते हुए कहा कि इसके लिए ७५० करोड़ रुपये का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। मुख्यमंत्री ने साइबर क्राइम में दिन-प्रतिदिन हो रही बढ़ोत्तरी पर चिन्ता व्यक्त करने हुए ऐसे अपराधों की जांच हेतु प्रदेश में ‘स्टेट आॅफ द् आर्ट’ साइबर क्राइम यूनिट्स की स्थापना की आवश्यकता बताई तथा विशिष्ट प्रशिक्षण दिये जाने आदि मे केन्द्र सरकार से पूर्ण सहयोग की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेगासिटी पुलिसिंग की दिशा में भारत सरकार की विशेष योजनायें प्रचलित हैं, जिनका लाभ राज्य को अभी तक नहीं मिल पाया है। उन्होने अनुरोध किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पड़ने वाले प्रदेश के क्षेत्रों यथा गौतमबुद्ध नगर तथा गाजि़याबाद की पुलिस को अन्य मेगासिटीज़ की भाँति आधुनिक उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध कराये जायें। श्री यादव ने बताया कि प्रदेश में आतंकवाद का सामना करने के लिए ‘आतंकवाद निरोधक दस्ता’ अर्थात ए0टी0एस0 गठित हैं, जिसे और सुदृढ़ किया जा रहा है। ए0टी0एस0  द्वारा देश-प्रदेश की शीर्ष इकाइयों से आवश्यक समन्वय रखा जा रहा है। उन्होने यह भी बताया कि प्रदेश में अभिसूचना संगठन मल्टी-एजेन्सी सेंटर से सुचारु रूप से जुड़ा है तथा अभिसूचना कार्मिकों के विशेष प्रशिक्षण तथा अभिसूचना संकलन हेतु आवश्यक आधुनिक उपकरणों की आपूर्ति के लिये भी उन्होंने केन्द्र सरकार के सहयोग की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आर्थिक अपराधों पर नियन्त्रण एवं उनकी जांच हेतु आर्थिक अपराध अनुसन्धान इकाई कार्यरत है किन्तु जाली मुद्रा के परीक्षण हेतु उत्तर भारत में कोई संस्थान नहीं है, जिससे जांच में विलम्ब एवं अभियोगों के सफल निस्तारण में कठिनाई होती है। ऐसी दशा में लखनऊ अथवा कानपुर में एक लैबोरेटरी की स्थापना करने पर केन्द्र सरकार विचार करने का अनुरोध किया। श्री यादव ने कहा कि राज्य में क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम को तेजी से लागू किया जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप समस्त थाने एवं विभिन्न पुलिस कार्यालय कम्प्यूटर नेटवर्क से जुड़ जायेंगे। इस हेतु समय-समय पर नयी-नयी प्रणालियाँ लागू करने के कारण कोई भी सिस्टम अभी तक पूरी तरह क्रियाशील नहीं हो पाया है। अतः इस सिस्टम को पूर्णता तक पहुँचाया जाये। श्री यादव ने दोषी व्यक्तियों को दंडित किये जाने में हो रहे विलम्ब से भी कानून-व्यवस्था पर पड़ने वाले विपरीत प्रभाव की चर्चा करते हुए केन्द्र सरकार से फास्ट ट्रैक कोटर््स की व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाने की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी वर्ष 2013 में इलाहाबाद में महाकुम्भ का आयोजन होना है जिसमें देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालुओं का आगमन होगा। इस आयोजन के दृष्टिगत सुरक्षा एवं कानून-व्यवस्था बनाये रखने हेतु केन्द्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्यों से भी सहयोग अपेक्षित होगा जिसमें अभिसूचना, जनशक्ति तथा सुरक्षा उपकरणों के पहलू महत्वपूर्ण हैं। उन्होने कहा कि यह व्यवस्था इसी आयोजन के लिए ही नहीं अपितु सुरक्षा के दृष्टिकोण से भविष्य में भी निरन्तर रूप से बनाये रखी जानी होगी। उन्हांेने कुम्भ मेले के वृहद् आयोजन में आने वाले व्यय में केन्द्र सरकार से भी समुचित भागीदारी की अपेक्षा की। मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि देश की आंतरिक सुरक्षा तथा प्रदेश की जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार से जिन बिन्दुओं पर प्रदेश सरकार की अपेक्षा है, उन पर केन्द्र सरकार द्वारा अवश्य ही प्रभावी पहल की जायेगी।

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