– अरुण तिवारी –
बखत तक मैं यू भी नी जानता था कि एसडीएम बड़ा होवे है कि तहसीलदार।”
कहने वाले उसे ग़रीब कहते हैं; क्योंकि वह एक मल्लाह का बेटा है; क्योंकि पैसे की कमी के कारण कभी उसे अपनी पढ़ाई आठवीं में ही रोकनी पढ़ी। उसे अपनी रोज़ी कमाने के लिए, पढ़ने की उम्र में कई काम करने पडे़। उसने आइसक्रीम बेची; अख़बार बेचे। वह अमीर है; क्योंकि उसका हौसला दाद देने लायक है। हौसला, कभी हालात का मोहताज नहीं होता। वह भी नहीं है। इसी हौसले के बूते आज वह सामाजिक कार्य की पढ़ाई में भी ग्रेजुएट है और नदी के ज़मीनी कार्य में भी। उस पर झूठे मुक़दमे हुए। हतोत्साहित करने वाले भी हज़ारों मिले। किंतु वह भली-भांति जानता है कि नदी, मल्लाह की जिंदगी है। नदी सूख जाए, तो मल्लाह की जिंदगी का सुख सूखते क्या वक्त लगता है! नदी की जिंदगी में एक मल्लाह के सुख का अक्श देखते-देखते अब उसे नदियों से मोहब्बत हो गई है। उसका नदी प्रेम, उसके लिए खुदा की इबादत जैसा हो गया है। वह कहता है – ”तमाम मखलूक, खुदा की बनाई हुई है। नदियों में आई गंदगी, उनकी जान ले रही है। नदियों का सूख जाना, और भी तक़लीफदेह है। मलीन नदियों को निर्मल करके, हम करोड़ों जिंदगिया बचा सकते हैं।’ वह, नदियों का दोस्त है। कांठा नदी को पानीदार बनाने का उसका प्रयास, उसकी दोस्ती का पुख्ता प्रमाण है। वह मुस्तकीम है। वर्ष – 2019 के प्रतिष्ठित भगीरथ प्रयास सम्मान से नवाजी गई अब तक की सबसे कम उम्र की शख्सियत।
भगीरथ प्रयास सम्मान -इण्डियन रिवर फोरम द्वारा वर्ष 2014 में नियोजित एक ऐसा सम्मान, जो कि प्रति वर्ष नदी पुनर्जीवन के एक ऐसे प्रयास को दिया जाता है, जो कम प्रचारित; किंतु अधिक प्रेरक हो। इस वर्ष 2019 में इस सम्मान के प्राप्तकर्ता श्री मुस्तकीम को 60 हज़ार रुपए की धनराशि, शाल और सम्मान चिन्ह भेंट किया गया; डब्लयू डब्लयू एफ ने नदी कार्य के लिए आर्थिक सहयोग का वचन किया, सो अलग।
कांठा, यमुना नदी की सहायक धारा है। इसकी लंबाई लगभग 100 किलोमीटर है। इसका जन्म उत्तर प्रदेश के ज़िला सहारनपुर, ब्लॉक नाकुर, गांव नया बांस के एक तालाब से हुआ है। ज़िला मुज़फ्फरनगर में यमुना नदी और पूर्वी यमुना नहर के बीच के इलाके से सफर करती कांठा जहां जाकर यमुना से संगम करती है, वह स्थान है – ज़िला शामली के कैराना ब्लॉक का गांव मावी। तलहटी का सिक्का, पानी के ऊपर से चमके। घड़ियाल को देख, लोग किनारे लग जायें। किनारे पर खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूज की खेती ऐसी कि रोजी की बेफिक्री खुद-ब-खुद हासिल हो जाए। पांच दशक पहले तक कांठा, एक ऐसी ही नदी थी। कांठा के पास अपना पानी था। इसी बीच नहर आई। नहर और नलकूप आधारित सिंचाई ने कांठा का पेट खाली कर दिया। शामली के पांचों ज़ोन, डार्क ज़ोन हो गए। पेट खाली हो, तो नदी की सतह भूरी हो जाती है। कांठा भी भूरी हो गई। लड़कों ने भूरी कांठा को क्रिकेट का मैदान बना लिया। लालची जमीर वालों ने भूरी कांठा की ज़मीन कब्जा ली। कभी बारहमास लहराते पानी वाली ज़मीन, बारहमासी खेती वाली ज़मीन में तब्दील हो गई। कांठा, महज् बरसाती नाला बनकर रह गई। गांवों के खेतिहर, दूसरा आसरा खोजने को मज़बूर हुए। बीमार पानी, बीमारी ले आया। रामड़ा में भी काला पीलिया फैला। कोई घर नहीं बचा। फिर भी कोई घर नहीं जागा। क्रिकेट खेलते लड़के जागे भी तो सिर्फ आते-जाते सरकारी साहबों से पूछने तक – ”म्हारे कांठे में पानी कद आवेगा ?”
