ब्यूरो

नई दिल्ली. देश की कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस क्षेत्र के संगठनों, इकाइयों की विशिष्ट उपलब्धियों को मान्यता देने हेतु कृषि क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय उत्पादकता पुरस्कार, कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 1985-86 से प्रयोजित और राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद द्वारा कार्यान्वित किये जा रहे हैं। ये पुरस्कार प्रतिवर्ष 14 उप-क्षेत्रों नामत: कृषि सम्बंधी विस्तार सेवाओं, पशु खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, जैविक-खाद उत्पादों, कमान क्षेत्र विकास और सिंचाई परियोजनाओं, सहकारी क्षेत्र में डेयरी विकास और उत्पादन, सहकारी क्षेत्र में स्वदेशी और समुद्री मत्स्य उत्पादन, सार्वजनिक क्षेत्र में मुर्गी उत्पादन और विकास, बीज निगम, राज्य कृषि उद्योग निगम, राज्य कृषक निगम, सहाकरी क्षेत्रों और गोदाम संबंधी क्षेत्र में राज्य विपणन और तिलहन संघों को दिये जाते हैं।

 राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद द्वारा विकसित ”उत्पादकता पुरस्कार” मॉडल उत्पादकता और उनकी सामान्यीकरण में वृध्दि और स्तर संघटकों के मानकों को लागू करता है। उत्पादकता पुरस्कार की योजना में भाग लेने वालों के उत्पादकता सुधार लगातार जारी रखने के संबंध में वचनबध्दता निर्धारण के समय मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों तथ्यों पर विचार किया जाता है। मॉडल की सादगी और संचालन की सरलता ने अनेक अन्तर्राष्ट्रीय व्यावसायिक संगठनों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। एक पृथक और स्वतंत्र समिति-सह-जूरी (ईसीजे) का प्रत्येक उप-क्षेत्र के लिए गठन किया गया है। समिति में सम्बंधित संस्थाओं, शोध और व्यावसायिक संस्थानों, सरकार के सम्बंधित मंत्रालयोंविभागों के कुशल लोगों के साथ राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद के समन्वयकर्ता भी शामिल होते हैं। प्रत्येक समिति-सह-जूरी सर्वोत्तम, द्वितीय सर्वोत्तम के लिए संगठनों की योग्यता का और जहां आवश्यक समझा जाता है, योग्यता (तृतीय स्थान) के प्रमाण पत्र हेतु भी निर्णय करती है।

 ये पुरस्कार 24 सितम्बर, 2009 को उन संगठनों,इकाइयों को दिये जायेंगे जिन्होंने अपने सम्बंधित क्षेत्रों में उत्पादकता विस्तार में अपने आपको विशिष्ट पहचान दी है। ये पुरस्कार भारत में उत्पादकता की धारणा को बढावा देने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।

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