एक दिन यमुना नदी का एक दोस्त, इस इलाके में आया; भीम सिंह बिष्ट – यमुना जिये अभियान और वर्तमान में सैड्रप से जुडे. एक बेहद सरल, किंतु बेहद समर्पित अध्ययनककर्ता। भीम जी ने कहा कि कांठे में पानी तब आयेगा, जब तुम कुछ करोगे। मुस्तकीम को यह बात जंच गई। वर्ष 2010 का वह दिन और आज का दिन मुस्तकीम, कांठा के हो गए। मुस्तकीम ने यमुना ग्राम सेवा समिति का सदस्य बनकर कांठा को जाना। क्रिकेट के अपने दोस्तों को नदी का दोस्त बनाया। मुस्तकीम ने गागर से सागर की बात सुनी थी। मुस्तकीम ने इस बात को लोगों को कांठा से जोड़ने वाला औजार बनाया। मुस्तकीम ने ‘एक लोटा जल दान’ नदी अभियान चलाया। गांव-गांव जाकर कांठा पुनर्जीवन के फायदे बताए। ज़िम्मेदारी और हक़दारी को गठजोड़ को आगे लाने के लिए कांठा पर सीधे निर्भर केवट-मल्लाह समाज की एकता समिति बनाई। प्रशासन को जगाया। परिदों को प्रिय मामूर झील की बदहाली का आईना दिखाया। स्कूली बच्चों को पौधारोपण में लगाया। नदी में भर आई गाद पर फावड़ा चलाया। प्रशासन और समाज के सहयोग से नदी बीच दो कच्चा बंधे बनाये। कुओं और तालाबों को कब्जामुक्त करने की पैरवी की। अवैध खनन के खिलाफ आवाज़ उठाई। बाढ़ के दिनों में यमुना से कांठा में आने वाले बैकवाटर को रोक रहे रेगुलेटर को खुलवाया।
इस पूरी जद्दोजहद में अखबार बांटने के साथ-साथ रिपोर्टरों को इलाके की खबर देने का रिश्ता काम आया। शामली के पत्रकार उमर शेख, चिट्ठी-पत्री लिखने जैसे मामूली काम से लेकर तक़नीकी समझ देने व आवाज़ को आवाम तक पहुंचाने में मीडिया सहयोग दिलाने वाले मुख्य सहयोगी सिद्ध हुए, तो प्रशासन भी सहयोगी हो गया। शामली ज़िला प्रशासन ने ‘गार्डियन ऑफ़ रिवर सम्मान – 2017’ सम्मानित किया। जुलाई – 2019 में काम को पुनः सराहा। सराहना, घमण्ड लाती है। किन्तु मुस्तकीम अभी भी विनम्र हैं। वह गांव-गांव घूमकर कब्जा हुए कुओं-तालाबों की सूची बनाने में लगे हैं। वर्षाजल को संचित करने के ढांचे बनाने के लिए सहयोग जुटा रहे हैं। कहते हैं – ”इनकी कब्जा मुक्ति के लिए पहले लोगों से हाथ जोडूंगा। उसके बाद प्रशासन के पास जाऊंगा।”
मुस्तकीम नहीं जानते कि नदी पुनर्जीवन का सही मॉडल क्या है और ग़ल़त क्या। अतः हो सकता है कि कांठा पुनर्जीवन के उनके प्रयासों की समग्रता पर कोई सवाल उठाए, किंतु कांठा का पुनर्जीवन की महत्ता पर भला कौन सवाल उठा सकता है ? हथिनीकुण्ड बैराज से वजीराबाद बैराज के बीच की दूरी में यमुना से जल सिर्फ लिया ही जाता है; देने के नाम पर करनाल में धनुआ और पानीपत में नाला नंबर दो, यमुना में मल और औद्योगिक अवजल के अलावा कुछ नहीं मिलाते। इस बीच के सफर में मिलने वाली तीसरी नदी, कांठा ही है। इसलिए भी कांठा पुनर्जीवन प्रयास की इस दास्तान का अधिक महत्व है। कांठा, पुनः पानीदार हुई, तो संभव है कि दिल्ली की यमुना की कुछ सांसें भी लौट आयें। यह कांठा के दोस्त मुस्तकीम भी महत्ता है; भगीरथ प्रयास सम्मान की भी।
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परिचय -:
अरुण तिवारी
लेखक ,वरिष्ट पत्रकार व् सामजिक कार्यकर्ता
1989 में बतौर प्रशिक्षु पत्रकार दिल्ली प्रेस प्रकाशन में नौकरी के बाद चौथी दुनिया साप्ताहिक, दैनिक जागरण- दिल्ली, समय सूत्रधार पाक्षिक में क्रमशः उपसंपादक, वरिष्ठ उपसंपादक कार्य। जनसत्ता, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, अमर उजाला, नई दुनिया, सहारा समय, चौथी दुनिया, समय सूत्रधार, कुरुक्षेत्र और माया के अतिरिक्त कई सामाजिक पत्रिकाओं में रिपोर्ट लेख, फीचर आदि प्रकाशित।
1986 से आकाशवाणी, दिल्ली के युववाणी कार्यक्रम से स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता की शुरुआत। नाटक कलाकार के रूप में मान्य। 1988 से 1995 तक आकाशवाणी के विदेश प्रसारण प्रभाग, विविध भारती एवं राष्ट्रीय प्रसारण सेवा से बतौर हिंदी उद्घोषक एवं प्रस्तोता जुड़ाव। इस दौरान मनभावन, महफिल, इधर-उधर, विविधा, इस सप्ताह, भारतवाणी, भारत दर्शन तथा कई अन्य महत्वपूर्ण ओ बी व फीचर कार्यक्रमों की प्रस्तुति। श्रोता अनुसंधान एकांश हेतु रिकार्डिंग पर आधारित सर्वेक्षण। कालांतर में राष्ट्रीय वार्ता, सामयिकी, उद्योग पत्रिका के अलावा निजी निर्माता द्वारा निर्मित अग्निलहरी जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के जरिए समय-समय पर आकाशवाणी से जुड़ाव।
1991 से 1992 दूरदर्शन, दिल्ली के समाचार प्रसारण प्रभाग में अस्थायी तौर संपादकीय सहायक कार्य। कई महत्वपूर्ण वृतचित्रों हेतु शोध एवं आलेख। 1993 से निजी निर्माताओं व चैनलों हेतु 500 से अधिक कार्यक्रमों में निर्माण/ निर्देशन/ शोध/ आलेख/ संवाद/ रिपोर्टिंग अथवा स्वर। परशेप्शन, यूथ पल्स, एचिवर्स, एक दुनी दो, जन गण मन, यह हुई न बात, स्वयंसिद्धा, परिवर्तन, एक कहानी पत्ता बोले तथा झूठा सच जैसे कई श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम।
साक्षरता, महिला सबलता, ग्रामीण विकास, पानी, पर्यावरण, बागवानी, आदिवासी संस्कृति एवं विकास विषय आधारित फिल्मों के अलावा कई राजनैतिक अभियानों हेतु सघन लेखन। 1998 से मीडियामैन सर्विसेज नामक निजी प्रोडक्शन हाउस की स्थापना कर विविध कार्य।
संपर्क -: ग्राम- पूरे सीताराम तिवारी, पो. महमदपुर, अमेठी, जिला- सी एस एम नगर, उत्तर प्रदेश , डाक पताः 146, सुंदर ब्लॉक, शकरपुर, दिल्ली- 92 Email:- amethiarun@gmail.com . फोन संपर्क: 09868793799/7376199844
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